शेयर बाजार अपने निचले स्तर के करीब, FIIs की बिकवाली भी जल्द हो सकती है धीमी: समीर अरोड़ा

Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में पिछले चार महीनों से लगातार गिरावट जारी है। इसकी सबसे बड़ी वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ओर से बिकवाली को बताया जा रहा। इस बीच हेलिओस कैपिटल के फाउंडर और अनुभवी मार्केट एक्सपर्ट समीर अरोड़ा (Samir Arora) का मानना है कि यह बिकवाली अब लगभग अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और जल्द ही इसमें कमी देखने को मिल सकती है

अपडेटेड Feb 14, 2025 पर 5:33 PM
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Stock Market: विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से इस साल अब तक करीब 8.2 अरब डॉलर की निकासी कर चुके हैं

Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में पिछले चार महीनों से लगातार गिरावट जारी है। इसकी सबसे बड़ी वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ओर से बिकवाली को बताया जा रहा। इस बीच हेलिओस कैपिटल के फाउंडर और अनुभवी मार्केट एक्सपर्ट समीर अरोड़ा (Samir Arora) का मानना है कि यह बिकवाली अब लगभग अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और जल्द ही इसमें कमी देखने को मिल सकती है। मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में समीर अरोड़ा ने बताया कि जनवरी में FIIs ने बड़े स्तर पर बिकवाली की थी। इसकी मुख्य वजह भारतीय की कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और डॉलर के रुपये में गिरावट थी।

उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने दिसंबर तिमाही के दौरान उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगा गया। भारतीय रुपये की कमजोरी से भी विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से दूरी बनानी शुरू कर दी। इसके अलावा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में देखी गई तेज गिरावट काफी हद तक लीवरेज्ड ट्रेडों के बंद होने के कारण थी।

एशिया में सबसे ज्यादा नुकसान भारत को

एशिया-प्रशांत इलाके में विदेशी निवेशकों ने सबसे अधिक बिकवाली भारत से ही की है। इस साल अब तक भारतीय बाजार से वे करीब 8.2 अरब डॉलर की निकासी कर चुके हैं। साउथ कोरिया, ताइवान, इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया में भी बिकवाली देखने को मिली, लेकिन वहां से FII की निकासी $0.1 अरब डॉलर से $1.3 अरब डॉलर के बीच रही, जो भारत की तुलना में काफी कम है।


बाजार रिकवरी के संकेत!

हालांकि इसके बावजूद, समीर अरोड़ा को उम्मीद है कि विदेशी निवेशकों का यह पलायन जल्द ही धीमा हो जाएगा। उनका कहना है कि इतनी आक्रामक बिकवाली लंबे समय तक जारी नहीं रह सकती और जब FII की बिकवाली कम होगी, तब खुदरा निवेशकों की घबराहट भी कम हो जाएगी और वे भी भारतीय शेयरों को बेचना बंद कर देंगे। अरोड़ा को इन उम्मीदों के आधार पर लगता है कि बाजार कहीं न कहीं अपने निचले स्तर के करीब है।

अब आगे क्या?

समीर अरोड़ा को भरोसा है कि बीते साल खराब मॉनसून और सरकारी खर्चों में कटौती की वजह से जो सुस्ती आई थी, वह अप्रैल 2025 के बाद सुधरने लगेगी। इससे कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ रफ्तार फिर से तेज हो सकती है। उन्होंने कहा कि महंगाई और ऊंची ब्याज दरें जैसे जो कारण शेयर बाजार पर असर डाल रहे थे, वे अब काफी हद तक संतुलित हो चुके हैं।

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