Tata Group Market Value: टाटा ग्रुप की $120 अरब की मार्केट वैल्यू साफ, ये दो बड़े कारण हैं जिम्मेदार

Tata Group Market Value: अमेरिकी टैरिफ वॉर और IT सेक्टर की सुस्ती से टाटा ग्रुप की मार्केट वैल्यू 11 महीनों में 120 अरब डॉलर घटकर 296 अरब डॉलर रह गई। TCS और टाटा मोटर्स को सबसे बड़ा नुकसान, जबकि कुछ कंपनियों ने मजबूती दिखाई।

अपडेटेड Aug 05, 2025 पर 11:02 PM
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Tata Group Market Value: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।

Tata Group Market Value: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर और आईटी सर्विसेज की सुस्त मांग के चलते वैश्विक बाजारों में निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ है। इसका सबसे बड़ा असर टाटा ग्रुप पर देखने को मिला है। भारत के सबसे बड़े कारोबारी ग्रुप का जॉइंट मार्केट कैप सितंबर 2024 के शिखर स्तर से अब तक 120 अरब डॉलर घट गया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 11 महीनों में यह वैल्यू 415 अरब डॉलर से घटकर 296 अरब डॉलर के स्तर पर आ गई है।

TCS और टाटा मोटर्स को सबसे ज्यादा नुकसान

टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसकी बाजार हैसियत लगभग 70 अरब डॉलर घटी है। इसके बाद टाटा मोटर्स का नंबर है, जिसकी वैल्यू में करीब 21 अरब डॉलर की गिरावट आई है। ये दोनों कंपनियां कुल गिरावट के लगभग 75% हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। इन दोनों ही कंपनियों के लिए अमेरिका बड़ा बाजार है।


Trent और Voltas में भी बड़ी गिरावट

टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। Trent का मार्केट कैप 9.5 अरब डॉलर घटकर 21.5 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं, Voltas का मूल्यांकन 2.6 अरब डॉलर घटकर लगभग 5 अरब डॉलर रह गया। साल की शुरुआत से अब तक अधिकांश टाटा ग्रुप कंपनियों के शेयर नकारात्मक रिटर्न दे रहे हैं। इनमें सात कंपनियों के शेयर 20% से 30% के बीच गिरे हैं।

Nomura ने जताई बिकवाली की आशंका

Nomura के अनुसार, टैरिफ पर स्पष्ट रणनीति की कमी, कमजोर अमेरिकी नॉनफार्म पेरोल्स रिपोर्ट और ऊंचे मूल्यांकन के चलते निकट अवधि में मुनाफावसूली और बिकवाली का जोखिम बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि अब सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि नए टैरिफ दरें वैश्विक अर्थव्यवस्था और 2025 की दूसरी छमाही के अर्निंग आउटलुक को कैसे प्रभावित करती हैं।

कमजोर रुपया दे सकता है आंशिक राहत

कमजोर रुपया इस झटके को कुछ हद तक कम कर सकता है। मंगलवार (5 अगस्त) को भारतीय मुद्रा 87.80 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुई, जो पिछले तीन महीने में 4% की गिरावट है। HDFC Bank के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि रुपये में हर 1% स्थायी गिरावट 25% अमेरिकी टैरिफ के असर को GDP ग्रोथ पर 2–3 बेसिस प्वाइंट तक कम कर सकती है।

कुछ कंपनियों ने दिखाई मजबूती

इस व्यापक गिरावट के बीच टाटा ग्रुप की कुछ कंपनियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। Rallis India के शेयर जनवरी से अब तक 27% बढ़े हैं। इसके अलावा Tata Steel में 16%, Tata Consumer Products में 16.4% और Titan में 5.1% की बढ़त दर्ज की गई है।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Aug 05, 2025 10:57 PM

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