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एक तरफ खराब गवर्नेंस तो दूसरी ओर शेयरों में तेजी, क्या करें Siemens के इनवेस्टर्स?

पिछले कई सालों से सीमेंस की तरफ से की गई डील पर सवाल उठते रहे हैं। कंपनी ने ऐसी वैल्यूएशंस पर डील की है, जो इसकी जर्मन पेरेंट कंपनी के लिए फायदेमंद रहे हैं। लेकिन, ये इंडिया में सीमेंस इंडिया के शेयरधारकों के हित के खिलाफ रहे हैं। सीमेंस इंडिया शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी है

अपडेटेड Aug 02, 2023 पर 11:35 AM
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2 अगस्त को सीमेंस के शेयरों पर दबाव देखने को मिला। सुबह 10:56 बजे कंपनी का शेयर करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ 3,852 रुपये था। हालांकि, पिछले छह महीने में इस शेयर ने 31 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है।
     
     
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    Siemens India ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसके एलवी मोटर्स बिजनेस को एक सब्सिडियरी (Privately Owned) को बेचने के बोर्ड के प्रस्ताव को माइनॉरिटी शेयरधारकों ने नामंजूर कर दी है। इसके बाद कंपनी के शेयर में उछाल देखने को मिला था। लेकिन, अगले दिन यानी 1 अगस्त को शेयर में 2 फीसदी गिरावट आई। कंपनी के एलवी बिजनेस का क्या होगा, इस बारे में अभी तस्वीर साफ नहीं है। ऐसे में फंड मैनेजर्स का रुख इस शेयर को लेकर मिलाजुला है। इस शेयर के बारे में ज्यादातर एनालिस्ट्स ने जो टारगेट प्राइस दिए हैं, वह शेयर के करेंट प्राइस से ज्यादा है।

    एलवी मोटर्स बिजनेस का फैसला माइनॉरिटी निवेशकों को पसंद नहीं आया

    सीमेंस इंडिया के बोर्ड ने 19 मई को कंपनी के लो वोल्टेज मोटर्स डिवीजन को एक प्राइवेट कंपनी को बेचने के प्रस्ताव को एप्रूव कर दिया था। यह डील 2,200 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन पर हुई। कंपनी का यह फैसला निवेशकों को पसंद नहीं आया। फंड मैनेजर्स भी इस फैसले से निराश दिखे। इस डील को माइनॉरिटी शेयरधारकों के साथ धोखे के रूप में देखा गया। यही वजह थी कि 22 मई को सीमेंस इंडिया के शेयर में 10 फीसदी गिरावट आई थी। ज्यादातर एनालिस्ट्स ने इस डील को माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हित के खिलाफ बताया। उन्होंने इस शेयर के टारगेट प्राइस घटा दिए। कंपनी की रेटिंग में भी कमी की गई।


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    सीमेंस इंडिया में जर्मन पेरेंट कंपनी की 75 फीसदी हिस्सेदारी

    Siemens India में संस्थागत शेयरधारकों की 12.79 फीसदी हिस्सेदारी है। रिटेल शेयरहोल्डर्स की हिस्सेदारी 7.62 फीसदी है। जर्मनी की पेरेंट कंपनी Siemens AG की हिस्सेदारी 75 फीसदी है। एलवी मोटर्स बिजनेस को बेचने के प्रस्ताव पर माइनॉरिटी शेयरधारकों को वोट करने को कहा गया था। शुक्रवार को पोस्टल बैलेट से हुई वोटिंग में माइनॉरिटी शेयरधारकों ने बोर्ड के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

    कई डील पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल

    इस बारे में ब्रोकरेज फर्म Jeffries ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "इस मामले में आगे कई तरह की स्थितियां बन सकती हैं। इस मसले का सॉल्यूशन मिलने तक डील में देरी हो सकती है। इंडिया बिजनेस के स्ट्रक्चर में किसी तरह के बदलाव का निगेटिव असर पड़ेगा।" पिछले कई सालों से सीमेंस की तरफ से की गई डील पर सवाल उठते रहे हैं। कंपनी ने ऐसी वैल्यूएशंस पर डील की है, जो इसकी जर्मन पेरेंट कंपनी के लिए फायदेमंद रहे हैं। लेकिन, ये इंडिया में सीमेंस इंडिया के शेयरधारकों के हित के खिलाफ रहे हैं। सीमेंस इंडिया शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी है।

    कंपनी के फैसले शेयरधारकों के हित के खिलाफ

    एक्सिस कैपिटल के एनालिस्ट्स ने 22 मई को अपनी रिपोर्ट में शेयरधारकों की नाराजगी का जिक्र किया था। उसने कहा था कि इनसान से एक बार गलती हो सकती है। लेकिन, बार-बार होने वाली गलती को क्या कहा जाएगा। 2006 के बाद से हुई डील्स के विश्लेषण से पता चलता है कि सीमेंस इंडिया ने कई लॉस मेकिंग कंपनियों को ज्यादा वैल्यूएशंस पर खरीदे। इसी तरह कुछ बिजनेसेज को काफी ज्यादा वैल्यूएशंस पर अपनी सब्सिडियरी कंपनियों को बेच दिए।

    छह महीनों में शेयरों ने दिया 31 फीसदी रिटर्न

    2 अगस्त को सीमेंस के शेयरों पर दबाव देखने को मिला। सुबह 10:56 बजे कंपनी का शेयर करीब 1 फीसदी की गिरावट के साथ 3,852 रुपये था। हालांकि, पिछले छह महीने में इस शेयर ने 31 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है। इस साल इसका रिटर्न 36 फीसदी है। एक साल में इसने 40 फीसदी रिटर्न दिया है। इस तरह इसके शेयर ने मार्केट के प्रमुख सूचकांकों से ज्यादा रिटर्न दिया है।

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