रुपया गिरने से शेयर मार्केट में आएंगे विदेशी निवेशक? इन 2 ब्रोकरेज फर्मों को दिखी उम्मीद

Indian Rupee: भारतीय रुपया लगातार नई गिरावट दर्ज कर रहा है। बुधवार 3 दिसंबर को रुपये इतिहास में पहली बार 90 के स्तर को पार कर गया। आज इसे 90.4 रुपये का नया निचला स्तर छुआ। हालांकि, दो ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि रुपये की यह कमजोरी विदेशी निवेशकों को दोबारा भारतीय शेयर बाजारों की तरफ खींच सकती है

अपडेटेड Dec 04, 2025 पर 3:50 PM
Story continues below Advertisement
Indian Rupee: भारतीय रुपया गुरुवार 4 दिसंबर को 90.41 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला था

Indian Rupee: भारतीय रुपया लगातार नई गिरावट दर्ज कर रहा है। बुधवार 3 दिसंबर को रुपये इतिहास में पहली बार 90 के स्तर को पार कर गया। आज इसे 90.4 रुपये का नया निचला स्तर छुआ। हालांकि, दो ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि रुपये की यह कमजोरी विदेशी निवेशकों को दोबारा भारतीय शेयर बाजारों की तरफ खींच सकती है।

भारतीय रुपया गुरुवार 4 दिसंबर को 90.41 पर खुला था। हालांकि बाद में कुछ सुधार के साथ यह 90.11 पर ट्रेड करता दिखा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रुपया निकट भविष्य में भी दबाव में रह सकता है और इसकी कमजोरी कुछ समय तक जारी रह सकती है।

क्या रुपये की गिरावट अभी और बढ़ेगी?

अशिका ग्रुप के CBO राहुल गुप्ता के अनुसार, निकट भविष्य में रुपये पर दबाव बना रह सकता है और यह 89.50 से 91.20 की रेंज में घूम सकता है। खासतौर से ऐसे समय में जब क्रूड ऑयल की कीमतें ऊंची बनी रहें और विदेशी निवेशक जोखिम लेने से बचते रहें। उन्होंने कहा कि रुपये में ठोस रिकवरी तभी संभव है जब भारत में विदेशी निवेश फिर से बढ़े, ग्लोबल रेट-कट को लेकर स्पष्ट संकेत मिलें, और भारत के एक्सपोर्ट्स में अच्छी बढ़त देखने को मिले।


CR फॉरेक्स एडवाइजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित पाबा ने भी कहा कि रुपये का 90 के ऊपर टूटना दिखाता है कि दबाव अभी खत्म नहीं हुआ है और यह 90.70 से 91 के स्तर की ओर जा सकता है।

क्या कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों को वापस ला सकता है?

इस साल अब तक विदेशी निवेशक ने लगातार बिकवाली की है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी निवेशक इस साल अब तक लगभग 17 अरब डॉलर के भारतीय शेयर बेच चुके हैं। इस बिकवाली के पीछे कई और ग्लोबल और घरेलू कारण रहे हैं। हालांकि दो ब्रोकरेज फर्मों- एलारा कैपिटल और यस कैपिटल ने अब रुपये में कमजोरी के चलते विदेशी निवेशकों की वापसी की उम्मीद जताई है।

एलारा कैपिटल के एनालिस्ट्स का कहना है कि अभी रुपया 40 देशों के ट्रेड-वेटेड REER आधार पर अक्टूबर 2018 के बाद से सबसे ज्यादा अंडरवैल्यूड है। उनके मुताबिक, जब रियर इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) अपने निचले स्तर पर पहुंचता है, तो आमतौर पर एक से दो तिमाहियों की देरी के बाद शेयर मार्केट में विदेशी निवेश की रफ्तार तेज होने लगती है।

ब्रोकरेज ने कहा, "फिलहाल REER 97.47 पर है, जो ऐतिहासिक औसत से काफी नीचे है। इसके अलावा, RBI की संभावित दर कटौती का असर कुछ समय की देरी के साथ दिखेगा, जिससे खपत को सहारा मिल सकता है। साथ ही क्रेडिट ग्रोथ में जारी तेजी भी आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा दे सकती है। "

ब्रोकरेज ने कहा कि उसे नॉमिनल ग्रोथ 2026 के मध्य तक मजबूत होने की उम्मीद है, और इसके साथ ही कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ भी बेहतर होने लगेगी। यही एक बड़ा कारण होगा जो विदेशी पूंजी की वापसी को तेज कर सकता है।”

यस सिक्योरिटीज ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया कि REER के आधार पर रुपया इस समय अंडरवैल्यूड है, और यही बात विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के लिए थोड़ी राहत लेकर आती है, क्योंकि वे करेंसी के उतार–चढ़ाव को लेकर बेहद संवेदनशील रहते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, “इस साल अब तक रुपया 4.5% गिरा है, जो पिछले 25 साल के औसत (3%) से ज्यादा है। इतिहास बताता है कि जब रुपया लंबे समय के औसत से ज्यादा गिरता है, तब FIIs भारतीय शेयर मार्केट में अपनी खरीदारी बढ़ा देते हैं।”

यह भी पढ़ें- रुपया पहली बार 90 के पार, शेयर मार्केट में इन 5 सेक्टर्स पर पड़ेगा सबसे अधिक असर

डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।