Global Markets Crash: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए गए जवाबी टैरिफ ने पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में हड़कंप मचा दिया है। वॉल स्ट्रीट से लेकर एशिया और यूरोप तक हर बाजार में जबरदस्त बिकवाली देखी गई। हालांकि, इस चौतरफा गिरावट के बीच में भी भारतीय शेयर बाजारों ने तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले सीमित गिरावट देखी गई।
किस देश को सबसे बड़ा झटका?
सबसे अधिक गिरावट एशियाई शेयर बाजारों में देखने को मिली। इसमें भी हांगकांग का मार्केट टॉप पर रहा। हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 13 प्रतिशत तक गिर गया, जो हाल के सालों में इसमें आई सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट रही। ताइवान का बेंचमार्क इंडेक्स 9.7 प्रतिशत तक गिर गया, जिसके बाद इसमें ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 7.4% लुढ़क कर अब बियर मार्केट जोन में प्रवेश कर गया है।
भारत रहा तुलनात्मक रूप से बेहतर
इन सबके बीच भारतीय शेयर बाजार की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर रही। सेंसेक्स 2,226 अंक या 2.95 प्रतिशत गिरकर 73,137 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 3.24 फीसदी टूटकर 22,161 के स्तर पर बंद हुआ। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत की अमेरिकी निर्यात पर निर्भरता बहुत कम है और जीडीपी के करीब दो प्रतिशत के बराबर है। इसके चलते ट्रंप टैरिफ का भारत का पर सीधा असर सीमित रहने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा भारत की डायवर्सिफाइड ट्रेड पॉलिसी ने भी इसे बाकी एशियाई देशों की तुलना में अधिक सुरक्षित बनाया है।
ब्रोकरेज फर्म JM फाइनेंशियल के अनुसार भारत की ट्रेड पॉलिसी डायवर्सिफाई और उस पर लगे अपेक्षाकृत कम टैरिफ के चलते भी इसे बाकी एशियाई देशों की तुलना में कम नुकसान हुआ है। इसके बावजूद ग्लोबल अनिश्चितता, कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव और जवाबी टैरिफ की आशंका के कारण निवेशकों की चिंता बनी हुई है।
वेंचुरा सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड विनीत बोलिंजकर का कहना है टैरिफ के चलते अमेरिका में खपत में गिरावट आने की आशंका है, जिससे ग्लोबल स्तर पर सप्लाई का दबाव बढ़ेगा और कई अहम कमोडिटी की कीमतों में गिरावट आएगी। इससे ग्लोबल इकोनॉमी में डिफ्लेशन का खतरा बढ़ सकता है।
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