Demat Accounts: भारत में शेयर मार्केट में पैसे लगाने वाले निवेशकों की संख्या रॉकेट की स्पीड से बढ़ रही है। इसके चलते पहली बार जुलाई महीने में डीमैट खातों की संख्या 20 करोड़ के पार चली गई है। डिपॉजिटर्स के लेटेस्ट आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। खास बात ये है कि भारत में जितने डीमैट खाते हैं, वह बांग्लादेश, रूस, इथियोपिया, मेक्सिको, जापान, इजिप्ट, फिलीपींस और कांगो की जनसंख्या भी अधिक है। वहीं ब्राजील की जनसंख्या के भी एकदम करीब है। ब्राजील की जनसंख्या करीब 21.3 करोड़ है। डीमैट खाते शेयरों और सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखने के लिए जरूरी है और दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच डीमैट खातों की संख्या के बीच भारत अब सातवें स्थान पर है।
Demat Accounts: जुलाई में कितने खाते खुले?
पिछले महीने जुलाई में 29.8 लाख नए डीमैट खाते खुले और इसके साथ ही डीमैट खातों की संख्या बढ़कर 20.21 करोड़ पर पहुंच गई। जुलाई में जितने नए खाते खुले, वह पिछले सात महीने में सबसे अधिक रहा और खास बात ये भी है कि यह तेजी ऐसे महीने में आई, जब मार्केट में काफी उठा-पटक थी। डिपॉजिटर्स के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में जितने खाते खुले, जून महीने में उससे 2.52 लाख खाते कम खुले थे लेकिन सालाना आधार पर आंकड़ा फीका रहा। पिछले साल 2024 की जुलाई में भारत में 45.55 लाख डीमैट खाते खुले थे। इस साल अब तक यानी कि सात महीने में करीब 16.81 लाख नए डीमैट खाते खुल चुके हैं जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 46 लाख था।
IPO के चलते बढ़ रही डीमैट खातों की संख्या
मार्केट में भारी उठा-पटक के बावजूद पिछले महीने जुलाई में बड़ी संख्या में डीमैट अकाउंट्स खुले और एनालिस्ट्स के मुताबिक इसकी वजह नए आईपीओ हैं। सेकंडरी मार्केट यानी लिस्टेड शेयरों का बाजार महंगा यानी ओवर वैल्यूएशन वाला लग रहा है तो निवेशकों ने प्राइमरी मार्केट यानी यानी आईपीओ के बाजार में एंट्री मारी। एनालिस्ट्स के मुताबिक अधिकतर आईपीओ अच्छे वैल्यूएशन पर आ रहे हैं तो निवेशकों को आईपीओ मार्केट भाया और इस वजह से डीमैट अकाउंट्स की संख्या भी बढ़ गई।
कैसी है स्टॉक मार्केट की हालत?
इस साल 2025 की शुरुआत से ही भारतीय स्टॉक मार्केट में काफी उठा-पटक चल रही है। जियोपॉलिटिकल टेंशन और अमेरिकी टैरिफ ने भारत समेत दुनिया भर के स्टॉक मार्केट मे वोलैटिलिटी यानी उठा-पटक बढ़ा दी। घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 और सेंसेक्स ने तो काफी हद तक रिकवरी कर ली है और इस साल 3-3% से अधिक मजबूत हुए हैं लेकिन दूसरी तरफ बीएसई मिडकैप 3% और बीएसई स्मॉलकैप 6% नीचे आ चुके हैं।
डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।