भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के गवर्निंग बॉडी के सदस्यों की बैठक 30 सितंबर को होने वाली है। इस पर आज बाजार की बारीकी से नजर रहेगी। इसमें तमाम बाजार भागादीरों और मध्यस्थों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने हैं, जिनमें इंडेक्स डेरिवेटिव ढांचे को मजबूत करने का बड़ा निर्णय भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक F&O एक्सपायरी के नियम बदलने पर फैसला हो सकता है इसके अलावा इनसाइडर ट्रेडिंग नियम का भी दायरा बढ़ सकता है।
एक बार लागू होने के बाद, इस नए ढांचे का सिक्योरिटी मार्केट पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इससे जुए जैसी ट्रेडिंग पर रोक लगेगी जो इंडेक्स-डेरिवेटिव कॉन्ट्रैंक्टों की डेली एक्सपायरी के साथ शुरू हुआ था।
30 जुलाई को, सेबी ने एक कंसल्टेशन पत्र जारी किया था जिसमें एक रूपरेखा प्रस्तावित की गई थी जिसके तहत इन डेरिवेटिव अनुबंधों की केवल वीकली एक्पायरी होगी (प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज में एक इंडेक्स-आधारित वीकली कॉन्ट्रैक्ट), न्यूनतम कॉन्ट्रैक्ट मूल्य को लॉन्च के समय 15-20 लाख रुपये और फिर बाद में 20-30 लाख रुपये (खुदरा निवेशकों को रोकने के लिए) तक बढ़ाया जाएगा, स्ट्राइक कीमतों को तर्कसंगत बनाया जाएगा। इसने अलावा भी कई बदलाव प्रस्तावित हैं।
बता दें कि इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सेबी प्रमुख माधबी बुच दोनों ने एफएंडओ या फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेडिंग के तरीके पर कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता व्यक्त की है। इसके अलावा कंसल्टेशन पेपर पर राय देने की अंतिम तिथि 20 अगस्त थी, इसलिए इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि सेबी बोर्ड इस बैठक में प्रस्तावित रूपरेखा पर विचार-विमर्श करेगा।
एक और गेम-चेंजिंग सुधार जिस पर बाजार की बारीकी से नज़र रहेगी, वह है परफॉर्मेंस वैलीडेशन एजेंसी का शुभारंभ। रिसर्च एनालिस्ट (आरए) और रेग्युलेटेड एल्गो प्रोवाइडरों सहित तमाम मध्यस्थों के प्रदर्शन दावों को प्रमाणित करने वाली एजेंसी की स्थापना पर कंसल्टेशन पेपर जारी हुए एक साल से अधिक समय हो गया है। उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित 2 अगस्त के सम्मेलन में, सेबी प्रमुख ने कहा थी कि ये एजेंसी जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगी। लेकिन मामले की जनकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इसे स्थापित करने में तकनीकी कठिनाइयां हैं। रिसर्च एन्लिस्ट, निवेश सलाहकार (आईए) और एल्गो ट्रेडर्स बोर्ड मीटिंग के नतीजों पर उत्सुकता से नज़र रखेंगे।
इसके अलावा सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अगस्त 2023 के सर्कुलर के जरिए जारी अतिरिक्त प्रकटीकरण मानदंडों का अनुपालन करना आसान बना सकता है। एक और बदलाव जिसे एफपीआई को लागू करना पड़ सकता है, वह है अतिरिक्त प्रकटीकरण ढांचे के तहत ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (पहले पी-नोट्स) और सब-फंड वाले एफपीआई के अलग-अलग पोर्टफोलियो को शामिल करना। अगस्त में जारी परामर्श पत्र में सेबी ने इसके संकेत दिए थे।