Global Economy: अमेरिका और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड क्या ग्लोबल इकोनॉमी में बड़े खतरे का संकेत है?

इंडिया में स्थिति काफी बेहतर है। इनफ्लेशन कंट्रोल में है। यह 4 फीसदी से नीचे बना हुआ है। बॉन्ड यील्ड 6.2 फीसदी है। इंडिया के विदेशी मुद्रा भंडार में 691 अरब डॉलर हैं। ऐसे में अगर ग्लोबल इकोनॉमी में किसी तरह का बड़ा संकट आता है तो उभरते बाजारों में इंडिया उसका ज्यादा बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकता है

अपडेटेड May 22, 2025 पर 5:34 PM
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इंडिया में बॉन्ड यील्ड घटने की वजह मजबूत इकोनॉमी और कम फिस्कल डेफिसिट है।

दुनियाभर में बॉन्ड्स की यील्ड का बढ़ना किसी बड़े संकट का संकेत हो सकता है। हालांकि, एनालिस्ट्स का कहना है कि इंडिया में स्टॉक और बॉन्ड्स मार्केट्स दूसरे देशों के मुकाबले मजबूत स्थिति में हैं। अमेरिका में 30 साल के बॉन्ड्स की यील्ड 5 फीसदी के पार चली गई है। जापान में 40 साल के बॉन्ड्स की यील्ड 3.5 फीसदी पर पहुंच गई है। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने की वजह ट्रंप सरकार के खर्च को माना जा रहा है। बताया जाता है कि इसस अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट बढ़ सकता है।

फेडरल रिजर्व के रेट नहीं घटाने से सरकार की दिक्कत बढ़ी

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने इंटरेस्ट रेट्स में कमी की मांगों को अनसुना कर दिया है। इंटरेस्ट रेट में कमी नहीं होने से अमेरिकी सरकार को अपने कर्ज का इंटरेस्ट चुकाने में दिक्कत आ रही है। इससे बॉन्ड्स में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी घटी है। इसका असर यील्ड पर पड़ा है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि बॉन्ड्स की कीमत और उसकी यील्ड में विपरीत संबंध होता है। बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर उसकी यील्ड घट जाती है। बॉन्ड की कीमत घटने पर उसकी यील्ड बढ़ जाती है।


इनवेस्टर्स बॉन्ड्स पर ज्यादा इंटरेस्ट की मांग कर रहे

इनवेस्टर्स अमेरिका में बॉन्ड्स पर ज्यादा इंटरेस्ट की मांग कर रहे हैं। 30 साल के अमेरिकी बॉन्ड्स की यील्ड 5 फीसदी से ऊपर पहुंच जाने का मतलब है कि बॉन्ड्स के निवेशकों को अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर डर सता रहा है। इसलिए वे ज्यादा रिटर्न की मांग कर रहे हैं। अमेरिका में सरकार के कर्ज और जीडीपी का रेशियो 122 फीसदी पर पहुंच गया है। जापान में यह यह रेशियो 255 फीसदी पर पहुंच गया है। रेशियो का इस लेवल पर पहुंच जाना इकोनॉमिक स्टैबिलिटी के लिए ठीक नहीं है।

इंडिया में इकोनॉमी अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में

इधर, इंडिया में स्थिति काफी बेहतर है। इनफ्लेशन कंट्रोल में है। यह 4 फीसदी से नीचे बना हुआ है। बॉन्ड यील्ड 6.2 फीसदी है। इंडिया के विदेशी मुद्रा भंडार में 691 अरब डॉलर हैं। ऐसे में अगर ग्लोबल इकोनॉमी में किसी तरह का बड़ा संकट आता है तो उभरते बाजारों में इंडिया उसका ज्यादा बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकता है। इंडियन इकोनॉमी की मजबूत स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां अमेरिका और जापान में बॉन्ड्स यील्ड बढ़ रही है इंडिया में यह घट रही है।

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इंडियन बॉन्ड्स  में बढ़ सकती है विदेशी इनवेस्टर्स की दिलचस्पी

इंडिया में बॉन्ड यील्ड घटने की वजह मजबूत इकोनॉमी और कम फिस्कल डेफिसिट है। दूसरा, निवेशकों को इंटरेस्ट रेट्स में कमी होने का अनुमान है, जिससे वे बॉन्ड्स में निवेश कर रहे हैं। इससे बॉन्ड की कीमतों में मजबूती है और यील्ड कम हो रही है। उम्मीद है कि आरबीआई जून में अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी की कमी कर सकता है। इंडिया में बॉन्ड्स की कीमतों में मजबूती जारी रहने पर विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी इसमें बढ़ सकती है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: May 22, 2025 5:11 PM

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