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Stock Markets: विदेशी और देशी इनवेस्टर्स का निवेश जारी रहेगा, कोई ताकत इंडियन मार्केट्स को रोक नहीं पाएगी

हेलियस कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा का मानना है कि पाकिस्तान के साथ खुलकर युद्ध होने की सिर्फ 1 फीसदी आसार हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बारे में इनवेस्टर्स के लिए किसी तरह का अनुमान लगाना मुश्किल है

अपडेटेड May 09, 2025 पर 1:46 PM
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अरोड़ा ने कहा कि पिछले दो सालों में इंडियन मार्केट्स को लोकल इनवेस्टर्स का बड़ा सहारा मिला है।

पाकिस्तान से बढ़ते टकराव से क्या आपको शेयरों में अपने निवेश की चिंता सता रही है? अगर हां तो आपको समीर अरोड़ा की बातों पर गौर करना चाहिए। अरोड़ा हेलियस कैपिटल के फाउंडर हैं। उनकी गिनती दिग्गज फंड मैनेजर्स में होती है। उन्हें बाजार का कई दशकों का अनुभव है। उनकी बातें काफी सटीक होती हैं। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान के साथ खुलकर युद्ध होने की सिर्फ 1 फीसदी आसार हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बारे में इनवेस्टर्स के लिए किसी तरह का अनुमान लगाना मुश्किल है।

इंडिया दुनिया में निवेश का सबसे अट्रैक्टिव डेस्टिनेशन

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात इंडियन मार्केट्स (Indian Markets) की रिकवरी की ताकत है। पाकिस्तान के साथ तनाव (Indian Pakistan Tension) थोड़े समय की बात है। अगर लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से देखा जाए तो दुनियाभर में इंडिया सबसे ताकतवर डेस्टिनेशन दिखता है। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ बढ़ते टकराव की बात की जाए तो इससे इंडिया थीम को सिर्फ फायदा हो रहा है। आपको यह भरोसा रखना होगा कि स्थिति नियंत्रण में रहेगी और चीजें जल्द सामान्य हो जाएंगी।


विदेशी-देशी इनवेस्टर्स की बदौलत मार्केट पकड़ेगा रफ्तार

अरोड़ा ने कहा कि पिछले दो सालों में इंडियन मार्केट्स को लोकल इनवेस्टर्स का बड़ा सहारा मिला है। इस दौरान विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की। अब विदेशी निवेशक अगर बिकवाली नहीं करते हैं और खरीदारी शुरू कर देते हैं तो इंडियन मार्केट्स को कोई रोक नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद से अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में करीब 20 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर का निवेश हुआ है। अगर इसमें से 5 ट्रिलियन डॉलर भी निकलता है तो इससे ग्लोबल मार्केट्स में बड़ा निवेश आएगा। इसका बड़ा हिस्सा अट्रैक्ट करने के लिए इंडिया तैयार खड़ा है।

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अमेरिकी बााजार से पैसा निकल इंडिया जैसे बाजारों में आएगा

विदेशी निवेशकों की इंडियन मार्केट्स में बढ़ती दिलचस्पी के बारे में उन्होंने कहा कि जियोपॉलिटिकल टेंशन के बावजूद 7 मई को विदेशी इनवेस्टर्स ने बिकवाली नहीं की। उन्होंने कहा कि दुनिया लंबे समय यानी करीब दो दशक तक अमेरिकी बाजार को लेकर बुलिश रही है। अब अगर टैरिफ से जुड़े मसलों का समाधान हो जाता है तो भी ग्लोबल इनवेस्टर्स फिर से अमेरिका पर दांव लगाने नहीं जा रहे हैं। अब अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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