मार्केट रेगुलेटर SEBI ने बड़ी कंपनियों के लिए शेयर बाजार में लिस्टिंग के नियम आसान बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसका मतलब है कि कंपनियों को पब्लिक ऑफर और मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डर्स (MPS) नियम पूरे करने में थोड़ी ढील दी जाएगी। हालांकि, रिटेल कोटा में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। SEBI ने IPO अलॉटमेंट में रिटेल कोटा 35% पर बनाए रखा है। पहले बड़े इश्यू में इसे 25% करने का प्लान था।
किस तरह के बदलाव करेगा SEBI
SEBI के कंसल्टेशन पेपर के अनुसार, जिन कंपनियों का मार्केट कैपिटल ₹50,000 करोड़ से ₹1 लाख करोड़ के बीच है, उन्हें अब अपने शेयर का 10% बेचने की बजाय 8% बेचने की छूट मिल सकती है।
वहीं, ₹1 लाख करोड़ से ₹5 लाख करोड़ तक की कंपनियों के लिए न्यूनतम पब्लिक ऑफर ₹6,250 करोड़ या पोस्ट-इशू शेयर कैपिटल का 2.75% तय किया गया है। वहीं, बड़ी कंपनियों (₹5 लाख करोड़ से ऊपर) को कम से कम ₹15,000 करोड़ और 1% शेयर देना होगा।
MPS पूरी करने की समयसीमा में ढील
SEBI ने न्यूनतम 25% MPS पूरी करने की समयसीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है। ₹50,000 करोड़ से ₹1 लाख करोड़ के बीच मार्केट कैपिटल वाली कंपनियों को इसे पूरा करने के लिए तीन साल की बजाय पांच साल मिलेंगे।
वहीं, ₹1 लाख करोड़ से अधिक मार्केट कैपिटल वाली कंपनियों के लिए MPS नियम का पालन चरणबद्ध (phased) तरीके से कर सकेंगे।
कितने समय में पूरी करनी होगी MPS
SEBI ने कहा कि यह चरणबद्ध समयसीमा बड़ी कंपनियों को पब्लिक फ्लोट नियमों का पालन करने में लचीलापन देगी, बिना मार्केट में अधिक दबाव डाले। इस बारे में स्टेकहोल्डर्स 8 सितंबर 2025 तक अपने सुझाव SEBI को भेज सकते हैं।
इस बदलाव का उद्देश्य कंपनियों को फंड जुटाने में मदद करना और लिस्टिंग प्रक्रिया को आसान बनाना है। इससे कंपनियों को निवेशकों को शेयर बेचने में लचीलापन मिलेगा और मार्केट में ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा।
SEBI ने ये नियम इस तरह से बनाए हैं कि छोटी और बहुत बड़ी दोनों तरह की कंपनियों के लिए पब्लिक ऑफर और शेयरहोल्डिंग का संतुलन बना रहे, ताकि बाजार में शेयर की उपलब्धता और निवेशकों की सुरक्षा दोनों बरकरार रहें।