क्या आपको 15 साल पहले हुआ सत्यम घोटाला (Satyam Fraud) याद है? SEBI ने 30 नवंबर, 2023 को Satyam के प्रमोटर्स के खिलाफ एक नया ऑर्डर जारी किया है। इस बार सेबी ने सत्यम के शेयरों में ट्रेडिंग से उन्हें हुई अवैध कमाई 624 करोड़ बताई है। इसमें 12 फीसदी इंटरेस्ट शामिल है। सत्यम घोटाला जनवरी 2009 में सामने आया था। कंपनी के चेयरमैन रामलिंग राजू ने कंपनी के बुक्स ऑफ अकाउंट्स में हेराफेरी की बात कबूल की थी। 2000-2009 के दौरान प्रमोटर्स को फाइनेंशियल स्टेटमेंट में गड़बड़ी की जानकारी थी। उन्होंने इस दौरान ज्यादा कीमत पर सत्यम के शेयर बेचे या उन्हें गिरवी पर रखा। SEBI ने अपने पिछले आदेश में उन्हें इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी माना था। इसकी वजह यह थी कि उन्होंने कंपनी के शेयर तब बेचे थे, जब उनके पास कंपनी के बारे में संवेदनशील जानकारियां थीं। इससे प्रमोटरों ने अवैध कमाई की थी।
यह ध्यान देने वाली बात है कि इस मामले में सेबी की तरफ से अब तक कई ऑर्डर्स जारी किए जा चुके हैं। इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप को तो सिक्योरिटीज अपेलेट ट्राइब्यूनल (SAT) और सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है, लेकिन SAT ने इस आधार पर शेयरों से हुई अवैध कमाई के अमाउंट को घटा दिया है कि इसके कैलकुलेशन में सही तरीके का इस्तेमाल नहीं किया गया। SEBI का हालिया आदेश सिर्फ प्रमोटर्स को हुई अवैध कमाई के सही अमाउंट से जुड़ा है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि डिस्गॉर्जमेंट (disgorgement) एक तरीका है जिसे किसी को गलत काम के जरिए कमाई करने से रोकने के लिए बनाया गया है। यह न तो कानूनी कार्रवाई है न ही जुर्माना है। इसका मकसद उस व्यक्ति को इंटरेस्ट के साथ अवैध कमाई की गई रकम को लौटाने के लिए बाध्य करना है। इसलिए सत्यम के शेयरों के जरिए प्रमोटर्स को हुई अवैध कमाई के सही अमाउंट का कैलकुलेशन SEBI के लिए जरूरी था।
सेबी ने 2 नवंबर, 2018 को जारी अपने पिछले आदेश में प्रमोटर्स को 12 फीसदी इंटरेस्ट के साथ कुल 813 करोड़ रुपये लौटाने को कहा था। अवैध कमाई का कैलकुलेशन करने में सेबी ने प्रमोटर्स के लिए सत्यम के शेयरों की एक्विजशन कॉस्ट 'निल' (शून्य) माना था। इसकी वजह यह थी कि प्रमोटरों ने कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन की वैल्यू नहीं बताई थी।
हालांकि, SAT का यह मानना था कि प्रमोटरों ने ये शेयर फ्रॉड को अंजाम दिए जाने से काफी पहले लिए थे और इनकी कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन का संबंध न तो फ्रॉड और न ही अनपब्लिश्ड सेंसिटिव इंफॉर्मेशन (UPSI) से था। इसलिए अवैध कमाई के कैलकुलेशन में शेयरों की 'intrinsic Value' को ध्यान में रखा जाना चाहिए और नेट प्रॉफिट के सेबी के तरीके का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। SAT ने यह भी कहा था कि हर शेयर की एक वैल्यू होती है और इन शेयरों की वैल्यू जीरो नहीं मानी जा सकती।
शेयरों की intrinsic Value के कैलकुलेशन में सेबी को यह इस काल्पनिक सवाल का जवाब देना पड़ेगा कि अगर किसी तरह का फ्रॉड नहीं हुआ होता तो शेयरों की वैल्यू क्या होती, क्योंकि इस इस सवाल का सही जवाब देना मुमकिन नहीं है। SEBI ने यह पाया था कि टेक महिंद्रा ने सत्यम को खरीदने के लिए प्रति शेयर 58 रुपये की कीमत पर 22 अप्रैल, 2009 को ओपन ऑफर दिया था। उसने फ्रॉड की जानकारी के बाद और प्राइस डिस्काउंटिंग के बाद यह प्राइस तय किया था।