Share Market Down: भारतीय शेयर बाजारों में आज 1 अगस्त को लगातार दूसरे गिरावट देखने को मिली। ग्लोबल मार्केट से कमजोर संकेतो और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर दिख रहा है। कारोबार के अंत में बीएसई सेंसेक्स 585.67 अंक या 0.72 फीसदी टूटकर 80,599.91 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 203 अंक या 0.83 फीसदी लुढ़ककर 24,565.35 के स्तर पर चला गया। सन फार्मा, डॉ रेड्डीज लैब, सिप्ला, ONGC और टाटा स्टील जैसे दिग्गज शेयरों में 5 प्रतिशत तक की तेज गिरावट देखने को मिली।
शेयर बाजार में आज की इस गिरावट के पीछे 5 बड़े कारण रहे-
1. अमेरिकी टैरिफ से निवेशकों में चिंता
2. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। गुरुवार 31 जुलाई को उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में ₹5,588.91 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी। पूरे जुलाई महीने में उन्होंने करीब 47,666.68 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है। जबकि इससे पहले लगातार 4 महीनों से वह शेयर बाजार में पैसे डाल रहे थे। विदेशी निवेशकों की इस लगातार बिकवाली से शेयर बाजारों पर दबाव बढ़ा है।
3. ग्लोबल बाजारों से कमजोरी संकेत
अधिकतर एशियाई बाजारों में आज कमजोरी का रुख देखा गया। साउथ कोरिया, जापान, चीन और हांगकांग के शेयर बाजार लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। साउथ कोरिया का कोस्पी इंडेक्स तो 4 पर्सेंट तक क्रैश कर गया। वॉल स्ट्रीट पर कमजोर क्लोजिंग और अमेरिकी फ्यूचर्स में सुस्ती के संकेतों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को और कमजोर किया।
4. वोलैटिलिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी
वोलैटिलिटी इंडेक्स, इंडिया VIX शुक्रवार को 2 प्रतिशत बढ़कर 11.77 पर पहुंच गया। वोलैटिलिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी का मतलब है कि शेयर बाजार में अस्थिरता और जोखिम की भावना बढ़ रही है, जिससे ट्रेडर्स सतर्क हो जाते हैं और पोजिशन लेने से कतराते हैं।
5. फार्मा शेयरों पर भारी दबाव
निफ्टी फार्मा इंडेक्स में आज लगातार तीसरे दिन गिरावट देखी गई और कारोबार के दौरान यह 2.8 प्रतिशत से अधिक टूट गया। सन फार्मा में सबसे अधिक 4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसके अलावा ऑरोबिंदो फार्मा, ग्लैंड फार्मा, सिप्ला, ग्रैन्यूल्स इंडिया और लुपिन के शेयरों में भी बिकवाली हुई। ट्रंप ने 17 ग्लोबल फार्मा कंपनियों को एक लेटर लिखा है, जिसके बाद इसे लेकर चिंता बढ़ गई है। इन लेटर में दवाओं की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर लाने और ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) प्राइसिंग मॉडल को 60 दिनों में अपनाने की मांग की गई है।
टेक्निकल एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट आनंद जेम्स का कहना है कि निफ्टी एक बार फिर 24,960 के स्तर को निर्णायक रूप से पार नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि अगर निफ्टी 24,675 के ऊपर टिकता है तो एक बार फिर तेजी की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन अगर यह 24,650–24,600 के दायरे को तोड़ता है, तो बाजार में गिरावट 24,450 तक जारी रह सकती है। वहीं अगर निफ्टी सीधे 25,000 से ऊपर जाता है तो फिर यह 25,330 तक पहुंच सकता है।
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