यह स्पष्ट है कि यह वह बजट नहीं है, जिसकी उम्मीद स्टॉक मार्केट ने लगाई थी। हालांकि, 23 जुलाई को जिस तरह से मार्केट की क्लोजिंग हुई, उससे ऐसा लगता है कि मार्केट ज्यादा कैपिटल गेंस के साथ चलने के लिए तैयार है। डोमेस्टिक और फॉरेन इनवेस्टर्स की तरफ से हो रहे निवेश की वजह से सिस्टम में लिक्विडिटी काफी ज्यादा है। इससे ऐसा लगता है कि चाहे जितनी भी खराब खबर आए मार्केट गिरने वाला नहीं है। एक म्यूचुअल फंड हाउस के फंड मैनेजर ने शॉर्ट कॉल को बताया कि इनवेस्टर्स इसलिए नहीं निवेश कर रहे हैं कि फंडामेंटल्स मजबूत हैं बल्कि वे इसलिए पैसे लगा रहे हैं कि उन्हें लगता है कि एसआईपी के जरिए होने वाले निवेश से मार्केट को सपोर्ट मिलता रहेगा। ऐसी सोच खतरनाक लगती है।
उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड्स में लगातार पैसा आ रहा है। न्यू फंड ऑफर (NFO) में भी निवेशक खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं। लेकिन, सिर्फ लिक्विडिटी मार्केट को संकट से नहीं बचा सकती। UTI की मास्टरगेन 92 स्कीम इसका उदाहरण है। इस स्कीम में 1992 में निवेशकों ने खूब दिलचस्पी दिखाई थी। एनएफओ पीरियड में इस स्कीम में 4,472 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। तब बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह अमाउंट काफी ज्यादा था। लेकिन, अगले साल हर्षद मेहता घोटाला सामने आने के बाद यह स्कीम मार्केट को डूबने से नहीं बचा पाई।
मार्केट ने भले ही बजट में आने वाली खराब खबरों से उबरने की कोशिश की है। लेकिन, अनुभवी निवेशक सावधानी बरत रहे हैं। हाई वैल्यूएशन को सपोर्ट करने वाली कोई वजह नहीं दिख रही। बजट में मार्केट को सपोर्ट देने वाला कोई ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में सिर्फ लिक्विडिटी मार्केट को हर मुश्किल से नहीं उबार सकती। मार्केट के दिग्गज इनवेस्टर्स ने अपने लंबे करियर में कई बार ऐसा होते देखा है।
कंपनी के शेयर का प्राइस 23 जुलाई को 57 रुपये था। पहली तिमाही में कंपनी का प्रॉफिट साल दर साल आधार पर तीन गुना हो गया। ऑपरेशन से रेवेन्यू 50 फीसदी बढ़ा है। इसलिए ब्रोकरेज फर्म इस स्टॉक को लेकर उत्साहित (Bullish) हैं। कंपनी की बैलेंसशीट मजबूत है। सरकार का फोकस रिन्यूएबल एनर्जी पर बढ़ा है। इसका फायदा Suzlon Energy को मिलेगा। यूटिलिटी, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल (C&I) सेगमेंट में डिमांड बढ़ रही है। यह कंपनी के लिए अच्छी खबर है। बेयर्स की दलील है कि अच्छी ग्रोथ की संभावना के बावजूद मार्केट ने सूजलॉन के प्रदर्शन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। सरकार की पॉलिसी में बदलाव से कंपनी के लिए रिस्क पैदा हो सकता है। साइट तैयार होने में देरी की वजह से डिलीवरी में ज्यादा समय लग रहा है, जो बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच चिंता पैदा करता है।
कंपनी के शेयर का प्राइस 23 जुलाई को 967 रुपये था। कंपनी के एमडी और सीईओ अनुज पोद्दार ने इस्तीफा दे दिया है। बेयर्स का मानना है कि पोद्दार के जाने से कंपनी के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि कंपनी में बदलाव लाने में उनका बड़ा हाथ था। पिछली चार तिमाहियों से प्रॉफिट पर दबाव दिखा है। उधर, बुल्स की दलील है कि कंपनी का मर्फी रिचर्ड्स ब्रांड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। अगर पोद्दार की जगह उनके जैसा कोई दूसरा एग्जिक्यूटिव आता है तो इसका आगे Bajaj Electricals के स्टॉक पर अच्छा असर पड़ेगा।
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इस कंपनी का स्टॉक 23 जुलाई को 5,510 रुपये पर बंद हुआ। ब्रोकरेज फर्मों ने Supreme Industries की रेटिंग घटाई है। इसके शेयरों के टारगेट प्राइस भी घटा दिए हैं। इसकी वजह यह है कि पहली तिमाही में कंपनी का प्रॉफिट उम्मीद से कम रहा। बुल्स की दलील है कि पीवीसी की कीमतों में स्थिरता आई है, जिससे अगस्त मध्य के बाद डिमांड में रिकवरी दिख सकती है। कंपनी नए प्रोडक्ट्स की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश कर रही है। इससे आगे ग्रोथ बढ़ने की संभावना है। बेयर्स का कहना है कि कंपनी के शेयर काफी महंगे हो चुके हैं। पहली तिमाही में वॉल्यूम और मार्जिन में गिरावट आई, जिसका असर प्रॉफिट पर पड़ा। पीवीसी की कीमतें में गिरावट की वजह से जून-जुलाई के दौरान मांग कमजोर रही।