मौजूदा सुस्ती आगे साबित हो सकती है वरदान, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही से बाजार भर सकता है उड़ान

कंपनियों की अर्निंग कमजोर रहने की उम्मीद के बावजूद अनुकूल मॉनीटरी और फिस्कल स्थितियां बाज़ार को बूस्ट कर सकती हैं और जोखिम उठाने की क्षमता को फिर से बढ़ा सकती हैं

अपडेटेड Sep 20, 2025 पर 12:18 PM
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चुनिंदा क्षेत्रों में जीएसटी दरों में हालिया कटौती से टैक्स के बोझ में काफी कमी आई। इससे तमाम वस्तुएं सस्ती हो गई हैं और बिक्री में ठहराव का सामना कर रहे सेक्टरों की मांग में बढ़त हुई है

जिमीत मोदी

Equity Market Outlook for H2FY26 : 27 सितंबर, 2024 को 26,277 के शिखर पर पहुंचने के बाद, निफ्टी को अपने इस हाई लेवल को फिर से हासिल करने में कठिनाई हो रही है। पिछले एक साल में ग्लोबल अनिश्चितता, असमान घरेलू मांग और निवेशकों के सतर्क रुख के मिलेजुले असर ने शेयर बाजार में सुस्ती बनाए रखी है।

लेकिन सुस्त प्रदर्शन के इस दौर के बाद वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही से बाजार में मजबूत वापसी की संभावना छिपी हुई है। कंपनियों की अर्निंग कमजोर रहने की उम्मीद के बावजूद अनुकूल मॉनीटरी और फिस्कल स्थितियां बाज़ार को बूस्ट कर सकती हैं और जोखिम उठाने की क्षमता को फिर से बढ़ा सकती हैं।


फेड द्वारा ब्याज दर में की गई कटौती, एक ग्लोबल गेमचेंजर

अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में हाल ही में की गई 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती सिर्फ एक प्रतीकात्मक संकेत नहीं। यह एक नरम ग्लोबल ब्याज दर नीति की शुरुआत का संकेत है। ये दुनिया भर में जोखिम वाले असेट क्लास के लिए सकारात्मक संकेत है।

भारत के लिए क्या है इसका महत्व?

* इससे ग्लोबल निवेशक हाई ग्रोथ वाले बाज़ारों की तरफ रुख करेंगे। इसका फायदा भारत को भी मिलेगा। इससे विदेशी पूंजी के प्रवाह में सुधार आएगा।

* विदेशी निवेश वाली कंपनियों की उधारी लागत कम होगी।

* ग्लोबल स्तर पर लिक्विडिटी दबाव कम होने से रुपये में स्थिरता आएगी।

ऐसे समय में जब ग्लोबल निवेशक हाल की तिमाहियों में उभरते बाजारों पर कम भरोसा कर रहे हैं। US फेड के नरम रुख से मिलने वाले मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए,खासकर तब जब ग्लोबल निवेशक हाल की तिमाहियों में उभरते बाजारों पर कम भरोसा कर रहे हैं।

आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती से घरेलू विकास को मिलेगा बढ़ावा

घरेलू मोर्चे पर,आरबीआई ने रेपो दर को 6.5% से घटाकर 5.5% कर दिया है। इससे विकास को गति देने की उसकी मंशा का संकेत मिलता है। इसका दोहरा असर होगा:

* परिवारों की ईएमआई कम होने से खर्च करने योग्य आय बढ़ती है,जिससे उपभोग बढ़ेगा।

* कॉर्पोरेट्स ब्याज लागत कम होने से कंपनियों के मुनाफे में सुधार होगा और नए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

उधार की लागत कम होने के साथ,ऋण की मांग बढ़ने से रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटो फाइनेंशिंग जैसे सेक्टरों में तेजी देखने को मिल सकती है।

सिस्टम में नकदी बढ़ी: सीआरआर में कटौती से 2.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी आएगी

आरबीआई द्वारा कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती (जिसे सितंबर से शुरू करके चार चरणों में लागू किया गया) इकोनॉमी को अतिरिक्त सपोर्ट मिलेगा।

2.5 लाख करोड़ रुपये की यह नकदी बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ाएगी, जिससे एमएसएमई, इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग फाइनेंस जैसे ऋण पर निर्भर सेक्टरों को फायदा होगा।

अगर आरबीआई अपनी आगामी एमपीसी बैठक (29 सितंबर-1 अक्टूबर, 2025) में ग्रोथ बढ़ाने के लिए और उपाय करता है,तो बाजारों को एक और सपोर्ट मिल सकता है।

राजकोषीय प्रोत्साहन: उपभोग बढ़ाने के लिए टैक्स में कटौती

फिस्कल फ्रंट पर, सरकार द्वारा व्यक्तिगत आयकर में की गई कटौती से उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक नकदी आएगी। यह त्योहारी सीज़न से पहले उठाया गया बड़ा अहम कदम है। इससे उपभोक्ताओं के गैर जरूरी शौकिया खर्च में बढ़त हो सकती है। इसका फाय कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटोमोबाइल, ट्रैवल और रिटेल जैसे सेक्टरों को मिलेगा। इससे शहरी मांग में सुधार आ सकता है जिससे कंपनीयों की कमाई बढ़ सकती है।

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जीएसटी कटौती से टैक्स का बोझ घटा, मांग बढ़ी

चुनिंदा क्षेत्रों में जीएसटी दरों में हालिया कटौती से टैक्स के बोझ में काफी कमी आई। इससे तमाम वस्तुएं सस्ती हो गई हैं और बिक्री में ठहराव का सामना कर रहे सेक्टरों की मांग में बढ़त हुई है।

व्यक्तिगत आयकर में कटौती के साथ,इस राजकोषीय प्रोत्साहन से घरेलू क्रय शक्ति को मज़बूती मिली है। इससे घरेलू उपभोग में भारी बढ़त की उम्मीद है।

मौद्रिक नीतियों में नरमी,राजकोषीय प्रोत्साहन और सिस्टम में नकदी बढ़ाने के ऐसे समय में किए जा रहे हैं जब बाजार में सतर्कता का रुख दिख रहा है। यह तालमेल वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में अर्निंग में सुधार, क्रेडिट ग्रोथ में तेजी और एक साल के खराब प्रदर्शन के बाद निवेशकों के सेंटीमेंट में सुधार ला सकता है।

बाज़ार के सुस्ती के माहौल में निवेशकों के लिए बहुत संभावनाएं नजर नहीं आतीं। लेकिन जैसे-जैसे नीतिगत उपाय गति पकड़ंगे, कंपनियों की अर्निंग में सुधार होगा। इन उपायों से अगर 7 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य पूरा हो जाता है तो बाज़ार नई रफ्तार पकड़ सकता है।

वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में शेयर बाजार में तेजी आने के लिए सभी चीजें सही दिशा में जा रही हैं। उम्मीदें कम होने के बीच अगर अर्निंग या नीतिगत मोर्चे पर कोई भी सकारात्मक बात देखने को मिलती है तो बाजार रैली की शुरुआत हो सकती है।

 

जिमीत मोदी सैमको सिक्योरिटीज के सीईओ और फाउंडर हैं.

 

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MoneyControl News

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First Published: Sep 20, 2025 12:07 PM

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