शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) का कहना है कि उसके प्रोसिक्यूशन पावर (अभियोजन संबंधी अधिकार) को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। साथ ही, मार्केट रेगुलेटर ने यह भी साफ किया है कि वह सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1956 की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने की तैयारी में नहीं है।
सेबी का यह बयान मीडिया में छपी उस खबर के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) 67 साल पुराने इस कानून में बदलाव की सिफारिश के लिए एक्सपर्ट पैनल बनाएगा।
खबर में यह भी कहा गया था कि सेबी के अभियोजन संबंधी अधिकारों में भी बढ़ोतरी को लेकर भी बातचीत हो रही है और कमेटी इस मामले पर भी गौर करेगी। सेबी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'इस खबर के सिलसिले में यह साफ किया जाता है कि सेबी ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1956 में बदलाव के लिए न तो कोई कमेटी बनाई है और न ही इस दिशा में विचार-विमर्श चल रहा है। साथ ही, सेबी के अभियोजन संबंधी अधिकार में बढ़ोतरी को लेकर भी किसी तरह की बातचीत नहीं हो रही है।'
इस बीच, सेबी ने निर्देश जारी किया है कि कि प्रमोटरों को अपने पारिवारिक समझौतों का खुलासा करना होगा। इस नए नियम के जरिये सेबी का इरादा प्रमुख शेयरधारकों के बीच हुए सभी गुप्त समझौतों को लेकर पारदर्शिता मुहैया कराना है।