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Pharma Stocks: फार्मा कंपनियों के शेयरों में हड़कंप, सन फार्मा का शेयर 7% टूटा, ट्रंप के ऐलान से लगा बड़ा झटका

Sun Pharma Shares: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक ऐलान के बाद आज 12 मई को भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2 फीसदी टूट गया। वहीं देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी, सन फार्मा के शेयर कारोबार के दौरान 7 फीसदी तक टूटकर 1,623.60 रुपये के स्तर पर आ गए। ल्यूपिन, एस्ट्राजेनेका, ग्लेनमार्क और अरबिंदो फार्मा जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 1% से 3% तक की गिरावट देखने को मिली

अपडेटेड May 12, 2025 पर 10:53 AM
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Sun Pharma Shares: ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी "मोस्ट फेवर्ड नेशन" की पॉलिसी लाने की कोशिश की थी

Sun Pharma Shares: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक ऐलान के बाद आज 12 मई को भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2 फीसदी टूट गया। वहीं देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी, सन फार्मा के शेयर कारोबार के दौरान 7 फीसदी तक टूटकर 1,623.60 रुपये के स्तर पर आ गए। ल्यूपिन, एस्ट्राजेनेका, ग्लेनमार्क और अरबिंदो फार्मा जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 1% से 3% तक की गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट ट्रंप के इस ऐलान के बाद आई कि वह अमेरिका में दवाओं की कीमतों को 30 से 80 फीसदी तक घटाने वाले एक आदेश पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ सोशल' पर लिखा कि वे सोमवार सुबह 9 बजे (वॉशिंगटन समयानुसार) एक एक्जिक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे अमेरिकी बाजार में फार्मास्युटिकल और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की कीमतों में तत्काल प्रभाव से भारी गिरावट लाई जाएगी।

ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अब से "मोस्ट फेवर्ड नेशन" की पॉलिसी को अपनाएगा, जिसके तहत अमेरिका वही दाम चुकाएगा जो उस दवा के लिए दुनिया में सबसे कम चुकाया जाता है। उन्होंने दावा किया कि इससे अमेरिका में हेल्थकेयर की लागत "इतनी कम हो जाएगी जितनी पहले कभी नहीं सोची गई थी।"


एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस फैसले का सीधा असर इनोवेटिव और ब्रांडेड दवाओं पर होगा। हालांकि, जेनेरिक दवाएं पहले ही पेंटेट अवधि खत्म होने के बाद दवाओं कीमतों को 80 से 90 फीसदी तक घटाने में मदद करती हैं। हालांकि अगर इनोवेटिव दवाओं की कीमतें गिरेंगी तो कम कॉम्पिटीशन वाले फेज में जेनेरिक दवाओं की कीमतें भी और नीचे आ सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी यह देखना बाकी हैं कि ट्रंप की यही नई पॉलिसी किस तरह से बनाई गई है।

बता दें कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी 2020 में इसी तरह की "मोस्ट फेवर्ड नेशन" की पॉलिसी लाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे अदालत ने रोक दिया थी। यह नीति कुछ खास दवाओं के लिए मेडिकेयर भुगतान पर लागू होनी थी।

फार्मा इंडस्ट्री के लिए दूसरी बड़ी चिंता अमेरिका में दवाओं के इंपोर्ट पर लगने वाले संभावित टैरिफ को लेकर है, जिस पर अभी तक पूरी स्पष्टता नहीं है। ट्रंप पहले ही इशारा कर चुके हैं कि फार्मा इंडस्ट्री पर टैरिफ को "इतिहास में कभी न देखे गए स्तर" तक बढ़ा सकते हैं।

इस बीच Nifty Pharma Index का प्रदर्शन पिछले एक महीने में लगभग स्थिर रहा है, लेकिन इस साल 2025 की शुरुआत से अब तक इसमें 10% की गिरावट देखी जा चुकी है।

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