एस्टेट प्लानिंग (Estate Planning) मुश्किल काम है। सीनियर सिटीजंस के लिए यह और मुश्किल हो जाता है। एस्टेट प्लान का डॉक्युमेंट स्पष्ट होने पर परिवार में विवाद की संभावना नहीं रह जाती है। इससे परिवार के सदस्यों के बीच शांति और स्नेह बना रहता है। यह देखने में आया है कि कुछ गलतियों की वजह से एस्टेट प्लानिंग में दिक्कत आती है। मनीकंट्रोल ने एस्टेट प्लानिंग में सीनियर सिटीजंस की तरफ से होने वाली आम गलतियों की पहचान की है। अगर आप एस्टेट प्लानिंग करना चाहते हैं तो आपको इन गलतियों से दूर रहना होगा। इससे आगे दिक्कत नहीं आएगी।
2. अस्पष्ट ट्रस्ट डीड की ड्राफ्टिंग
सीनियर सिटीजंस अपने एसेट्स की सुरक्षा के लिए उसे ट्रस्ट में रख सकते हैं। एसेट्स के लिए ट्रस्ट बनाने के बाद उन सभी लाभार्थियों की लिस्ट बनाई जा सकती है, जिन्हें सीनिटर सिटीजन के निधन के बाद एसेट्स में हिस्सेदारी मिलने वाली है। एसेट्स में उनके हिस्से का स्पष्ट उल्लेख होना जरूरी है। डीएसके लीगल के पार्टनर हेमंग पारेख ने कहा, "ट्रस्ट डीड का क्लियर होना जरूरी है। इसमें क्लाइंट की मंशा स्पष्ट रूप से पता चलनी चाहिए। इसकी लैंग्वेज जटिल नहीं होनी चाहिए।"
3. अपने जीवनकाल में नहीं करें प्रॉपर्टी का ट्रांसफर
सीनियर सिटीजंस को जीवित रहने के दौरान प्रॉपर्टी का ट्रांसफर करने से बचना चाहिए। आप जिस घर में रहते हैं या जिस घर को किराए पर दिया है उसे अपने जीवनकाल में अपने बच्चों को ट्रांसफर करने से बचना चाहिए। प्लानमायएस्टेट एडवाइजर्स एलएलपी के पार्टनर शैलेंद्र दुबे ने कहा, "जितना संभव हो सीनियर सिटीजन को अपनी प्रॉपर्टी का ट्रांसफर वसीयत के जरिए करने की कोशिश करनी चाहिए।" आम तौर पर बुजुर्ग यह समझते हैं कि उनके बच्चे बड़े हो गए हैं और अपनी संपत्ति का ट्रांसफर उन्हें कर देते हैं। लेकिन, ऐसा करने में रिश्ते खराब होने का डर होता है।
4. फाइनेंशियल अकाउंट्स के लिए नॉमिनी तय नहीं करना
यह देखा गया है कि अक्सर सीनियर सिटीजंस अपने बैंक अकाउंट्स और दूसरे सिक्योरिटीज के लिए नॉमिनी तय नहीं करते हैं। ऐसे में सीनियर सिटीजंस के उत्तराधिकारी के लिए उस पर दावा पेश करना मुश्किल हो जाता है। इससे कई तरह की कानूनी दिक्कतें भी पैदा होती हैं। कई बार कुछ सीनियर सिटीजंस अपने नौकर या रिश्तेदार को नॉमिनी बना देते हैं। ऐसा अक्सर तब होता है जब सीनियर सिटीजन के बच्चे विदेश में बस जाते हैं। इसके तरह के नॉमिनेशन की वजह से संपत्ति के असली हकादर को दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
5. पावर ऑफ अटॉर्नी नियुक्त नहीं करना
सीनियर सिटीजन को पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) नियुक्त करना चाहिए। खासकर ऐसे व्यक्ति को पीओए नियुक्त करना चाहिए जो कई वजहों से खुद ट्रांजेक्शन नहीं कर सकता। इन वजहों में बीमार पड़ना, ज्यादा उम्र , विदेश में रहना आदि शामिल हैं। ऐसे ट्राजेक्शन प्रॉपर्टी, बैंकिंग टैक्स पेमेंट्स, लीगल एंड ज्यूडिशियल प्रेसिडिंग्स, फाइननेंशियल इनवेस्टमेंट आदि से जुड़े हो सकते हैं। अग्रवाल ने कहा कि पीओए नियुक्त करना के बाद उस पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। किसी एक व्यक्ति पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने से परिवार के दूसरे सदस्यों को खराब लग सकता है।
6. वसीयत का रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं
वसीयत का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इससे बाद में उत्तराधिकारियों की तरफ से किसी तरह का संदेह जताए जाने की संभावना नहीं रह जाती है। क्रेड जूरे के मैनेजिंग पार्टनर अंकुर महिंद्रो ने कहा कि अगर उत्तराधिकारियों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं तो फिर वसीयत को लिखना और उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाता है।