शेयर मार्केट में अभी है मौका! तेजी के इंतजार में कहीं चूक न जाए पैसा बनाने का चांस
जहां तक मार्केट ट्रेंड की बात है तो इंडिया ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन से सेफ है। लेकिन, हाई वैल्यूएशन, सुस्त पड़ती इकोनॉमिक ग्रोथ और कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ का असर मार्केट के सेंटिमेंट पर जरूर पड़ा है। इन सबके बावजूद मार्केट एक्सपर्ट्स को इंडियन कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ पर पूरा भरोसा है
उन निवेशकों का लॉस ज्यादा है जिन्होंने महंगे भाव पर ये शेयर खरीदे थे
मार्केट से पैसा कमाने के लिए आपको ब्रिलियंट होने की जरूरत नहीं है। बस आपको बाकी लोगों से कुछ ज्यादा समझदार रहना है लेकिन ये समझदारी कुछ दिन या महीनों के लिए नहीं बल्कि लंबे समय तक के लिए रहनी चाहिए। ये कहना है मशहूर इनवेस्टर चार्ली मंगेर का। मार्केट की मौजूदा वोलैटिलिटी में भी ये बात पूरी तरह सही है। पिछले कुछ समय में बाजार जिस तरह से टूटा है उसे देखकर रिटेल इनवेस्टर्स को ये डर है कि मार्केट में और गिरावट आ सकती है। लेकिन समझदार निवेशक वही है जो मार्केट में निवेश के सही मौके की पहचान कर ले। क्योंकि हर बड़ी गिरावट में आप खरीदारी कर ले, ऐसा आपके हाथ में नहीं होता।
इस बात में कोई शक नहीं है कि शेयर मार्केट फिलहाल अपना लेवल नहीं बना पा रहा है। बाजार कब ब्रेकआउट करके इस पर भी कोई एक्सपर्ट खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन इतना साफ है कि इस गिरावट में कुछ अच्छे शेयर भी टूट गए हैं और मौका है उन शेयरों में पैसा लगाने का।
मार्केट एक्सपर्ट्स ये साफ कह रहे हैं कि ये मार्केट ट्रेडिंग के लिए नहीं है। जो इनवेस्टर्स जोखिम नहीं ले सकते उन्हें मार्केट से दूर रहना चाहिए। जो इनवेस्टर्स लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहते है उन्हें थोड़ा-थोड़ा निवेश करते रहना चाहिए। इससे हर गिरावट पर आपके हाथ में पैसा रहेगा और आप एवरेजिंग कर पाएंगे या फिर किसी दूसरे शेयर में पैसा लगा सकते हैं।
लार्जकैप शेयरों में गिरावट कब थमेगी?
लार्जकैप शेयरों में पहले ही बड़ी गिरावट आ चुकी है और स्मॉल और मिडकैप और टूटने वाला है। इसलिए अगर अभी डर गए तो पैसा बनाने का एक बड़ा मौका चूक जाएंगे। लेकिन एक बात यहां साफ करना जरूरी है कि फटाफट पैसा बनाने का प्लान ना करें और लॉन्ग टर्म के शेयरों में पैसा लगाएं। ऐसे शेयर चुनें जिनका फंडामेंटल्स मजबूत हो।
अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तो आपको लॉस होने का चांस ज्यादा है। ऐसा कहना है विजय एल भंबवानी का। भंबवानी प्रॉपराइटरी ट्रेडिंग फर्म Bspl india डॉटकॉम के CEO हैं। भंबवानी कहते हैं कि 2025 में F&O ट्रेडर्स को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि इस गिरावट में उनके सामने इनिशियल मार्जिन और बड़े लॉट साइज का ध्यान रखना जरूरी है।
रिटेल इनवेस्टर्स का बिहेवियर पैटर्न गलत?
रिटेल इनवेस्टर्स के बिहेवियर को देखें तो जब ट्रेड खराब जा रहा होता है तो भी ज्यादातर ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को बनाकर रखते हैं। लेकिन ये उनकी चॉइस नहीं बल्कि मजबूरी होती है। क्योंकि रिटेल ट्रेडर स्मॉल प्रॉफिट के साथ अपना ट्रेड सेटल कर लेता है। लेकिन बात जब लॉस वाले ट्रेड की हो तो वह बड़े लॉस के साथ ट्रेड में बना रहता है। जिससे उसका कैपिटल ब्लॉक हो जाता है। लॉट साइज बढ़ने की वजह से रिटेल इनवेस्टर्स एक ऐसे ट्रेड में अपना कैपिटल फंसा देते हैं जिससे कोई रिटर्न नहीं मिलता।
खराब ट्रेडिंग से कैसे बचे निवेशक?
भंबवानी बताते हैं कि इस प्रॉब्लम से निपटने के लिए प्रोफेशनल ट्रेडर्स डाउनट्रेडिंग का इस्तेमाल करते हैं। ये डाउनट्रेडिंग बिल्कुल किसी सेल्समैन के ट्रिक की तरह है। अगर कस्टमर टॉप ब्रांड इसलिए नहीं खरीद रहा है क्योंकि उसकी कीमत ज्यादा है तो उसे कोई सस्ता प्रोडक्ट सजेस्ट कर दीजिए। अब कस्टमर महंगे ब्रांड की जगह सस्ता ब्रांड खरीद रहा है, इसे ही डाउनट्रेडिंग कहते हैं।
अगर आप पिछले कुछ महीनों के डेटा को देखेंगे तो साफ पता चला कि ट्रेडर्स का रुझान अब स्टॉक फ्यूचर्स की जगह स्टॉक ऑप्शंस में बढ़ रहा है। ये भी एक तरह की डाउन ट्रेडिंग ही है। क्योंकि ट्रेडर्स स्टॉक फ्यूचर्स का इनिशियल मार्जिन नहीं चुका पाते इसलिए वो कॉल ऑप्शंस खरीद रहे हैं।
इसमें लॉन्ग के लिए छोटी और फिक्स्ड कॉस्ट चुकानी पड़ती है। पहली नजर में ऐसा करना सही लगता है। लेकिन ये सही नहीं है।
भंबवानी कहते हैं कि रिटेल ट्रेडर खुद को बड़ी मुश्किल में डाल रहा है। ऐसा इससिए क्योंकि ऑप्शंस को 'वेस्टिंग एसेट' कहा जाता है। एक ऑप्शन बायर जो प्रीमियम चुकाता है वह समय बीतने के साथ कम होने लगता है, भले ही सिक्योरिटी का प्राइस स्टेबल रहे।
इसलिए रिटेल इनवेस्टर्स को फिलहाल ट्रेडिंग से दूर रहते हुए अच्छे शेयरों को चुनना चाहिए।
कहां और कब लगाएं पैसा?
अभी ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी की वजह से मार्केट पर असर दिख रहा है लेकिन यह शॉर्ट टर्म है। निफ्टी 26,216 के अपने रिकॉर्ड हाई से 10% से ज्यादा गिर चुका है। मिडकैप 150 इंडेक्स अपने ऑल-टाइम हाई से करीब 12 फीसदी गिरा है।
ऐसे में उन निवेशकों का लॉस ज्यादा है जिन्होंने महंगे भाव पर ये शेयर खरीदे थे। और वो अच्छे शेयर चुनने के बजाय इस बात से डरे रहेंगे कि आने वाले दिनों में मार्केट और ना टूट जाए।
भारतीय बाजार क्या अभी बेहतर हैं?
जहां तक मार्केट ट्रेंड की बात है तो इंडिया ग्लोबल इकोनॉमिक स्लोडाउन से सेफ है। लेकिन, हाई वैल्यूएशन, सुस्त पड़ती इकोनॉमिक ग्रोथ और कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ का असर मार्केट के सेंटिमेंट पर जरूर पड़ा है। इन सबके बावजूद मार्केट एक्सपर्ट्स को इंडियन कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ पर पूरा भरोसा है। कुछ कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा भी रहा है और निवेशकों को किसी भी गिरावट में पैसा लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए।