ईरान-इजरायल युद्ध से फिलहाल अमेरिका के दूर रहने से बाजार में तेजी की रफ्तार बढ़ी है। निफ्टी 200 अंक चढ़कर 25000 के करीब दिख रहा है। बैंक निफ्टी 500 अंक उछला है। मिडकैप और स्मॉलकैप में भी बहार है। वहीं INDIA VIX 6 फीसदी से ज्यादा फिसलकर 13 के करीब आ गया है। इस तेजी में आज REC, PFC और IREDA के शेयर बाजार के फोकस में हैं। इन शेयरों में जोरदार तेजी है। दरअसल RBI ने प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियम आसान कर दिए हैं। साथ ही REC और PFC दोनों कंपनियों पर जोरदार ब्रोकरेज रिपोर्ट भी आई है। इसके चलते इस शेयरों में तेजी आई है।
RBI ने बैंक और NBFCs के लिए प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियम आसान किए हैं। नए नियमों के मुताबिक अंडरकंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए 1 फीसदी प्रोविजनिंग करनी होगी। पिछले साल मई के ड्रॉफ्ट में 5 फीसगी प्रोविजनिंग का प्रस्ताव था। इनको कमर्शियल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर भी राहत मिली है।
CLSA में INDIA POWER FINANCE पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है कि RBI ने प्रोजेक्ट फाइनेंस के नियम जारी किए हैं। नए नियम ड्रॉफ्ट प्रस्तावों के मुकाबले आसान है। इसमें लोन प्रोविजनिंग को लेकर नियम आसान हुए हैं। अब बैंक और NBFCs को 1 फीसदी की प्रोविजनिंग करनी होगी। इसके पहले ड्रॉफ्ट में 5 फीसदी प्रोविजनिंग का प्रस्ताव रखा गया था। नए नियम इस साल एक अक्टूबर से लागू होंगे। ब्रोकरेज का मानना है कि ये नए नियम REC और PFC के लिए बेहद पॉजिटिव हैं। RBI के ड्राफ्ट के बाद REC, PFC ने लोन ग्रोथ गाइडेंस घटा दिया गया था। REC, PFC की स्टैंडर्ड प्रोविजनिंग 0.95-1.13 फीसदी पर आ चुकी है।
CLSA ने POWER FINANCE को आउटपरफॉर्म रेटिंग देते हुए 525 रुपए का टारगेट दिया है। वहीं, REC को भी आउटपरफॉर्म रेटिंग देते हुए 525 रुपए का टारगेट दिया है।
प्रोजेक्ट फाइनेंशिग पर CITI
CITI ने प्रोजेक्ट फाइनेंशिग पर अपनी राय देते हुए कहा है कि आरबीआई के अंतिम गाइड लाइंस में प्रोजेक्ट फाइनेंशिग प्रावधान में ढील दी गई है। इससे लेंडरों को फायदा होगा। 1 Oct से अंडरकंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए 1 फीसदी की प्रोविजनिंग जरूरत होगी। वहीं, पिछले साल मई के ड्रॉफ्ट में 5 फीसदी प्रोविजनिंग का था प्रस्ताव था। ऑपरेशनल फेज प्रोविजनिंग सीआरई/सीआरई-आरएच/अन्य के लिए 1%/0.75%/0.4% निर्धारित किया गया गया है। वहीं, ड्रॉफ्ट में इसके 2.5 फीसदी रखने का प्रावधान किया गया है। हर डेफर्ड तिमाही के लिए 0.375% (इन्फ्रा) और 0.5625% (गैर-इन्फ्रा) का अतिरिक्त प्रावधान करना होगा। प्रोविजनिंग जरूरत कम होने से कॉर्पोरेट और पीएसयू बैंक लेंडरों पर दबाव कम हुआ है। लागत में बढ़त और प्रोजेक्ट्स से लेंडरों के पीछे हटने का जोखिम कम हो गया है।
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