SEBI के बोर्ड की बैठक 18 जून को, REIT और InvIT को इक्विटी का दर्जा सहित ये फैसले हो सकते हैं

सेबी का बोर्ड ऐसी सरकारी कंपनियों के डीलिस्टिंग के नियमों में भी बदलाव की इजाजत दे सकता है, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी या इससे ज्यादा है। इस बारे में सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर इश्यू किया था

अपडेटेड Jun 16, 2025 पर 2:15 PM
Story continues below Advertisement
सेबी के बोर्ड की बैठक में एक्सचेंजों से क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को डीमर्ज करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल सकती है।

इस हफ्ते स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टमेंट से जुड़े कई बड़े फैसले हो सकते हैं। सेबी के बोर्ड की बैठक 18 जून को होने वाली है। इसमें रीट और इनविट को इक्विटी का दर्जा देने का फैसला हो सकता है। उन सरकारी कपनियों की डीलिस्टिंग के लिए अलग नियमों को एप्रूवल मिल सकता है, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी या ज्यादा है। ईसॉप्स के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को भी इजाजत मिल सकती है।

लंबे समय से InvITs और REITs को इक्विटी के दर्जे की मांग हो रही है

इंडस्ट्री लंबे समय से REITs और InvITs के लिए इक्विटी के दर्जे की मांग कर रही है। इससे रीट और इनविट्स इक्विटी सूचकांकों में शामिल किए जा सकेंगे। कुछ देशों में रीट और इनविट्स को इक्विटी का दर्जा हासिल है। म्यूचुअल फंड्स को रीट और इनविट्स में ज्यादा निवेश की भी इजाजत मिल सकती है। अभी रीट और इनविट में इक्विटी फंडों के निवेश की नेट एसेट वैल्यू 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसे बढ़ाकर 20 फीसदी किया जा सकता है। हालांकि, डेट फंडों के लिए 10 फीसदी की लिमिट बनी रहेगी।


सरकारी कंपनियों की डीलिस्टिंग के अलग नियमों को भी मिल सकता है एप्रूवल

सेबी का बोर्ड ऐसी सरकारी कंपनियों के डीलिस्टिंग के नियमों में भी बदलाव की इजाजत दे सकता है, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी या इससे ज्यादा है। इस बारे में सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर इश्यू किया था। अभी कुछ ऐसी सरकारी कंपनियां हैं, जिनकी पब्लिक शेयर होल्डिंग काफी कम है, उनका बिजनेस मॉडल बहुत पुराना है और भविष्य की तस्वीर अच्छी नहीं है। ऐसी कंपनियों की डीलिस्टिंग के लिए मौजूदा नियमें में बदलाव के प्रस्ताव को सेबी बोर्ड की मंजूरी मिल सकती है।

ईसॉप्स के मौजूदा नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को मिल सकता है एप्रूवल

ईसॉप्स के 2021 नियमों में भी बदलाव की मंजूरी 18 जून को मिल सकती है। अगर नियमों में बदलाव हुआ तो ऐसी कंपनियों के फाउंडर्स को ईसॉप्स जारी किए जा सकेंगे, जो खुद की स्टॉक मार्केट्स में लिस्ट कराने जा रही हैं। सेबी ऐसी कंपनियों के प्रमोटर्स को ईसॉप्स रखने या उसे एक्सरसाइज करने की इजाजत दो सकता है, जो आईपीओ के प्लान के एक साल पहले ग्रांट किए गए हैं। अभी जो नियम है, उसके मुताबिक ईसॉप्स सिर्फ एंप्लॉयीज के लिए रिजर्व हैं। आईपीओ के लिए आवेदन करने से पहले फाउंडर्स को प्रमोटर्स की कैटेगरी में रखना जरूरी है। और सेबी के नियमों के मुताबिक प्रमोटर्स को ईसॉप्स इश्यू नहीं किए जा सकते।

यह भी पढ़ें: Tata motor share price : JLR के इन्वेस्टर डे से पहले टाटा मोटर्स में करीब 4% की गिरावट, जानिए क्या रही वजह

क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस पर सेबी का बोर्ड ले सकता है बड़ा फैसला

एक्सचेंजों से क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को डीमर्ज करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल सकती है। हालांकि, इस बारे में प्रस्ताव पेश होने के बाद कहा गया था कि इस मसले पर अभी ज्यादा विचार करने की जरूरत है। अगर क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को एक्सचेंजों से अलग कर दिया जाता है तो वे इंडिपेंडेंट बन जाएगा। फिर, एक्सचेंजों के उनमें निवेश नहीं करना होगा। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस को आर्थिक रूप से आजाद बना बगैर सिर्फ आजाद बनाने का कोई फायद नहीं है।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Jun 16, 2025 2:11 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।