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सिक्योराइटाइजेशन की ग्रोथ लगातार दूसरे साल सुस्त, क्या है सिक्योराइटाइजेशन?

बैंक और एनबीएफसी अपने लोन की बंडलिंग करते हैं। फिर इसे सिक्योरिटी के रूप में बेचते हैं। इस प्रोसेस को सिक्योराइटाइजेशन कहा जाता है। विकसित देशों के फाइनेंशियल मार्केट्स में इसका काफी इस्तेमाल होता है। उसके मुकाबले भारत में सिक्योराइटाइजेशन का मार्केट छोटा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 10, 2025 पर 5:41 PM
सिक्योराइटाइजेशन की ग्रोथ लगातार दूसरे साल सुस्त, क्या है सिक्योराइटाइजेशन?
इंडिया में लोन के लिए फंड की जरूरत पूरी करने के लिहाज से क्योराइटाइजेशन बैंकों के लिए अंतिम विकल्प रहा है।

लोन के सिक्योराइटाइजेशन से बैंकों और एनबीएफसी को लोन बांटने के लिए अतिरिक्त पैसा हाथ में आ जाता है। लेकिन, कर्ज की सुस्त मांग और उभरते दवाब से बैंक लोन देने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। इस वजह से लोन के सिक्योराइटाइजेशन में भी कमी देखने को मिली है। क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि सिक्योराइटाइजेशन वॉल्यूम में गिरावट आई है।

सिक्योराइटाइजेशन का मतलब 

बैंक और एनबीएफसी अपने लोन की बंडलिंग करते हैं। फिर इसे सिक्योरिटी के रूप में बेचते हैं। इस प्रोसेस को सिक्योराइटाइजेशन कहा जाता है। विकसित देशों के फाइनेंशियल मार्केट्स में इसका काफी इस्तेमाल होता है। उसके मुकाबले भारत में सिक्योराइटाइजेशन का मार्केट छोटा है। सिक्योराइटाइजेशन की सुस्त रफ्तार का असर क्रेडिट ग्रोथ पर पड़ा है। इंडिया में लोन के लिए फंड की जरूरत पूरी करने के लिहाज से सिक्योराइटाइजेशन बैंकों के लिए अंतिम विकल्प रहा है। इसके बावजूद सिक्योराइटाइजेशन मार्केट की ग्रोथ काफी ज्यादा रही है।

एनबीएफसी करती हैं ज्यादा इस्तेमाल

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