विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने इस साल इंडियन मार्केट्स में बड़ी बिकवाली की है। उन्होंने भारतीय बाजार से करीब 1507.4 करोड़ डॉलर निकाले हैं। हालांकि, उन्होंने चीन, जापान और ताइवान में खरीदारी की है। एफआईआई की बिकवाली का असर इंडियन मार्केट्स पर पड़ा है। 2025 में मार्केट के प्रमुख सूचकांकों निफ्टी और सेंसेक्स का रिटर्न करीब माइनस 3 फीसदी रहा है। लेकिन, हेलियस कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा की सोच थोड़ी अलग है। उनका मानना है कि इंडियन मार्केट्स ने वैश्विक झटकों का कई दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर तरीके से सामना किया है।
FII का निवेश 2 बातों पर निर्भर करेगा
Samir Arora का मानना है कि आगे इंडियन मार्केट्स में FII का निवेश कुछ बातों पर निर्भर करेगा। इनमें जीएसटी में कमी के बाद कंज्यूमर डिमांड में इजाफा और इंटरेस्ट रेट घटने पर फाइनेंशियल कंपनियों का बेहतर प्रदर्शन शामिल है। उन्होंने कहा कि फरवरी के बाद से एफआईआई का निवेश ठीक है। हमने जनवरी और फरवरी में बिकवाली देखी थी। इनवेस्टर्स को अब भी अमेरिकी बाजार अच्छे लग रहे हैं। उन्हें लगता है कि टैरिफ का मसला अब और नहीं बढ़ेगा।
इंडिया पर इन 2 निगेटिव चीजों का पड़ा असर
उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 महीनों में दो निगेटिव चीजों का इंडिया पर खराब असर पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिसकी उम्मीद नहीं थी। यह दूसरे देशों पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ से ज्यादा है। अब H-1B वीजा का मसला आया है। इसके बावजूद अगर आप फरवरी के आखिर से एफआईआई के निवेश को देखें तो उन्होंने जितनी बिकवाली की है, उतनी खरीदारी की है। इसका मतलब है कि उनका फ्लो प्लस-माइनस जीरो है। हमने इंडिया से जुड़ी दो निगेटिव चीजों का दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर सामना किया है। मेरा अब भी यह मानना है कि FII इंडिया में इनवेस्ट करेंगे।
दुनिया में अमेरिकी शेयरों का वर्चस्व
अरोड़ा ने कहा कि दुनिया में अमेरिकी शेयरों का वर्चस्व है। वर्ल्ड इंडेक्स में उनकी हिस्सेदारी करीब 65 फीसदी है। इसके बावजूद पिछले कई सालों में पहली बार अमेरिका को छोड़ दूसरे बाजारों का प्रदर्शन डॉलर में बेहतर रहा है। इस साल अमेरिकी बाजार 16-17 फीसदी चढ़े हैं, जबकि MSCI World Index (अमेरिका को छोड़) करीब 25 फीसदी चढ़ा है। यह चीज नजर में भी आ रही है। उन्होंने कहा, "दो हफ्ते पहले जब मैं अमेरिका में था तो इस सेंटिमेंट को स्पष्ट रूप से देख पा रहा था।"
निवेशकों ने कोरिया और ताइवान में किया निवेश
उन्होंने कहा कि इनवेस्टर्स ने कोरिया और ताइवान में काफी पैसे लगाए हैं। इसकी वजह ग्लोबल AI बूम है। अगर अमेरिकी इनवेस्टर्स यूएस टेक्नोलॉजी कंपनियों के स्टॉक्स खरीद रहे हैं तो जो उन्हें नहीं खरीद सकते वे कोरिया और ताइवान में निवेश कर रहे हैं। इस बीच, इंडिया ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां FII का निवेश कंजम्प्शन में इजाफा और रिफॉर्म्स के उपायों पर निर्भर करेगा।