Short Call: शेयर बाजार बना निवेशकों का नया सेविंग अकाउंट; एशियन पेंट्स और आरती इंडस्ट्रीज के शेयरों पर है आज फोकस

Short Call: एशियन पेंट्स के शेयर सोमवार 11 नवंबर को लगभग 8 फीसदी गिरकर 2,547.8 रुपये के भाव पर बंद हुए। कई ब्रोकरेज फर्मों ने कंपनी के सितंबर तिमाही के कमजोर प्रदर्शन पर निराशा जताई है। इसी के बाद इसके शेयरों में यह गिरावट आई। हालांकि बुल्स का कहना है कि बिरला ओपस के मार्केट में एंट्री का सितंबर तिमाही में न्यूनतम असर पड़ा क्योंकि यह अभी भी अपना स्केल बढ़ा रहा है

अपडेटेड Nov 12, 2024 पर 10:41 AM
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Short Call: आरती इंडस्ट्रीज के शेयर तिमाही नतीजों के बाद फोकस में बने हुए हैं

Short Call: कोरोना महामारी के दौरान जब लोग घर पर बैठे थे और उनके पास खर्च करने के लिए सीमित विकल्प थे, तब उन्होंने शेयर बाजार का रुख किया। रिटेल निवेशकों के बढ़े निवेश, कम वैल्यूएशन ने शेयर मार्केट्स को निवेश का एक आकर्षक विकल्प बना दिया। यहां तक कि लोगों ने तेजी से मुनाफा कमाने के लिए फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) की ओर भी बड़े पैमाने पर रुख किया। निवेशकों के इस उत्साह ने शेयर बाजार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। बाजार ने महामारी के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की और अब हर साल नया रिकॉर्ड स्तर बना रहा है।

अधिकतर एनालिस्ट्स का मानना है कि इसमें मुख्य योगदान रिटेल निवेशकों और SIP के जरिए बाजार में आने वाले निवेश का रहा, जिन्होंने ग्लोबल आर्थिक मंदी के दौर में भी बाजार को संजीवनी दी।

पारंपरिक सेविंग्स अकाउंट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट्स के बजाय, अब अधिक लोग शेयर बाजार में निवेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस बदलाव का रुझान फिलहाल रुकने वाला नहीं दिखता। अक्टूबर के महीने में SIP (सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान्स) के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश का आंकड़ा 25,322 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।


"इनवेस्टमेंट" यानी निवेश अब "सेविंग्स" का नया मंत्र बन गया है। इसे "फाइनेंशियलाइजेशन ऑफ सेविंग्स" कहा जा रहा है, जिसमें लोग अपने पारंपरिक सेविंग विकल्पों की जगह शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं। पिछले एक दशक में वेल्थ क्रिएशन का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी से आया है, जबकि सालाना बचत का केवल 3 प्रतिशत ही इस इसमें निवेश हुआ है।

मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय परिवारों के पास लगभग 9.7 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में आ सकता है। शेयर में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न सबसे अच्छा माना जाता रहा है और इसके मुकाबले FD से 7 प्रतिशत रिटर्न कमाने की धारणा अब कमजोर चुकी है।

भारत के लिए इस बदलाव के क्या मायने हैं? खैर, एक बात तो यह है कि बाजार में किसी भी तरह की बड़ी मंदी आने की संभावना नहीं है। सभी करेक्शन जल्दी से संभल जाएंगे और बाजार निवेशकों को समय के साथ स्थिर डबल-डिजिट रिटर्न देने के लिए तैयार है। एनालिस्ट्स का मानना है कि शेयर मार्केट में उछाल अभी शुरू ही हुआ है और इस रैली के जारी रहने की संभावना है।

एशियन पेंट्स (Asian Paints)

सोमवार 11 नवंबर को यह शेयर लगभग 8 फीसदी गिरकर 2,547.8 रुपये के भाव पर बंद हुए। कई ब्रोकरेज फर्मों ने कंपनी के सितंबर तिमाही के कमजोर प्रदर्शन पर निराशा जताई है। इसी के बाद इसके शेयरों में यह गिरावट आई। बुल्स का कहना है कि बिरला ओपस के मार्केट में एंट्री का सितंबर तिमाही में न्यूनतम असर पड़ा क्योंकि यह अभी भी अपना स्केल बढ़ा रहा है। मांग में देरी और ग्रामीण इलाकों में रिकवरी के चलते FY25 की दूसरी छमाही में वॉल्यूम बढ़ सकता है। सितंबर तिमाही के दौरान बेहतर सेल्स मिक्स और हाल ही में कीमतों में हुई बढ़ोतरी का पूरा असर देखने को मिलेगा।

वहीं बेयर्स का कहना है कि असमान्य रूप से मॉनसून के लंबा रहने, कमजोर कंज्यूमर सेंटीमेंट और शहरी मार्केट पर अधिक फोकस के चलते कंपनी के डेकोरेटिव वॉल्यूम्स में गिरावट आई है। दूसरी छमाही में भी कंपनी की सेल्स और EBITDA के सपाट बने रहने या कमजोर रहने का अनुमान है। इसके ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन (GPM) में भी गिरावट आई है। इसके पीछे अधिक मार्जिन वाले एक्स्टीरियर पेंट्स की कम बिक्री, कच्चे माल की लागत में इजाफा, कमजोर मांग और कॉम्पिटीशन के चलते डीलर्स ओर से दिए जाने वाले डिस्काउंट जैसे कारण रहे।

आरती इंडस्ट्रीज (Aarti Industries)

सोमवार 11 नवंबर को यह शेयर लगभग 7.4 फीसदी गिरकर 439.25 रुपये के भाव पर बंद हुए। इस गिरावट के पीछे कंपनी के सितंबर तिमाही में कमजोर प्रदर्शन मुख्य वजह रहा। बुल्स का कहना है कि पिछले तीन महीनों में स्टॉक में 42 प्रतिशत से अधिक की भारी गिरावट देखी गई है। नुवामा के मुताबिक यह गिरावट कंपनी के वैल्यूएशन को आकर्षक बनाता है। कंपनी वैल्यू चेन में आगे बढ़ रही है और एक पसंदीदा ग्लोबल सप्लायर्स के रूप में उभर रही है, जो इंडस्ट्री की स्थिति में सुधार होने पर इसके ग्रोथ में सहायता करेगी।

वहीं बेयर्स का कहना है कि इंडस्ट्री के सामने आई चुनौतियों के चलते इसके प्रमुख उत्पाद के मार्जिन पर भारी दबाव है, जिससे अर्निंग ग्रोथ के धीमी होने की आशंका है। कंपनी के मैनेजमेंट ने भी अपने EBITDA गाइडेंस को कम किया है, जो निकट भविष्य में राहत की कोई संभावना नहीं होने का संकेत देता है।

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