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SEBI ने एक रिसर्च एनालिस्ट के आर्टिकल के बाद Axis Capital के खिलाफ लिया एक्शन, जानिए क्या है यह पूरा मामला

SEBI ने 19 सितंबर को एक्सिस कैपिटल के खिलाफ ऑर्डर इश्यू किया। इसके जरिए इसमें एसीएसएल पर बतौर मर्चेंट बैंकर कोई नया एसाइनमेंट लेने पर रोक लगा दी गई है। एक रिसर्च एनालिस्ट के आर्टिकल को पढ़ने के बाद मार्केट रेगुलेटर ने इस मामले की जांच की थी

अपडेटेड Sep 20, 2024 पर 10:03 AM
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रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट हेमिंद्र किशन हजारी ने यह आर्टिकल लिखा था। इसकी हेडलाइन थी-'एक्सिस कैपिटल एक इनवेस्टमेंट बैंक है या एक हेज फंड।'यह आर्टिकल 16 जनवरी, 2024 को लिखा गया था।

सेबी ने 19 सितंबर को एक्सिस कैपिटल (एसीएल) के खिलाफ एक अंतरिम ऑर्डर जारी किया। इसमें एसीएसएल पर बतौर मर्चेंट बैंकर कोई नया एसाइनमेंट लेने पर रोक लगा दी गई है। कंपनी अगले आदेश तक डेट सेगमेंट में सिक्योरिटीज के ऑफर फॉर सेल या अंडरराइटर या एरेंजर के रूप में भी सेवाएं नहीं दे सकेगी। दरअसल, एक रजिस्टर्ड एडवाइजर ने एक आर्टिकल लिखा था। इसमें एक नॉन-कनवर्टेबल डिबेंचर इश्यू के प्रबंधन में एक्सिस कैपिटल की तरफ से बरती गई अनियमितता के बारे में बताया गया था।

आर्टिकल में एक्सिस कैपिटल की गतिविधियों के बारे में बताया गया था

रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट (Research Analyst) हेमिंद्र किशन हजारी ने यह आर्टिकल लिखा था। इसकी हेडलाइन थी-'एक्सिस कैपिटल एक इनवेस्टमेंट बैंक है या एक हेज फंड।' यह आर्टिकल 16 जनवरी, 2024 को लिखा गया था। इस आर्टिकल के जरिए सेबी का ध्यान इस एनसीडी इश्यू की तरफ गया। इस आर्टिकल को बढ़ने के बाद मार्केट रेगुलेटर के अधिकारियों ने ACL की जांच की। इसके बाद सेबी के होल-टाइम डायरेक्टर (WTM) अश्विनी भाटिया ने 19 सितंबर को एसीएल के खिलाफ ऑर्डर इश्यू कर दिया।


सेबी ने मामले की जांच में नियमों का उल्लंघन पाया

सेबी ने Sojo Infotel Pvt. Ltd. के एनसीडी के मामले में एसीएल के ट्रांजेक्शन की जांच की। इसमें यह पाया गया कि एसीएल ने अंडरराइटिंग की आड़ में इस एनसीडी को गारंटी दी थी। सेबी के नियमों के मुताबिक ऐसा करने की इजाजत नहीं है। मार्केट रेगुलेटर ने यह भी पाया कि इस तरह के अरेंजमेंट से फाइनेंशियल सिस्टम को खतरा पैदा हो सकता है। इससे मार्केट का सामान्य कामकाज बाधित हो सकता है। हजारी की वेबसाइट के मुताबिक, उन्हें इंडियन कैपिटल मार्केट्स का 25 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्हें बैंकिंग और मैक्रो इकोनॉमी से जुड़े रिसर्च में विशेषज्ञता हासिल है।

डीड में ये शर्तें शामिल थीं

इस एनसीडी इश्यू के लिए सोजो, एक्सिस डिबेंचर ट्रस्टी (ADT) और एसीएल के बीच एक डिबेंचर ट्रस्टी डीड (DTD) हुआ था। सोजो ने एलआईएल के शेयरों को इस एनसीडी इश्यू के लिए बतौर सिक्योरिटी प्लेज किया था। डीटीडी में यह शर्त थी कि डिफॉल्ट की स्थिति में डिबेंचर ट्रस्टी प्लेज किए शेयरों को ले सकता है। अगर एसीएल इन शेयरों के लिए खरीदार की तलाश नहीं कर पाती है तो उसे अंडरराइटिंग के अपने कमिटमेंट को पूरा करना होगा। उसे इन शेयरों को खरीदना होगा या इनके खरीदे जाने के लिए फंड उपलब्ध कराना होगा।

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सेबी ने आदेश में क्या कहा?

सेबी के आदेश में कहा गया है कि एसीएल की तरफ से सोजो के एनसीडी के मामले में जो कमिटमेंट किया गया, उसे अंडरराइटिंग एक्टिविटी नहीं माना जा सकता। इसकी वजह यह है कि यह इस बात का एग्रीमेंट नहीं था कि अनसब्सक्राइब्ड नहीं हुए सिक्योरिटीज को वह सब्सक्राइब करेगी। इसकी जगह इसमें इस बात की गारंटी थी कि मैच्योरिटी पर डिफॉल्ट की स्थिति में वह एनसीडी को रिडीम करेगी। इसका मतलब है कि एसीएल ने अंडरराइटिंग की परिभाषा का उल्लंघन किया था।

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