Edelweiss Broking सिक्योर्ड रिडीमेबल नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCDs) के जरिए 300 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में है। कंपनी ने बताया है कि इस इश्यू के तहत जारी NCDs का फेस वैल्यू 1000 रुपये होगा। इश्यू का बेस साइज 150 करोड़ रुपये है। वहीं इस इश्यू के साथ 150 करोड़ रुपये का ग्रीन-शू ऑप्शन संलग्न है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर 150 करोड़ रुपये का बेस इश्यू पूरी तरह से सब्सक्राइब हो जाता है तो कंपनी के पास 150 करोड़ रुपये का इश्यू और जारी करने का विकल्प होगा।
इस इश्यू के तहत जारी NCD की कूपन रेट (ब्याज दर) 8.75 फीसदी से 9.95 फीसदी सालाना तय की गई है। NCD की मैच्योरिटी 24 से 120 महीने यानी 2 साल से 10 साल होगी। दो साल की मैच्योरिटी पर NCD की ब्याज दर 8.75 फीसदी सालाना होगी। जबकि 10 साल की मैच्योरिटी वाले NCD की ब्याज दर 9.95 फीसदी होगी।
इसमें उन निवेशकों को 0.2 फीसदी ज्यादा ब्याज मिलेगा, जिन्होंने कंपनी या ग्रुप कंपनियों द्वारा पहले से जारी किए गए एनसीडी या बॉन्ड में पैसे लगाए हैं। यानी इन निवेशकों को 10.15 फीसदी ब्याज मिलेगा। इसके चलते इस NCD इश्यू की अधिकतम ब्याज दर 10.15 फीसदी हो जाती है। Edelweiss Broking इस NCD से जुटाए गए पैसों में से 90 फीसदी धनराशि का इस्तेमाल अपने वर्किंग कैपिटल जरूरतों को पूरा करने में करेगी। बाकी पैसों का इस्तेमाल कंपनी के सामान्य जरूरतों को पूरा करने में किया जाएगा।
क्रिसिल (Crisil)ने इस NCD की रेटिंग निगेटिव आउटलुक के साथ AA- की है। जबकि Acuite ने इसकी रेटिंग नेगेटिव आउटलुक के साथ AA की है। इसका मतलब ये है कि इस NCD इश्यू में क्रेडिट रिस्क तो कम है। लेकिन यह पूरी तरह से सेफ भी नहीं है।
यह इश्यू सब्सक्रिप्शन के लिए 5 जुलाई को खुलकर 26 जुलाई को बंद होगा। इसको जरूरत पड़ने पर निर्धारित समय से पहले भी बंद किया जा सकता है। निवेशकों को लिक्विडिटी मुहैया कराने के लिए इस NCD पर BSE पर लिस्ट कराने की योजना है। एक्विरस कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड (Equirus Capital Private Limited)और एडलविस फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड (Edelweiss Financial Services) इस इश्यू की लीड मैनेजर हैं।
नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर यानी एनसीडी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं। इन्हें कंपनी जारी करती है। इनके जरिये वह निवेशकों से पैसा जुटाती है। इसके लिए पब्लिक इश्यू लाया जाता है। इनमें निवेश करने वालों को एक तय दर से ब्याज मिलता है। एनसीडी की अवधि फिक्स होती है। इनकी मैच्योरिटी पर निवेशकों को ब्याज के साथ अपनी मूल रकम मिलती है। ये बैंक एफडी की तरह डेट इंस्ट्रूमेंट होते हैं।
सिक्योर्ड एनसीडी का मतलब इसमें कंपनी की सिक्योरिटी होती है। कंपनी अगर किसी वजह से निवेशकों को पैसे पेमेंट नहीं कर पाती तो निवेशक उसके एसेट को बेचकर अपना पैसा निकाल सकते हैं। अनसिक्योर्ड एनसीडी में कंपनी की सिक्योरिटी नहीं होती हैं। इसमें जोखिम ज्यादा होता है।