Share Market Down: भारतीय शेयर बाजार में गिरावट थमती नहीं दिख रही है। गुरुवार 9 जनवरी को लगातार दूसरे दिन घरेलू बाजार गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे। सेंसेक्स दिन के कारोबार में 528 अंक गिरकर 77,619.80 पर आ गया। वहीं निफ्टी 160 अंक टूटकर 23,528 के स्तर पर आ गया। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में टाटा मोटर्स, लार्सन एंड टूब्रो, जोमैटो, भारतीय स्टेट बैंक, सन फार्मा, पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंस और एनटीपीसी के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली। मिडकैप और स्मॉलकैप भी लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
शेयर बाजार की इस गिरावट के पीछे 5 प्रमुख कारण रहे
1. तिमाही नतीजों से पहले घबराहट
इस बीच डाबर इंडिया और हीरो मोटोकॉर्प सहित जिन कंपनियों के अभी तक कारोबारी अपडेट आए हैं, उससे भी ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि निफ्टी-50 में शामिल कंपनियों के नतीजे पिछली तिमाही के मुकाबले अच्छे होंगे। इससे घबराहट इसलिए भी है क्योंकि पिछली बार सितंबर तिमाही में इन कंपनियों के नतीजों पिछले 4 सालों में सबसे खराब थे। मिराए एसेट शेयरखान के संजीव होता ने रॉयटर्स को बताया, "दिसंबर तिमाही में धीमी अर्निंग्स ग्रोथ से जुड़ी चिंता, ट्रंप की नीतियों को लेकर अनिश्चितता और फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में अनुमान से कम कटौती की चिंता के चलते बाजार पर दबाव बना हुआ है।
2. रुपये में रिकॉर्ड गिरावट
भारतीय रुपये में लगातार गिरावट जारी है। गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 1 पैसे गिरकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.92 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार तीसरे दिन रुपये में गिरावट है। रुपये में गिरावट के अलावा क्रूड ऑयल के दाम में उछाल ने भी बाजार में अतिरिक्त दबाव डाला है। लगातार विदेशी फंड की निकासी और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल ने डॉलर की मजबूती को बढ़ाने में योगदान दिया है।
3. अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी को लेकर चिंता
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अपना पदभार संभालेंगे। उनकी ट्रेड और टैरिफ नीतियों को लेकर अनिश्चिचता बनी हुई है, जिसके चलते दुनिया भर के निवेशक सतर्क बने हुए हैं। साथ ही आगामी बजट 2025 के चलते भी निवेशक थोड़ा सावधानी बरत रहे हैं। विजयकुमार ने कहा, "ट्रंप की व्यापार नीतियों और बजट से उम्मीदें आने वाले हफ्तों में बाजार में अस्थिरता को बढ़ाएंगी।"
4. अमेरिकी फेड रेट कट की उम्मीदें हो रहीं खत्म
अमेरिका ट्रेड और इमिग्रेशन नीतियों को लेकर चिंताओं ने बाजार की बेचैनी बढ़ा दी है। CNN की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप कथित तौर पर ग्लोबल आयात पर 10 प्रतिशत और चीनी वस्तुओं पर लगभग 60 प्रतिशत ड्यूटी लगा सकते हैं। साथ ही वे इन ड्यूटी को सही ठहराने के लिए नेशनल इकोनॉमिक इमरजेंसी का ऐलान कर सकते हैं।
इनके अलावा ट्रंप कुछ अप्रवासी समूहों को निर्वासित करने की भी योजना बना रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों का मानना है कि इसके चलते अमेरिका में महंगाई से जुड़ी चिताएं फिर से वापस आ सकती हैं। इसके चलते फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में आक्रामक कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। बाजार अब 2025 में केवल एक बार 0.25 फीसदी की कटौती का ही अनुमान लगा रहा है। दूसरी कटौती की संभावना काफी कमजोर हो गई हैं।
5. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ओर से लगातार बिकवाली
इस बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से लगातार पैसे निकालना जारी रखा है। FIIs ने बुधवार को 3,362.18 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। अकेले जनवरी में, FII अब तक 10,419 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं।
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