अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 10 दिसंबर को इंटरेस्ट रेट में 0.25 फीसदी की कमी की। इसका असर 11 दिसंबर को इंडिया सहित दूसरे स्टॉक मार्केट्स पर पड़ा। फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल के ऐलान के बाद अमेरिकी बाजार भी हरे निशान में बंद हुए थे। फेड के फैसले के बाद अमेरिका में इंटरेस्ट रेट 3.5 से 3.75 फीसदी पर आ गया है। यह करीब तीन सालों में सबसे कम इंटरेस्ट रेट है। सवाल है कि फेड के फैसले का भारतीय बाजार पर कितना असर पड़ेगा?
अमेरिका में रेट घटने के बाद स्टॉक मार्केट्स में तेजी
Federal Reserve के इंटरेस्ट रेट में कमी के बाद 11 दिसंबर को इंडियन मार्केट में तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी पूरे दिन हरे निशान में बने रहे। कारोबार के अंत में निफ्टी 140 प्वाइंट्स यानी 0.55 फीसदी चढ़कर 25,898 प्वाइंट्स पर बंद हुआ। सेंसेक्स 426 यानी 0.51 फीसदी की मजबूती के साथ 84,818 प्वाइंट्स पर रहा। इंडियन मार्केट्स में तीन दिनों बाद रौनक लौटी।
अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश का आकर्षण घटेगा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि फेडरल रिजर्व का इंटरेस्ट रेट में 0.25 फीसदी कमी करने का फैसला अनुमान के मुताबिक है। हालांकि, इसका इंडियन मार्केट्स पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। इंटरेस्ट रेट में कमी से अमेरिकी बॉन्ड्स की कीमतो में मजबूत आएगी। इससे बॉन्ड्स यील्ड्स में गिरावट आएगी। इससे इनवेस्टर्स के बीच अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश का आकर्षण घटेगा। इससे वे ज्यादा रिटर्न के लिए भारत सहित उभरते बाजारों का रुख कर सकते हैं।
विदेशी फंडों के इंडिया लौटने पर रुपये को मिलेगा सहारा
फॉरेन इनवेस्टर्स के इंडियन मार्केट्स में निवेश करने का पॉजिटिव असर रुपये पर भी पड़ेगा। बीते कुछ हफ्तो में डॉलर के मुकाबले रुपया काफी कमजोर हुआ है। फॉरेन इनवेस्टर्स के इंडिया में निवेश करने पर रुपये को सहारा मिलेगा। विदेशी निवेशकों ने 2025 में इंडियन मार्केट्स में काफी बिकवाली की है। इसका असर मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ा है। 2025 में विदेशी फंडों ने इंडिया में 2.70 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी से बाजार में बड़ी गिरावट नहीं आई है।
इंडियन मार्केट्स के फंडामेंटल्स मजबूत
अगर विदेशी निवेशक इंडियन मार्केट्स में लौटते हैं तो इसका मार्केट के सेंटिमेंट पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ दुनिया में सबसे ज्यादा है। रिटेल इनफ्लेशन रिकॉर्ड लो लेवल पर है। सरकार ने रिफॉर्म्स पर फोकस बढ़ाया है। दूसरी तिमाही के कंपनियों के नतीजों ने उम्मीद जगाई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ अच्छी रह सकती है। इन सब वजहों से आगे इंडियन मार्केट्स में अच्छी तेजी दिख सकती है।