कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI के 200 से अधिक कर्मचारियों ने 5 सितंबर को मुंबई में सेबी के हेडक्वार्टर पर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सेबी की ओर से हाल ही में जारी बयान को लेकर था। दरअसल एक दिन पहले खबर आई थी कि सेबी के कर्मचारियों ने सरकार को लेटर लिखकर मार्केट रेगुलेटर के कार्यालयों में ‘टॉक्सिक वर्क कल्चर’ पर चिंता जताई है। इस पर सेबी ने बयान जारी कर अनप्रोफेशनल वर्क कल्चर होने के दावों को गलत ठहराया था और कहा था कि उसके कर्मचारियों के आवास किराया भत्ते (HRA) से जुड़े मुद्दों को बाहरी तत्व गलत दिशा रहे हैं।
गुरुवार को सेबी (Securities and Exchange Board of India) कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन लगभग दो घंटे तक चला और फिर वे तितर-बितर होकर अपने कार्यालय लौट गए। कर्मचारियों के बीच भेजे गए एक इंटर्नल मैसेज में कहा गया है, "यह विरोध प्रदर्शन प्रेस बयान की आड़ में टॉप मैनेजमेंट द्वारा की गई दबावपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ असहमति और एकता दिखाने के उद्देश्य से है। तत्काल मांग इस बयान को वापस लेना और सेबी के कर्मचारियों के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए सेबी चेयरपर्सन का इस्तीफा है।"
पिछले महीने वित्त मंत्रालय को गया था लेटर
पिछले महीने वित्त मंत्रालय को लिखे एक लेटर में कुछ सेबी कर्मचारियों ने कहा कि रेगुलेटर पर अत्यधिक दबाव है, जिसके चलते वर्क एनवायरमेंट तनावपूर्ण और टॉक्सिक है। अपने बयान में सेबी ने कहा कि ये दावे उच्च किराया भत्ते की मांग और प्राप्त लक्ष्यों की गलत रिपोर्टिंग और निर्णय लेने में देरी को रोकने के प्रयासों से पैदा हुए हैं।
सेबी ने अपने बयान में संदेह जताया, 'जूनियर ऑफिसर्स को कुछ बाहरी पक्षों से मैसेज मिल रहे हैं, जो उन्हें मीडिया, मंत्रालय या बोर्ड में जाने के लिए उकसा रहे हैं। सेबी का मानना है कि बाहरी लोग संभवतः अपने एजेंडा के लिए ऐसा कर रहे हैं। 6 अगस्त, 2024 का लेटर सेबी कर्मचारी संघों ने सरकार और मीडिया के एक वर्ग को नहीं भेजा था।'