Vedanta Shares: दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल की माइनिंग कंपनी वेदांता ने अदाणी ग्रुप को पछाड़ते हुए कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए ₹17 हजार करोड़ की सफल बोली लगाई है। जय प्रकाश एसोसिएट्स (Jaiprakash Associates) के लिए वेदांता ने ओपन चैलेंज राउंड में यह सफल बोली लगाई है। सीएनबीसी-टीवी18 को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली। अब सामने आ रहा है कि वेदांता की इस सफलता पर ब्रोकरेज फर्म नुवामा का रुझान निगेटिव है। नुवामा का कहना है कि इसके चलते वेदांता के माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स को झटका लग सकता है। अभी इसके शेयरों की बात करें तो एक कारोबारी दिन पहले शुक्रवार 5 सितंबर को बीएसई पर यह 2.26% की बढ़त के साथ ₹445.50 पर बंद हुआ था।
जून तिमाही के शेयहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक वेदांता के 20 लाख से अधिक मॉइनारिटी स्मॉल रिटेल शेयरहोल्डर्स हैं जिनका निवेश ₹2 लाख तक का है। इनकी वेदांता में हिस्सेदारी 11.64% है। प्रमोटर्स के पास कंपनी की 56.38% इक्विटी होल्डिंग है।
Vedanta के दांव से Nuvama क्यों है निगेटिव?
ब्रोकरेज फर्म नुवामा के मुताबिक जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए बोली लगाना वेदांता के माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के लिए निगटिव है और वह इसके अधिग्रहण के औचित्य से सहमत नहीं हैं। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि जब वेदांता ग्रुप की प्राथमिकता यानी पहला काम कर्ज खत्म करना होना चाहिए, यह पूरी तरह से अलग बिजनेस में एंट्री कर रहा है। ब्रोकरेज फर्म का यह भी कहना है कि ₹17 हजार करोड़ की फंडिंग काफी मुश्किल होगी। ऐसे में नुवामा का कहना है कि इस डील के चलते वेदांता के शेयरों की फिर से रेटंग की संभावना काफी कम हो गई है।
Jaiprakash Associates के लिए कौन-कौन था बोली में?
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी (IBC) प्रक्रिया से जूझ रही जयप्रकाश एसोसिएट्स पर अभी नेशनल एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी की अगुवाई में कई क्रेडिटर्स के ₹59 हजार करोड़ का दबाव है। सूत्रों के मुताबिक आखिरी दौर में इसके लिए बोली लगाने वालों में सिर्फ वेदांता और अदाणी ग्रुप के बीच भिड़ंत हुई और वेदांता ने ₹17 हजार करोड़ की सफल बोली लगा दी। सूत्रों ने बताया कि दौड़ में शामिल अन्य दावेदारों डालमिया भारत ग्रुप, जिंदल पावर और पीएनसी इंफ्राटेक ने अंतिम दौर में कोई बोली नहीं पेश की। ओपन चैलेंज राउंड के लिए ₹12 हजार करोड़ का रिजर्व प्राइस तय किया गया था। साथ ही लेंडर्स ने इस बात का भी आश्वासन मांगा था कि अगर यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी जमीन विवाद का फैसला कंपनी के पक्ष में आता है तो सफल बोली लगाने वाली कंपनी अतिरिक्त पैसे चुकाएगी।
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