इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स और सैटेलाइट गेटवे लगाने वाली कंपनियों को नेटवर्क ऑथराइजेशन के लिए इंतजार करना पड़ा सकता है... सुत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग TRAI की सिफारिशों से सहमत नहीं है और इस पर सफाई मांगी है। टेलीकॉम रेगुलेटरी एथॉरिटी ऑफ इंडिया (Telecom Regulatory Authority of India (TRAI) ने फरवरी में अपनी सिफारिशे दूरसंचार विभाग को दी थी सिफारिशों के मुताबिक कंपनियों को लाइसेंस नहीं लेना होगा। सैटेलाइट गेटवे लगाने के लिए सिर्फ मंजूरी लेनी होगी। सिफारिशों के मुताबिक कंपनियों को लाइसेंस नहीं लेना होगा। सैटेलाइट गेटवे लगाने के लिए सिर्फ मंजूरी लेनी होगी। स्टारलिंक और Kuiper जेसी कंपनियों को गेटवे लगाने होंगे। कंपनियां सिर्फ सरकार की अनुमति से सेवाएं दे सकती है। लेकिन टेलीकॉम विभाग ने ट्राई की सिफारिशें नहीं मानी हैं बल्कि उल्टा उनसे स्पष्टीकरण मांग लिया है।
इस खबर ज्यादा जानकारी देते हुए हमारे सहयोगी चैनल सीएनबीसी-आवाज़ के असीम मनचंदा ने कहा कि ट्राई ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा देना चाहता है। इसलिए कुछ सिफारिशें की थी। अभी जो कंपनियों को लाइसेंस लेना पड़ता है वह नहीं लेना होगा। टेलीकॉम कंपनियां या इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर कंपनियां या फिर जो सैटेलाइट गेटवे लगाने वाली कंपनियां हैं, उनको सिर्फ एक एथॉराइजेशन सरकार से लेना पड़ेगा। उसके बाद ये कंपनियां आसानी से अपनी सेवाएं दे पाएंगी।
असीम ने आगे कहा कि इतना ही नहीं उनकी फीस घटाने की भी सिफारिश ट्राई द्वारा दूरसंचार विभाग से की गई थी। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि दूरसंचार विभाग इन सिफारिशों से सहमत नहीं है। इस मामले को इसी महीने डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन को रेफर किया गया था। डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन ने इन सिफारिशों को ट्राई को वापस भेजने की हरी झंडी दे दी है।
अब इन सिफारिशों पर ट्राई से क्लियरिटी मांगी जायेगी। ट्राई अब अपनी सिफारिशों को रीकंसीडर करेगा। इसके बाद नई सिफारिशें फिर से दूरसंचार विभाग को देगा। दूरसंचार विभाग उसको फिर दुबारा से मंजूरी देगा। यानी कि जो कंपनियां नेटवर्क एथॉराइजेशन का इंतजार कर रहीं थी उनका इंतजार अभी और बढ़ सकता है।
नेटवर्क ऑथराइजेशन से टेलीकॉम कंपनियां या इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर कंपनियां या फिर जो सैटेलाइट गेटवे लगाने वाली कंपनियां हैं उनको अच्छा फायदा होने वाला था लेकिन अब इन कंपनियों का इंतजार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है।