Dollar के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट से इकोनॉमी को किस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ेगा?
डॉलर के मुकाबले रुपया में कमजोरी 24 नवंबर को भी जारी रही। 21 नवंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया 89.49 के लेवल पर बंद हुआ था। एक्सपर्टस का कहना है कि रुपये में तेज गिरावट का असर स्टॉक मार्केट में सेंटिमेंट पर पड़ता है
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी का असर अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग तरह से पड़ता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 24 नवंबर को 90 के करीब पहुंच गया। 21 नवंबर को डॉलर के मुकाबले यह 89.49 के लेवल पर बंद हुआ था। डॉलर की डिमांड बढ़ने का असर रुपया पर पड़ा है। डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट का असर शेयर बाजार पर पड़ता है, क्योंकि इंपोर्टेड इनफ्लेशन का खतरा बढ़ जाता है। इनपुट कॉस्ट भी बढ़ जाती है।
दूसरे उभरते देशों की करेंसी पर दबाव नहीं
रुपये (Rupee) में यह कमजोरी तब आई है, जब ग्लोबल मार्केट्स में स्थिति सामान्य है। इससे ट्रेडर्स थोड़े हैरान हैं। सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के मुताबिक, रुपये में गिरावट का यह मामला अलग दिख रहा है, क्योंकि Dollar Index में स्थिरता है। क्रूड ऑयल की कीमतों में भी उतारचढ़ाव नहीं है। दूसरे उभरते देशों की करेंसी पर भी दबाव नहीं है।
डॉलर की ज्यादा मांग से लिक्विडिटी में बना है गैप
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स का कहना है कि डॉलर की ज्यादा खरीदारी से लिक्विडिटी में गैप बना है। आरबीआई जो 88.80 के लेवल को डिफेंड कर रहा था, वह फिलहाल हस्तक्षेप करता नहीं दिख रहा है। इससे ट्रेडर्स के स्टॉपलॉस ट्रिगर हुए हैं। आम तौर पर रुपये में तेज गिरावट का असर शेयर बाजार पर पड़ता है।
रुपये में तेज गिरावट से स्टॉक मार्केट में बढ़ता है रिस्क
मेहता इक्विटीज के राहुल कलांतरी ने कहा, "रुपया के बहुत ज्यादा गिर जाने पर स्टॉक मार्केट्स में रिस्क बढ़ जाता है। इनवेस्टर्स को इंपोर्टेड इनफ्लेशन का डर सताने लगता है। कंपनियों के लिए उत्पादन की कॉस्ट बढ़ जाती है। इंपोर्ट पर निर्भर करने वाले सेक्टर्स में मार्जिन पर दबाव बन जाता है।"
मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर पड़ सकता है असर
उन्होंने कहा कि रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच जाने से विदेशी इनवेस्टर्स डिफेंसिव हो जाते हैं, क्योंकि उतारचढ़ाव बढ़ने से डॉलर-एडजस्टेड रिटर्न घट जाता है। इसका मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर ज्यादा पड़ सकता है, जहां वैल्यूएशंस ज्यादा है। चॉइस वेल्थ के अक्षत गर्ग ने भी कहा कि रुपये में कमजोरी से मार्केट पर शॉर्ट टर्म में असर पड़ता है। इससे FIIs की तरफ से कुछ बिकवाली भी दिख सकती है।
स्टॉक मार्केट्स पर शॉर्ट टर्म में दिख सकता है असर
गर्ग ने हालांकि कहा कि इंडिया की स्ट्रक्चरल स्टोरी पर किसी तरह का निगेटिव असर नहीं पड़ा है। इसलिए जब तक इकोनॉमी की सेहत अच्छी है, मार्केट में गिरावट थोड़े समय के लिए होगी। जियोजित इनवेस्टमेंट्स के वीके विजयकुमार का मानना है कि रुपये में गिरावट का ज्यादा असर मार्केट पर नहीं पड़ेगा। खासकर तब जब वैल्यूएशन में नरमी आई है। उनका मानना है कि दुनिया में AI स्टॉक्स से इनवेस्टर्स का मोहभंग हो रहा है। ऐसे में इनवेस्टर्स जल्द इंडियन मार्केट में खरीदारी शुरू कर सकते हैं, जिससे रुपये को सपोर्ट मिलेगा।
रुपये में कमजोरी से इन सेक्टर्स को हो सकता है फायदा
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी का असर अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग तरह से पड़ता है। कुछ सेक्टर्स को इससे नुकसान होता है, जबकि कुछ को इससे फायदा होता है। एक्सपोर्ट करने वाले सेक्टर्स को इससे फायदा होता है। डॉलर में मजबूती से रुपये में उनकी अर्निंग्स बढ़ जाती है। विजय कुमार ने कहा कि टेक्सटाइल्स, फार्मा, जेम्स एंड ज्वेलरी और आईटी सेक्टर को रुपये में कमजोरी से फायदा हो सकता है।
इन सेक्टर्स में कंपनियों के मार्जिन पर बढ़ सकता है दबाव
ऐसे सेक्टर्स को रुपये में कमजोरी से नुकसान से हो सकता है, जो इंपोर्ट पर निर्भर हैं। उन्हें मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है। एविएशन और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के फ्यूल और क्रूड की कॉस्ट बढ़ जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटो जैसे सेक्टर को भी काफी इंपोर्ट करना पड़ता है। इनके मुनाफे पर दबाव बढ़ जाएगा। गर्ग ने कहा कि ऐसी पावर यूटिलिटीज कंपनीयां जो कोयले के आयात पर निर्भर हैं, उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। कैपिटल गुड्स के निर्यातकों पर भी दबाव बढ़ेगा।