स्टॉक मार्केट ओपन होने के साथ ही सोमवार को मेटल शेयर (Metal Shares) फिसल गए। ब्रोकरेज फर्मों ने मेटल सेक्टर को डाउनग्रेड किया, जिससे मेटल शेयरों की पिटाई हुई। दरअसल, सरकार ने आयरन ओर (Iron Ore) सहित कुछ स्टील इंटरमीडियरीज (Steel Intermediaries) पर एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) लगा दी है। इसका असर मेटल कंपनियों पर पड़ने का अनुमान है।
मॉर्निंग ट्रेड में जिंदल स्टील एंड पावर (Jindal Steel and Power) 15 फीसदी तक गिर गया। यह जनवरी 2008 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। टाटा स्टील (Tata steel) 12 फीसदी फिसला। यह अगस्त 2015 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। जेएसडब्ल्यू स्टील (JSW Steel) 11 फीसदी टूटा। सेल (SAIL) में भी 11 फीसदी की कमजोरी आई, जो मई 2020 के बाद सबसे बड़ी कमजोरी है।
NMDC का शेयर 10 फीसदी नीचे ट्रेड कर रहा था। यह अगस्त 2020 के बाद इस शेयर में सबसे बड़ी गिरावट है। Vedanta का शेयर 6 फीसदी, जबकि हिंडल्को इंडस्ट्रीज का शेयर 5 फीसदी टूट गया। BSE Metal Index करीब 8 फीसदी नीचे आ गया। यह बीते 2 साल में सबसे बड़ी गिरावट है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने इनवेस्टर्स को कहा है, "हम एक्सपोर्ट ड्यूटी को स्टील सेक्टर के लिए बहुत निगेटिव डेवलपमेंट के रूप में देख रहे हैं। इससे इस सेक्टर में कंपनियों की रेटिंग में कमी आएगी। हमने स्टील/स्टेनलेस शेयरों को डाउनग्रेड किया है।"
सरकार ने 21 मई को स्टील कंपनियों के लिए बड़ा फैसला लिया। उसने आयरन ओर पर ड्यूटी बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी। कुछ स्टील इंटरमीडियरी पर ड्यूटी बढ़ाकर 15 फीसदी की गई है। डोमेस्टिक मार्केट में स्टील की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है।
अभी यह नहीं पता चला है कि ड्यूटी बढ़ाने से स्टील कंपनियों की कमाई पर कितना असर पड़ेगा, लेकिन अनुमान है कि इंटिग्रेटेड स्टील कंपनियों के EBITDA पर 5,000 से 7,000 रुपये प्रति टन का असर पड़ सकता है। जेएसडब्ल्यू जैसी अनइंटिग्रेटेड कंपनियों पर प्रति टन 5,000 रुपये का इम्पैक्ट पड़ने का अनुमान है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने टाटा स्टील, जेएसपीएल, जेएसडब्ल्यू स्टील और सेल को डाउनग्रेड कर दिया है। उसने इन कंपनियों के शेयरों में हिस्सेदारी घटाने की सलाह इनवेस्टर्स को दी है। उसने जिंदल स्टेनलेस के शेयर पर अपनी राय 'खरीदें' से बदलकर 'रखें' कर दी है।
Indian Steel Association (ISA) के मुताबिक, स्टील पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाने से इनवेस्टर्स के बीच निगेटिव सिग्नल जाएगा। इससे इस सेक्टर की कैपेसिटी यूटिलाइजेशन पर असर पड़ेगा। इंडिया निर्यात के मौकों का फायदा उठाने से चूक सकता है। इसका असर देश की कुल इकोनॉमिक ग्रोथ पर पड़ सकता है।