Satellite broadband services :सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन लटकता हुआ नजर आ रहा है। डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन के फैसले के बावजूद दूरसंचार विभाग ने अभी तक ट्राई से आवंटन की सिफारिशों पर सफाई नहीं मांगी है। पर ज्यादा डिटेल्स जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के असीम मनचंदा ने कहा कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं अभी दूर नजर आ रही हैं। ये सेवाएं शुरू करने में अभी और देरी होगी। दूरसंचार विभाग ने अभी तक इस पर ट्राई से सफाई नहीं मांगी है। इसके चलते सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन लटक गया है।
Starlink, OneWeb और Jio के पास है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं का लाइसेंस
बता दें कि डिजिटल कम्युनिकेशन (DCC) ने ट्राई की सिफारिशें नहीं मानी थी। DCC कई सिफारिशों पर सहमत नहीं था। 16 सितंबर को DCC ने सिफारिशें वापस भेजने को मंजूरी दी थी। 2 महीने होने के बाद भी दूरसंचार विभाग में सहमति नहीं बनी है। गौरतलब है कि Starlink, OneWeb और Jio के पास सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं का लाइसेंस है।
इस देरी का सीधा असर उन कंपनियों पर पड़ रहा है जो भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही हैं। Starlink, Bharti-backed OneWeb और Amazon जैसी कंपनियां कई महीनों से लाइसेंसिंग और स्पेक्ट्रम पॉलिसी का इंतज़ार कर रही हैं।
TRAI और DoT के बीच तालमेल की कमी
TRAI और DoT के बीच तालमेल की कमी के चलते इन कंपनियों की लॉन्च टाइमलाइन लगातार पीछे खिसकती जा रही है। यह देरी भारत में ग्रामीण कनेक्टिविटी मिशन पर भी असर डाल सकती है, क्योंकि सैटेलाइट इंटरनेट का मुख्य उद्देश्य दूरदराज़ इलाकों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड पहुंचाना है।
2026 तक टल सकता है ब्रॉडबैंड सेवाओं का कमर्शियल लॉन्च
एक्पर्ट्स का कहना है कि अगर TRAI और DoT के बीच यह अस्पष्टता बनी रही तो भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं का कमर्शियल लॉन्च 2026 तक टल सकता है। सरकार का लक्ष्य है कि देश के 6 लाख से अधिक गांवों तक डिजिटल कनेक्टिविटी पहुंचाई जाए, लेकिन इसके लिए स्पष्ट नीति और तेजी से फैसले लेने की जरूरत है।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।