इस सम्वत का आज (10 नवंबर) आखिरी ट्रेडिंग डे है। यह साल मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर दांव लगाने वाले निवेशकों के लिए शानदार रहा। हालांकि, वैल्यूएशन ऐसे लेवल पर पहुंच गया है, जहां से पिछले 12 महीनों जैसा रिटर्न देना मुश्किल होगा। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि बाजार में मौकों की कमी है। उन स्टॉक्स में निवेश के मौके होंगे, जिन्होंने इस रैली में हिस्सा नहीं लिया है।
MCX का स्टॉक 9 नवंबर को 6 फीसदी टूटा। दूसरी तिमाही में कंपनी को लॉस का अनुमान पहले से था। इसकी वजह 63 Moons के साथ लाइसेंस डील हो सकती है। लेकिन, इनवेस्टर्स का मानना है कि कमोडिटी ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में काफी मौके हैं। Stallion Asset के अमित जेसवानी के मुताबिक, NSE को प्रत्येक 1 रुपये के फ्यूचर पर ऑप्शंस में 300 रुपये की ट्रेडिंग दिखती है। MCX में हर 1 रुपये के फ्यूचर्स पर 3 रुपये का ऑप्शंस है। इसलिए एमसीएक्स के लिए बहुत ज्यादा संभावना है। एमसीएक्स के मैनेजमेंट में कॉन्फ्रेंस कॉल में बताया था कि फॉरेन फंड हाउसेज DMA (डायरेक्ट मार्केट एक्सेस) की फैसिलिटी चाहते हैं। इससे वे ब्रोकर्स को कॉल करने की जगह सीधे ट्रेड कर सकेंगे। अगर इसे एप्रूवल मिल जाता है तो MCX पर वॉल्यूम काफी बढ़ जाएगा।
साल दर साल आधार पर कंपनी के प्रॉफिट में करीब 98 फीसदी गिरावट आई है। सेल्स वॉल्यूम कम रहने से टॉपलाइन कमजोर रही है। अगर Metro Brands को छोड़ दिया जाए तो यह साल फुटवियर स्टॉक्स के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है। पिछले साल इस वक्त समीर अरोड़ा 2-3 साल के लिहाज से Campus को लेकर बहुत बुलिश दिख रहे थे। लेकिन, उसके बाद से उन्होंने कैंपस के बारे में कोई बयान नहीं दिया है। अब कैंपस ने स्निकर्स और प्रोडक्ट डायवर्सिफिकेशन पर फोकस बढ़ाया है। लेकिन, इसके नतीजे दिखने में समय लगेगा। फिलहाल, फॉरने इनवेस्टर्स के साथ ही म्यूचुअल फंड फुटवियर स्टोरी से दूरी बनाते दिख रहे हैं। उन्होंने इस तिमाही इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई है।
यह स्टॉक 12 फीसदी गिरा है, क्योंकि कंपनी ने FY24 के लिए गाइडेंस घटाकर 670-700 करोड़ रुपये कर दिया है। पहले उसने 830-860 करोड़ रुपये का गाइडेंस दिया था। इसकी वजह यह क्लीन एनर्जी सेक्टर से ऑर्डर के कनफर्मेशन की जगह शिपमेंट प्लान का टलना (deferment) है। इसमें निवेशकों के लिए एक बड़ा सबक है। वह यह है कि ऑर्डर हासिल करना सिर्फ आधी लड़ाई जीतने जैसा है। आखिरकार ऑर्डर का कैश में कनवर्ट होना जरूरी है। इसके बगैर वैल्यूएशन टिक नहीं सकती।
कंपनी के लिए प्रतियोगिता बढ़ी है, जिसका असर इसके प्रदर्शन पर दिख रहा है। Royal Enfield को Harley Davidson और ट्रायम्फ जैसे मॉडल से टक्कर मिल रही है। ये दोनों मॉडल क्रमश: Hero और Bajaj ने पेश किए हैं। ऐसे में आयशर मोटर्स के लिए चिंता बढ़ रही है। Soham Assemt Managers के संजय पारेख ने सीएनबीसी-टीवा18 को बताया है कि उन्होंने कंपनी में निवेश बढ़ाया है, क्योंकि नए प्रोडक्ट लॉन्च होने से कंपनी को प्रतियोगित का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। Antique Stock ने कहा है कि पिछले 3 महीनों में रॉयल एनफील्ड की औसत मंथली वॉल्यूम साल दर साल आधार पर 9 फीसदी ज्यादा है। एंटिक ने गूगल ट्रेंड के डेटा का हवाला दिया है, जिससे पता चलता है कि रॉयल एनफील्ड की सर्च एक्टिविटी जारी है, जबकि लॉन्चिंग के बाद से हार्ली और ट्रायम्फ की सर्च एक्टिविटी में कमी आई है।