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Vedanta News : कंपनी के भारतीय कारोबार के डिमर्जर पर मतदान के लिए आज होगी क्रेडिटर्स की बैठक

Vedanta News : कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड दोनों ऋणदाता 18 फरवरी को कंपनी के बहुप्रतीक्षित ओवरहाल योजना पर चर्चा करेंगे और उस पर मतदान करेंगे

अपडेटेड Feb 18, 2025 पर 8:31 AM
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Vedanta demerger : योजना को लागू करने के लिए बैठक में उपस्थित कंपनी को कर्ज देने वालों द्वारा कंपनी को किए गए कर्ज के मूल्य के तीन-चौथाई का प्रतिनिधित्व करने वाले बहुमत से इस योजना के अनुमोदन की जरूरत है

Vedanta share price : वेदांता लिमिटेड के क्रेडिटर्स (ऋणदाता) आज मंगलवार 18 फरवरी को बैठक करके इस भारतीय माइनिंग ग्रुप को कम से कम पांच अलग-अलग कारोबारों में विभाजित करने की योजना पर अपना अंतिम फैसला देंगे। यह बैठक वेदांता ग्रुप के कारोबारी ढा़ंचे को सरल बनाने और इसके कर्ज को मैनेज करने में मदद करने के लिए महीनों से चल रहे प्रयास कि दिशा में एक अहम कदम है। इस मुद्दे पर कंपनी द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक कंपनी के सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड दोनों ऋणदाता 18 फरवरी को कंपनी के बहुप्रतीक्षित ओवरहाल योजना पर चर्चा करेंगे और उस पर मतदान करेंगे।

एल्युमीनियम, तेल-गैस, बिजली, स्टील और सेमीकंडक्टर कारोबार को अलग-अलग इकाइयों के रूप में लिस्ट करने की योजना

योजना को लागू करने के लिए बैठक में उपस्थित कंपनी को कर्ज देने वालों द्वारा कंपनी को किए गए कर्ज के मूल्य के तीन-चौथाई का प्रतिनिधित्व करने वाले बहुमत से इस योजना के अनुमोदन की जरूरत है। इस बदलाव से अनिल अग्रवाल के नियंत्रण वाले इस समूह को अपने विभिन्न कारोबार जैसे एल्युमीनियम, तेल और गैस, बिजली, स्टील और सेमीकंडक्टर को अलग-अलग इकाइयों के रूप में लिस्ट करने और वेदांता ग्रुप के ओलवरऑल वैल्यूएशन में सुधार करने की सुविधा मिलेगी।


डिमर्जर से निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलने की उम्मीद 

इस डिमर्जर से कंपनी को कुछ नए लेकिन जोखिम भरे कारोबार जैसे सेमीकंडक्टर में रुचि रखने वाले निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलने की उम्मीद है। डिमर्जर के बाद भी वेदांता की मूल कंपनी,वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड,होल्डिंग कंपनी बनी रहेगी।

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कंपनी का कर्ज घटाने पर बना हुआ है फोकस

अनिल अग्रवाल लंबे समय से वेदांता समूह के जटिल वित्तीय ढांचे को सरल बनाने की इच्छा व्यक्त करते रहे हैं, लेकिन ऋणदाताओं की मंजूरी के बावजूद पिछली योजनाओं को लागू नहीं किया जा सका। लंदन स्थित पैरेंट कंपनी ने पिछले दो सालों में अपने कर्ज में 4 अरब डॉलर से अधिक की कटौती की है तथा अगले तीन सालों में 3 अरब डॉलर का कर्ज और चुकाने का लक्ष्य रखा है।

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