टाटा कैपिटल और LG इलेक्ट्रॉनिक्स के IPO सोख लेंगे सारा पैसा, शेयर बाजार को लग सकता है झटका
भारत के आईपीओ मार्केट में इस हफ्ते एक नया रिकॉर्ड बनने जा रहा है। इस हफ्ते कंपनियां अपने आईपीओ के जरिए 30,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि जुटाने वाली है, जो किसी एक सप्ताह में अब तक जुटाई गई सबसे बड़ी रकम होगी। इस राशि का लगभग 90% हिस्सा सिर्फ दो बड़े IPO- टाटा कैपिटल और LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया से आएगा
IPO News: टाटा कैपिटल और LG इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ में संस्थागत निवेशकों के लिए लगभग 50% आवंटन है
भारत के आईपीओ मार्केट में इस हफ्ते एक नया रिकॉर्ड बनने जा रहा है। इस हफ्ते कंपनियां अपने आईपीओ के जरिए 30,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि जुटाने वाली है, जो किसी एक सप्ताह में अब तक जुटाई गई सबसे बड़ी रकम होगी। इस राशि का लगभग 90% हिस्सा सिर्फ दो बड़े IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफर से आएगा। इसमें टाटा कैपिटल (Tata Capital) का 15,511 करोड़ रुपये का आईपीओ और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया (LG Electronics India) का 11,607 करोड़ रुपये का आईपीओ शामिल है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन बड़े आईपीओ से सेकेंडरी मार्केट यानी शेयर मार्केट की लिक्विडिटी पर दबाव पड़ सकता है और बाजार में खरीदारी की रफ्तार सुस्त हो सकती है। हालांकि भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार 4 अक्टूबर को लगातार दूसरे दिन तेजी के साथ बंद हुए थे। लेकिन एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि यह तेजी थम सकती है।
इकिगाई इन्वेस्टमेंट्स के फाउंडर पंकज टिबरेवालने कहा, “सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी की कमी के कारण कुछ सुस्ती देखने को मिल सकती है, खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में।”
फंड फ्लो का गणित
टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ में संस्थागत निवेशकों यानी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए लगभग 50% आवंटन है। यानी संस्थागत निवेशकों का करीब 13,559 करोड़ रुपये का फंड केवल इन दो आईपीओ में जाएगा।
यह रकम म्यूचुअल फंडों के पास मौजूद वीकली लिक्विडिटी से कहीं अधिक है, जो आमतौर पर लगभग ₹8,000 करोड़ होती है। अगर इन म्यूचुअल फंड्स के साथ बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स जैसे बाकी संस्थागत निवेशकों को भी मिला लिया जाए, तो उनके पास हर हफ्ते लगभग ₹33,000 करोड़ की खरीद क्षमता होती है। इस लिहाज से ये दोनों बड़े आईपीओ बाजार की मौजूदा लिक्विडिटी का एक बड़ा हिस्सा सोख सकते हैं।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की स्थिति भी इससे बेहतर नहीं है। उन्होंने इस साल अब तक भारतीय शेयर बाजार से करीब 2 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। हालांकि इसी दौरान उन्होंने आईपीओ में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।
इस हफ्ते और भी कई बड़े IPOs होंगे लॉन्च
टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा कई और कंपनियों के आईपीओ भी इस कारोबारी हफ्ते (6 अक्टूबर से 10 अक्टूबर) में लॉन्च हो रहे हैं। रुबिकॉन रिसर्च का 1,377.5 करोड़ रुपये का आईपीओ 9 अक्टूबर को खुलेगा। जबकि केनरा रोबेको AMC और केनरा HSBC लाइफ इंश्योरेंस भी अपने-अपने आईपीओ लॉन्च करने जा रहे हैं। इन आईपीओ का साइज₹3,000 से ₹5,000 करोड़ के बीच बताया जा रहा है।
वीवर्क इंडिया का 3,000 करोड़ रुपये का आईपीओ 7 अक्टूबर तक खुला रहेगा, जबकि कई SME IPO भी पाइपलाइन में हैं।
रिटेल निवेशकों की ओर से भी फंड डायवर्जन
बड़े नामों वाले आईपीओ आमतौर पर रिटेल निवेशकों को भी आकर्षित करते हैं। ऐसे में शेयर मार्केट में उनके निवेश की रफ्तार भी घट सकती है। 360 वन WAM के उमेश अग्रवाल के मुताबिक, “बड़ी कंपनियों के आईपीओ रिटेल निवेशकों में भी उत्साह पैदा करते हैं। लेकिन इससे लिस्टेड शेयरों में पूंजी की कमी आ सकती है।”
नुवामा वेल्थ के विरल शाह ने कहा, “जब आईपीओ की बाढ़ आती है, तो सेकेंडरी मार्केट पर दबाव महसूस होता है। हालांकि यह प्रभाव अस्थायी होता है।”
शेयर बाजार में आएगी गिरावट?
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके चलते शेयर बाजार में इसके चलते किसी तेज गिरावट की संभावना फिलहाल कम है, क्योंकि लिक्विडिटी रोटेशन एक “मापे हुए तरीके” से हो रहा है। शाह ने कहा, “बैंकिंग और आईटी सेक्टर में हालिया करेक्शन ने कुछ अच्छे अवसर बनाए हैं, जबकि फेस्टिव डिमांड और जीएसटी कटौती से कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को सहारा मिल रहा है।”
फिर भी, शॉर्ट-टर्म में सेकेंडरी मार्केट की चाल धीमी रहने की संभावना है। जैसा कि टिबरेवाल ने कहा, “पैसे का प्रवाह ही शेयर मार्केट की जान है। जब सारा नया पैसा आईपीओ में चला जाता है, तो शेयर मार्केट का मोमेंटम कुछ समय के लिए धीमा हो जाता है”
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