बीता हफ्ता मार्केट में लगातार गिरावट का छठा हफ्ता था। पिछले दो दशकों में ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है। ऐसे में मार्केट के नए लो बनाने की आशंका बढ़ गई है। ट्रेडर्स मार्केट से बाहर ट्रेंड के लिए इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, बाजार चौंकाने के लिए जाना जाता है। अचानक तेजी की शुरुआत हो सकती है। ऐसे में रिटेल ट्रेडर्स गलत साबित हो सकते हैं।
मार्केट्स में शॉर्ट टर्म में तेजी की कुछ वजहें दिख रही हैं। 15 अगस्त को अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन के बीच मुलाकात होने वाली है। इस दौरान यूक्रेन युद्ध खत्म करने की संभावनाओं पर चर्चा होगी। यह बड़ा मसला है। रिटेल इनवेस्टर्स इस खबर से खुश नजर आए , जिससे 11 अगस्त को मार्केट में तेजी आई।
दूसरा मसला अमेरिकी पेंशन फंड रेगुलेशन से जुड़ा है। ट्रंप ने उस आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है, जिससे अमेरिका के रिटायरमेंट सेविंग प्लान में जमा करीब 12 लाख करोड़ डॉलर का निवेश रिस्क वाले एसेट्स में होगा। इनमें स्टॉक्स और क्रिप्टोकरेंसी भी शामिल होंगी। इनवेस्टर्स अनुमान लगा रहे हैं कि इससे काफी पैसा अमेरिकी कंपनियों के शेयरों में निवेश होगा। ऐसे में शॉर्ट टर्म में स्टॉक मार्केट्स में तेजी दिख सकती है।
बड़ा सवाल यह है-क्या यह तेजी टिक पाएगी?
रिटायरमेंट सेविंग्स के शेयर बाजार में निवेश के लिहाज से फाइनेंशियल मार्केट्स का इतिहास अच्छा नहीं रहा है। 2008 में अमेरिकी शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट को याद कीजिए, कुछ हद तक जिसकी वजह 1974 का एंप्लॉयी रिटायरमेंट सिक्योरिटाइजेशन एक्ट (ERISA) था। मार्केट में गिरावट में दूसरी भूमिका सब-प्राइम लोन की थी।
जहां तक अलास्क में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात का सवाल है तो इस बारे में यूरोप और खासकर यूक्रेन की राय जानने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। ऐसी कई लड़ाइयां बातचीत की कई कोशिशों के बाद खत्म होती हैं। हालांकि, यह स्वागतयोग्य है लेकिन इस वजह से मार्केट में तेजी जारी रहने की उम्मीद नहीं दिखती।
ज्यादा उम्मीद शॉर्ट कवरिंग को लेकर है। इसके शुरू होने से मार्केट में तेजी आ सकती है। बेयर फेज में शॉर्ट कवरिंग से बाजार में बड़ी तेजी आ सकती है, क्योंकि बेयर्स अपने शॉर्ट्स कवर करने को मजबूर हो जाते हैं जबकि बुल्स शेयर खरीदते हैं। ऐसी स्थिति जिसमें बेयर्स और बुल्स दोनों एक साथ खरीदते हैं, उसे टेक्निकल एनालिसिस में डुअल प्रेशर कहा जाता है।
विदेशी संस्थागत निवेशक और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स जो शेयर बेच रहे हैं, उन्हें कौन खरीद रहा है? डेटा से लगता है कि ये शेयर रिटेल इनवेस्टर्स खरीद रहे हैं। रिटेल बुल्स अब भी मार्केट में खरीदारी कर रहे हैं और वे मार्केट में इनवेस्ट करने के लिए उधार तक ले रहे हैं। इसकी पुष्टि एक्सचेंज पर उपलब्ध मार्जिन ट्रेड फंडिंग (MTF) के डेटा से होती है।
बाजार में लगातार छह हफ्तों से जारी गिरावट के बावजूद शेयर खरीदने के लिए रिटेल इनवेस्टर्स के ब्रोकर्स से उधार लेन में हाल के सबसे हाई लेवल से सिर्फ 2 फीसदी कमी आई है। इस खरीदारी के पीछे कोई ठोस वजह नहीं दिखती, क्योंकि NSE 500 के कई स्टॉक्स 2024 के अपने पीक से नीचे हैं। गिरते स्टॉक्स को खरीदना और इसके लिए लोन लेना सही फैसला नहीं है।
इन चीजों से मार्केट का स्ट्रक्चर कमजोर होता है, क्योंकि किसी निगेटिव खबर से मार्केट में बड़ी बिकवाली दिख सकती है। इस बिकवाली में एक इनवेस्टर्स दूसरे को देख मार्केट से पैसे निकालने लगता है, जिससे कीमतें तेजी से गिरती हैं। लेकिन, ऐसा लगता है कि रिटेल इनवेस्टर्स हमेशा इसकी अनदेखी करते हैं। यह ऐसा समय है जब ट्रेडर्स को कैपिटल की वैल्यू बढ़ाने की जगह उसकी वैल्यू घटने से बचाने पर फोकस करना चाहिए।
(लेखक एक स्टैटिस्टिकल सिस्टम बेस्ड प्रॉपरायटरी ट्रेडिंग फर्म के फाउंडर और सीईओ हैं)