Trump Pharma Tariffs: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रांडेड और पेटेंट वाली दवाओं पर 1 अक्टूबर से 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। हालांकि जेनेरिक दवाइयों (Generic Drugs) को इस टैरिफ से छूट दी गई है। भारत की फार्मा कंपनियों को इस छूट से बड़ी राहत मिली है और क्योंकि उनके एक्सपोर्ट का एक बड़ा हिस्सा जेनेरिक दवाओं का होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का एक्सपोर्टर है। हमारी फार्मा इंडस्ट्री की एक्सपोर्ट का करीब एक तिहाई हिस्सा अमेरिका जाता है। ऐसे में जेनेरिक दवाओं को टैरिफ से यह छूट राहत की खबर है।
ट्रंप ने हालांकि कहा है कि यह नया टैरिफ सिर्फ उन्हीं कंपनियों पर लागू होगा, जिनकी अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है। जो कंपनियां अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा रही हैं या उसके लिए जमीन तैयार कर चुकी हैं, उन्हें इस टैरिफ से छूट दी जाएगी।
इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के सेक्रेटरी जनरल सुदर्शन जैन ने कहा, "ट्रंप का नया टैरिफ ऐलान केवल ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाओं के लिए है, जेनेरिक पर इसका असर नहीं होगा।" IPA उन बड़ी भारतीय दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी अमेरिकी बाजार में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
हालांकि, दवा कंपनियों के लिए टैरिफ का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट को ट्रेड एक्सपैंशन एक्ट 1962 की धारा 232 के तहत जांच शुरू करने का आदेश दिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या फार्मा इंपोर्ट उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं या नहीं। इस जांच का दायरा तैयार दवाओं से API, शुरुआती केमिकल्स और मेडिकल काउंटरमेजर्स तक फैला हुआ है। इस जांच की फाइनलल रिपोर्ट 27 दिसंबर 2025 तक आएगी और मार्च 2026 तक राष्ट्रपति ट्रंप इस पर फैसला ले सकते हैं।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भले ही अभी जेनेरिक दवाओं को छूट मिली है, लेकिन आगे टैरिफ का खतरा बना हुआ है। जियोजित इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट्स, वीके विजयकुमार ने कहा, "भारत जेनेरिक दवाओं का बड़ा एक्सपोर्ट है, इसलिए नए टैरिफ से इस पर तत्काल असर पड़ने की संभावना कम है। लेकिन ट्रंप का अगला निशाना जेनेरिक दवाएं भी हो सकते हैं। फार्मा स्टॉक्स पर इस चिंता का साफ असर दिखाई दे रहा है।"
फिलहाल ट्रंप के नए टैरिफ का कुछ असर सन फार्मा पर दिख सकता है, जो अमेरिका में स्पेशियलिटी ब्रांडेड दवाओं की बिक्री करती है। वित्त वर्ष 2025 में इसकी स्पेशियलिटी ड्रग्स की बिक्री अमेरिका में 17.1% बढ़कर 1.216 अरब डॉलर रही थी। यह कंपनी की कुल रेवेन्य का करीब 19.7% हिस्सा था। वित्त वर्ष 2024 में यह हिस्सेदारी 18 प्रतिशत थी। इसके चलते सन फार्मा के शेयरों में आज कारोबार के दौरान 3.5 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली।
अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम में जेनेरिक दवाओं की भूमिका
एनालिस्ट्स का कहना है किअमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम की लागत को काबू में रखने में जेनेरिक दवाइयां अहम भूमिका निभाती हैं। साल 2022 में भारतीय जेनेरिक दवाओं ने अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम को 219 अरब डॉलर की बचत कराई। यही वजह है कि अब तक अमेरिका ने जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने से परहेज किया है।
लेकिन इंडस्ट्री में डर है कि अगर आगे चलकर ट्रंप जेनेरिक दवाओं पर 10% से अधिक का टैरिफ लगाते हैं, तो इससे कम मार्जिन वाले प्रोडक्ट्स पर मुनाफा खत्म हो सकता है और कंपनियों को सप्लाई बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। यही कारण है कि भारतीय फार्मा कंपनियां पहले से ही पोर्टफोलियो री-अलाइनमेंट और मैन्युफैक्चरिंग शिफ्ट्स पर विचार कर रही हैं।
भारतीय एक्सपोर्ट पर निर्भरता
भारत ने साल 2024 में अमेरिका को 8.73 अरब डॉलर की दवाइयां एक्सपोर्ट की थीं। यह उसकी कुल फार्मा एक्सपोर्ट्स का 31% हिस्सा हैं। इनमें जेनेरिक दवाओं का दबदबा है, जो अमेरिकी Medicare और दूसरी बीमा योजनाओं में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का लगभग आधा हिस्सा हैं।
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