Credit Cards

भारतीय बाजारों में FII की बिकवाली से क्या आपको होना चाहिए चिंतित, एक्सपर्ट्स से जानिए ऐसे में क्या हो आपकी निवेश रणनीति

मुंबई स्थित म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर अभय माथुरे का कहना है कि अपने निवेश लक्ष्य तय करें। अपने लॉन्ग टर्म गोल को हासिल करने के लिए इक्विटी में निवेश करें। बाजार के भेड़-चाल से बचें.

अपडेटेड Mar 22, 2022 पर 11:24 AM
Story continues below Advertisement
जानकारों की सलाह है कि आप अपने निवेश निर्णय संस्थागत निवेशकों के आधार पर ना लेकर अपनी प्राथमिकताओं, क्षमताओं और विश्लेषण के आधार पर लें और इसके लिए किसी एक्सपर्ट्स वित्तीय सलाहकार की सहायता लें.

बाजार में संस्थागत निवेशकों खासकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली रिटेल इन्वेस्टरों में परेशानी का सबब बन जाती है। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से भारतीय बाजारों में एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं। हालांकि इस बीच घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की खरीदारी ने बाजार में संतुलन बनाए रखना का काम किया है। चूंकि संस्थागत निवेशकों द्वारा की जाने वाली खरीद और बिक्री को सचेत निवेशकों (इन्फॉर्म्ड इन्वेस्टर्स ) द्वारा लिया गया एक्शन माना जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि रिटेल निवेशकों को क्या करना चाहिए। यहां हम इसी पर करेंगे चर्चा।

संस्थागत निवेशकों की खरीद-बिक्री

इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही FII की तरफ से लगातार बिकवाली देखने को मिल रही है। 15 मार्च 2022 तक FII ने भारतीय बाजारों में 1.4 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है और इसी अवधि में DII ने भारतीय बाजारों में 2.1 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की है। DII घरेलू रिटेल निवेशकों के पैसे यह मान कर भारतीय इक्विटीज में लगा रहे हैं कि आगे बाजार में तेजी देखने को मिलेगी। हालांकि ग्लोबल लेवल पर देखें तो स्थितियां इतनी अच्छी नजर नहीं आ रही हैं। क्योंकि बढ़ते महंगाई के दबाव के चलते दुनियाभर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।


BofA Securities द्वारा कराए गए औ र 15 मार्च को प्रकाशित ग्लोबल फंड मैनेजर सर्वे के मुताबिक फंड मैनेजरों द्वारा मेनटेन रखा जाने वाला कैश लेवल अप्रैल 2020 के बाद के हाई लेवल पर है और ग्रोथ से जुड़ी उम्मीद जुलाई 2008 के बाद के निचले स्तर पर है। ऐसे में FII की तरफ से होने वाली सेलिंग अपने में कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

इस समय बाजार में भारी उथल-पुथल नजर आ रही है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी, कमोडिटी की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी कुछ ऐसे कारण है जो बाजार में भारी उतार-चढ़ाव का कारण बने हैं। बाजार में लगभग हर दिन कुछ ना कुछ नई अच्छी बुरी खबर आती है उसी के आधार पर स्टॉक अपना रिएक्शन दे रहे हैं। ऐसे में बाजार में संस्थागत निवेशकों के एक्शन जैसे फैक्टर के आधार पर निर्णय लेने का कोई मतलब नहीं होता।

संस्थागत निवेशक अक्सर अपना निर्णय हर एसेट क्लास के तुलनात्मक विश्लेषण के आधार पर लेते हैं। उनको बाजार और तमाम एसेट क्लास से जुड़ी कई जानकारियां रिटेल निवेशकों से पहले मिल जाती हैं। ऐसे में रिटेल निवेशकों के लिए ज्यादा बेहतर तरीका यह है कि अपना निवेश निर्णय अपने पास उपलब्ध जानकारियों के विश्लेषण के आधार पर लें। संस्थागत निवेशकों के पिछलग्गू न बने।

Money Honey Financial Services के अनूप भईया (Anup Bhaiya) का कहना है कि हमारे फ्रंट लाइन स्टॉक सूचकांकों का वैल्यूएशन काफी बेहतर है। इक्विटी मार्केट में कुछ ऐसे पॉकेट हैं जो इस समय काफी अच्छे वैल्यूएशन में मिल रहे हैं। निवेशकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उसी समय सबसे बेहतर रिटर्न मिलता है जब बाजार अपने वोलैटाइल फेज में होता है। उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छे तरीके से प्रबंधित डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड में किस्तों में किया गया निवेश 3-5 सालों में काफी बेहतर रिटर्न दे सकता है।

Sukhanidhi Investment Advisors के Vinayak Savanur का कहना है कि संस्थागत निवेशक अपनी खरीद बिक्री का निर्णय उनके पास आने वाले मनी फ्लो के हिसाब से भी लेते हैं। उनका किसी भी शेयर में निवेश करने और उससे बाहर निकलने का निर्णय आपके निर्णय से मेल खाए यह जरूरी नहीं है। संस्थागत निवेशक कई कारणों से बिकवाली करते है जिसमें साल के अंत में होने वाली मुनाफावसूली , प्रोडक्ट और स्ट्रैटजी की मैच्योरिटी, अलग-अलग जियोग्रॉफी में होने वाले बदलाव और रिलेटिव रिस्क परसेप्शन जैसे कारण हो सकते हैं। इनका कई बार किसी स्टॉक के क्वालिटी और वैल्यूएशन से कोई संबंध नहीं होता। ऐसे में रिटेल निवेशकों को संस्थागत निवेशकों के एक्शन के आधार पर ही अपना निर्णय नहीं लेना चाहिए।

ऐसे में जानकारों की सलाह है कि आप अपने निवेश निर्णय संस्थागत निवेशकों के आधार पर ना लेकर अपनी प्राथमिकताओं, क्षमताओं और विश्लेषण के आधार पर लें और इसके लिए किसी एक्सपर्ट्स वित्तीय सलाहकार की सहायता लें।

निफ्टी के लिए शॉर्ट टर्म ट्रेंड अच्छा, जोरदार रिटर्न के लिए मिडकैप स्टॉक्स पर करें फोकस

मुंबई स्थित म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर अभय माथुरे का कहना है कि अपने निवेश लक्ष्य तय करें। अपने लॉन्ग टर्म गोल को हासिल करने के लिए इक्विटी में निवेश करें। बाजार के भेड़-चाल से बचें। उन्होंने आगे कहा एसआईपी के जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते ही आप अपना आधा काम पूरा कर लेते हैं और शेष आधा बचा काम मुश्किल भरें बाजार में भी अपने निवेश में टिक रहकर किया जा सकता है।

जानकारों की सलाह है कि वोलैटाइल बाजार में डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों में अपने लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल के लिए निवेश करके तय अवधि से पहले ही लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।