Share Markets: ग्लोबल अस्थिरता और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में चल रही अनिश्चितताओं के बीच भारतीय शेयर बाजार में 5–6 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। यह कहना है HDFC सिक्योरिटीज में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के रिसर्च हेड वरुण लोचाब का। मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में लोचाब ने कहा, “भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं को लेकर लगातार अनिश्चितता बनी हुई है। भारत से इंपोर्ट पर 50% टैरिफ लागू किया जाना, H-1B वीजा फीस में बढ़ोतरी और फार्मा उत्पादों पर टैरिफ जैसे फैसले शेयर बाजार में अनिश्चतता का माहौल पैदा कर रहे हैं।”
लोचाब का मानना है कि मीडियम टर्म में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ शेयर बाजार को सपोर्ट देने में अहम भूमिका निभा सकती है और यही आगे की तेजी का मुख्य ट्रिगर भी होगी।
RBI से आगे दरों में कटौती की उम्मीद नहीं?
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में आरबीआई ने रेपो रेट में 100 बेसिस प्वाइंट (bps) की कमी की है और महंगाई का स्तर भी फिलहाल आरामदायक दायरे में है। RBI के पास दरों में 25-50 बेसिस प्वाइंट्स की और कटौती की गुंजाइश है। हालांकि जून तिमाही के मजबूत जीडीपी आंकड़ों और हाल ही में हुई जीएसटी कटौती से कंजम्प्शन में आए उछाल को देखते हुए, हमें उम्मीद नहीं है कि RBI मौजूदा साइकल में पॉलिसी रेट्स में आगे कोई और कटौती करेगा।
सितंबर तिमाही में कैसी रहेगी कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ?
यह पूछे जाने पर कि सितंबर तिमाही में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ कैसी रह सकती है? वरुण लोचाब ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (Q2FY26) में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में बड़ी गिरावट या सुस्ती की संभावना नहीं है। हालांकि, कुछ सेक्टर के परफॉर्मेंस में साफ तौर पर अंतर देखने को मिल सकती है।
लोचाब का मानना है कि कमोडिटी सेगमेंट, खासकमेटल्स और ऑयल-गैस सेक्टर इस तिमाही में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। वहीं, स्टील सेक्टर को सरकार की ओर से कई कैटेगरी पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने से अतिरिक्त सपोर्ट मिल सकता है। दूसरी ओर उन्होंने बैकिंग सेक्टर पर दबाव जारी रहने की संभावना जताई है।
दरअसल, बैंक नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) कंप्रेशन के अंतिम चरण से गुजर रहे हैं। डिपॉजिट्स की री-प्राइसिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसका पूरा असर तीसरी तिमाही (Q3FY26) से दिखाई देगा। इसके चलते दूसरी तिमाही में भी बैंकों की कमाई पर हल्का दबाव बन सकता है।
5–6% करेक्शन की संभावना बरकरार
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत-अमेरिका के बीच जारी व्यापार वार्ता और अधिक खिंचती हैं, तो शेयर बाजार में 5–6% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया फैसलों ने निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ा दी है। इनमें भारतीय एक्सपोर्ट पर 50% टैरिफ लागू करना, H1B वीजा फीस में बढ़ोतरी और ब्रांडेड दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ जैसे कदम शामिल है।
हालांकि, घरेलू मोर्चे पर त्योहारी सीजन के दौरान मजबूत मांग, जीएसटी रेट कटौती के पॉजिटिव असर और कम ब्याज दरों से मिलने वाला सपोर्ट शेयर बाजार को कुछ हद तक संभाले रख सकता है। लोचाब के मुताबिक मीडियम टर्म में शेयर बाजार में असली मजबूती कंपनियों के तिमाही नतीजों से ही आएगी।
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