QIP क्या है, कंपनियों के लिए फंड जुटाने का यह पसंदीदा रास्ता क्यों बन गया है?
QIP कंपनियों के लिए बाजार से पूंजी जुटाने का एक टूल है। QIB में पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, शेड्युल्ड कमर्शियल बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और विदेशी संस्थागत निवेशक शामिल होते हैं जो QIP में भाग लेते हैं
अगर इश्यू का आकार 250 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो कम से कम पांच खरीदार होने चाहिए। किसी भी एक खरीदार को 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी आवंटित नहीं की जा सकती
शेयर बाजार में तेजी के साथ कई कंपनियां विभिन्न उद्देश्यों के लिए पूंजी जुटाने की होड़ में हैं। पूंजी जुटाने की इच्छुक अधिकांश कंपनियों के लिए क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) मार्ग पसंदीदा मार्ग बनता जा रहा है। यहां हम क्यूआईपी को डिकोड करते हुए ये बताने जा रहे हैं कंपनियां इसे फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) या राइट्स इश्यू जैसे पारंपरिक विकल्पों की तुलना में क्यों ज्यादा पसंद करती हैं।
सबसे पहले जानें QIP क्या है
यह कंपनियों के लिए बाजार से पूंजी जुटाने का एक टूल है। इसके जरिए लिस्टेड कंपनियां नए इक्विटी शेयर, पूर्ण और आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर, या इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय वारंट के अलावा कोई भी सिक्यूरिटी जारी करके योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) से धन जुटा सकती हैं।
ये योग्य संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी) कौन हैं?
पब्लिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, शेड्युल्ड कमर्शियल बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और विदेशी संस्थागत निवेशक।
क्या खुदरा निवेशक और उच्च नेटवर्थ वाले व्यक्ति (एचएनआई) क्यूआईपी में निवेश कर सकते हैं?
नहीं।
QIP कंपनियों के लिए आकर्षक क्यों है?
क्योंकि यह उन्हें एफपीओ या राइट्स इश्यू की लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से बचने में मदद करता है। इसके अलावा, चूंकि क्यूआईबी अनुभवी निवेशक हैं और उनके पास लॉन्ग टर्म नजरिया होता जो मूल्य स्थिरता में मदद करता है।
क्या प्रोमोटर QIP में भाग ले सकते हैं?
नहीं।
क्या QIP में भाग लेने वाले संस्थागत खरीदारों की न्यूनतम संख्या पर कोई नियम हैं?
अगर इश्यू का आकार 250 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो कम से कम पांच खरीदार होने चाहिए। किसी भी एक खरीदार को 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी आवंटित नहीं की जा सकती। अगर इश्यू का आकार 250 करोड़ रुपये तक है, तो कम से कम दो खरीदार होने चाहिए।
सेबी के नियमों के तहत इसका इश्यू प्राइस पिछले कुछ हफ्तों के वीकली हाई और क्लोजिंग प्राइस के औसत से कम नहीं होना चाहिए।
यह औसत से कम क्यों नहीं हो सकता?
पहले ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि प्रमोटर अपने पसंदीदा निवेशकों को सस्ते में शेयर आवंटित कर रहे थे। क्यूआईपी मूल्य का शेयर के बाजार मूल्य पर असर पड़ता है। ऐसे में QIP का प्राइस औसत से कम नहीं होने का नियम बनाया गया।
क्या क्यूआईपी इश्यू की प्राइस बाजार भाव से ज्यादा रखी जा सकती है?
हां, यह हो सकता है। लेकिन क्यूआईबी आमतौर पर छूट मांगते हैं। यही एक कारण है कि वे ऐसे प्लेसमेंट में भाग लेते हैं। खुले बाजार में खरीदारी के विपरीत, वे स्टॉक की कीमत बढ़ाए बिना अच्छी मात्रा हासिल कर सकते हैं।
अगर क्यूआईबी के पास लॉन्ग टर्म नजरिया नहीं है और वह शेयर आवंटित होने के अगले दिन बेचना चाहता है तो क्या होगा?
ऐसा नहीं हो सकता। क्यूआईपी में आवंटित प्रतिभूतियां आवंटन की तारीख से छह महीने तक लॉक-इन अवधि के अधीन रहती हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल मध्यम से दीर्घकालिक नजरिए वाले क्यूआईबी ही इश्यू में भाग लें।