Rupee fall impact: नए लो-लेवल पर रुपया! जानिए किस सेक्टर को फायदा, किसे होगा नुकसान

Rupee fall impact: रुपया 90 प्रति डॉलर के नए लो-लेवल पर फिसल गया है। इसका सीधा असर IT, केमिकल, ऑटो, ऑयल-गैस और फार्मा सेक्टर पर पड़ेगा। कमजोर रुपये का असर कंपनियों की लागत और मार्जिन दोनों बदल देगा। जानिए किस सेक्टर पर कैसा होगा असर।

अपडेटेड Dec 03, 2025 पर 7:18 PM
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रुपये की गिरावट एक्सपोर्टर ऑटो कंपनियों के लिए बड़ा फायदा लेकर आती है।

Rupee fall impact: रुपया बुधवार, 3 दिसंबर को 90 प्रति डॉलर के पार जाकर नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। कमजोर रुपये का सीधा असर लगभग हर बड़े सेक्टर पर पड़ता है। कहीं फायदा होता है तो कहीं मार पड़ती है। यहां समझिए अलग-अलग सेक्टर्स पर इसका क्या प्रभाव दिखेगा।

IT Sector

रुपये की कमजोरी IT सेक्टर के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि इन कंपनियों की बड़ी कमाई डॉलर में आती है। 90 के पार कमजोर हुआ रुपया उनकी मार्जिन बढ़ाने में मदद करता है। बुधवार के ट्रेड में भी Nifty IT इंडेक्स ने बाजार की गिरावट को काफी हद तक संभाला।


Wipro, TCS और Infosys जैसे स्टॉक्स मजबूती में रहे, क्योंकि डॉलर में मिलने वाला रेवेन्यू अब रुपये में ज्यादा वैल्यू देता है।

Pharma Sector

फार्मा कंपनियों पर रुपये की गिरावट का असर सीमित रहता है क्योंकि वे अपने डॉलर एक्सपोजर को पहले से हेज कर लेती हैं। उनकी दवाइयों की कीमतें भी इस हिसाब से तय होती हैं कि रुपये की कमजोरी का झटका कम पड़े।

हालांकि इनपुट कॉस्ट बढ़ जाती है, जो कुल बिक्री का 40-60 प्रतिशत हिस्सा होता है। इसके बावजूद सेक्टर पर सीधा बड़ा दबाव नहीं आता।

Auto Sector

रुपये की गिरावट एक्सपोर्टर ऑटो कंपनियों के लिए बड़ा फायदा लेकर आती है। TVS Motor और Bajaj Auto जैसी कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा निर्यात से आता है। इसलिए रुपये का कमजोर होना सीधे उनकी आय बढ़ाता है।

कई ऑटो एंसिलरी कंपनियां जैसे Bharat Forge और Samvardhana Motherson भी इस ट्रेंड से लाभ में रहती हैं। वहीं Uno Minda जैसी कंपनियों के लिए स्थिति उलट होती है क्योंकि वे इंपोर्ट पर निर्भर हैं और कमजोर रुपया उनकी लागत बढ़ा देता है।

Oil & Gas Sector

ONGC और Oil India रुपये के कमजोरी से फायदा उठाते हैं क्योंकि उनके लिए हर ₹1 की गिरावट EPS को 1-2% तक बढ़ा देती है। लेकिन Reliance Industries के लिए यह मिश्रित प्रभाव लाती है। कंपनी को कच्चा तेल, LNG और ethane जैसे बड़े इंपोर्ट करने पड़ते हैं, इसलिए लागत बढ़ती है।

हालांकि इसके ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन डॉलर आधारित होने से थोड़ी राहत मिलती है। दूसरी ओर, City Gas Distributors पर सीधा दबाव आता है क्योंकि महंगा LNG उनकी लागत बढ़ाता है और उनके EPS पर 4-11% तक का असर पड़ सकता है।

Chemicals Sector

केमिकल सेक्टर रुपये की कमजोरी से फायदा उठाने वालों में शामिल है। इस सेक्टर की कई कंपनियों की आय डॉलर में होती है या वे अमेरिकी बाजार के साथ गहरे जुड़े हैं। ऐसे में कमजोर रुपया Navin Fluorine, SRF, Aarti Industries और Atul जैसी कंपनियों की मार्जिन और रेवेन्यू को सपोर्ट करता है।

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