SEBI के बोर्ड की 18 जून को होगी बैठक, इन फैसलों का रिटेल इनवेस्टर्स पर भी पड़ेगा असर

SEBI Board Meeting,: सेबी ने REITs और InvITS के नियमों में भी बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिट्स और इनविट्स को अब तक इनवेस्टर्स का ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं मिला है

अपडेटेड May 24, 2025 पर 9:54 AM
Story continues below Advertisement
सेबी की बैठक में क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को एक्सचेंजों से अलग (demerger) करने के प्रस्तााव पर भी फैसला हो सकता है।

सेबी के बोर्ड की बैठक 18 जून को होने वाली है। इसमें ऐसे कई प्रस्ताव पर फैसले होने की उम्मीद है जिनका असर रिटेल इनवेस्टर्स पर भी पड़ेगा। कुछ प्रस्तावों के ड्राफ्ट को हाल में मार्केट रेगुलेटर ने इश्यू किया था। इन पर लोगों की राय मांगी गई थी। अभी मीटिंग में करीब तीन हफ्ते का समय है। इस दौरान मीटिंग का एजेंडा फाइनल हो जाने की उम्मीद है।

REITs और InvITs को मिल सकता है इक्विटी का दर्जा

सेबी का बोर्ड Real Estate Investment Trusts (REITs) और Infrastructure Investment Trusts (InvITs) के बारे में अहम फैसला ले सकता है। इन्हें इक्विटी का दर्जा मिल सकता है। पिछले काफी समय से यह इंडस्ट्री की प्रमुख मांग रही है। अगर सेबी से REITs और InvITs को इक्विटी का दर्जा मिल जाता है तो इन्हें शेयरों के सूचकांकों में शामिल किया जा सकेगा। एक दूसरी मांग REITs और InvITs में म्यूचुअल फंडों के ज्यादा निवेश की इजाजत देने से जुड़ी है। सेबी ने इस बारे में जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसमें REITs और InvITs में इक्विटी फंडों की नेट एसेट वैल्यू मौजूदा 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने की बात कही गई है।


 रिट्स और इनविट्स के नियमों में भी बदलाव हो सकता है

सेबी ने REITs और InvITS के नियमों में भी बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिट्स और इनविट्स को अब तक इनवेस्टर्स का ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं मिला है। खासकर रिटेल इनवेस्टर्स की इनमें ज्यादा दिलचस्पी देखने को नहीं मिली है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से REITs और InvITS की बड़ी भूमिका हो सकती है।

क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस के एक्सचेंजों से अलग करने पर विचार

सेबी की बैठक में क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को एक्सचेंजों से अलग (demerger) करने के प्रस्तााव पर भी फैसला हो सकता है। सेबी ने डीमर्जर का प्रस्ताव क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को स्वतंत्र बनाने के लिए दिया है। इससे एक्सचेंजों को क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस में पूंजी नहीं डालनी पड़ेगी। हालांकि, इस बारे में एक्सचेंजों की अलग राय है। वे मौजूदा स्ट्रक्चर को जारी रखने के पक्ष में हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को वित्तीय रूप से स्वतंत्र नहीं बनाया जाता है तो फिर उन्हें स्वतंत्र बनाने का कोई मतलब नहीं है।

यह भी पढ़ें: Health care sector: हेल्थकेयर सेक्टर में निवेश से होगी मोटी कमाई, कोटक एएमसी के नीलेश शाह ने बताई वजह

कमोडिटी ब्रोकर्स के लिए आ सकती है सेटलमेंट स्कीम

NSEL मामले से जुड़े कमोडिटी ब्रोकर्स के लिए एक सेटलमेंट स्कीम को भी सेबी के बोर्ड की मंजूरी मिल सकती है। इस मामले में सेबी ने 300 शो कॉज नोटिस जारी किए थे। SAT ने भी सेबी को नियमों के तहत इन कमोडिटी ब्रोकर्स के लिए एक सेटलमेंट स्कीम पर विचार करने की सलाह दी थी। 2013 में हुए एनएसईएल स्कैम में सेबी ने पाया था कि तब कई कमोडिटी ब्रोकर्स ने सेबी के नियमों का उल्लंघन किया था। वे इंटरमीडियरी बनने के लिए फिट एंड प्रॉपर नहीं थे। कई कमोडिटी ब्रोकर्स ने इस मामले में सेबी के ऑर्डर को SAT में चैलेंज किया था।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।