Share Market Crash: शेयर बाजार में सोमवार 27 जनवरी को फिर भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 824.29 अंक टूटकर 75,366.17 रुपये पर आ गया। वहीं निफ्टी करीब 274.9 अंकों का गोता लगाकर 22,817.30 के स्तर पर आ गया। ब्रॉडर मार्केट में तो हाहाकर की स्थिति रही। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 3 फीसदी, तो वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स 4 फीसदी तक लुढ़क गया। इसके चलते बस शुरुआती दो घंटे में ही निवेशकों के शेयर बाजार में करीब 8 लाख करोड़ रुपये डूब गए। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार की इस तेज गिरावट के पीछे घरेलू और ग्लोबल दोनों कारण जिम्मेदार रहे। आइए इन्हें एक-एक जानते हैं
1. चाइनीज स्टार्टअप 'डीपसेक' ने मचाई खलबली
भारतीय शेयर बाजार के खुलने से पहले कमजोर ग्लोबल संकेतों के चलते आज निवेशकों का मूड बिगड़ा हुआ था। चीन के एक स्टार्टअप, डीपसेक (DeepSeek) ने एक मुफ्त और ओपन सोर्स AI-मॉडल लॉन्च करके तकनीक की दुनिया में हलचल मचा दी है। यह AI-मॉडल, अमेरिकी कंपनी ओपनएई के चैटजीपीटी को टक्कर देता दिख रहा है। इसके चलते अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स और अधिकतर एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट आई। नैस्डैक कंपोजिट फ्यूचर्स और S&P 500 फ्यूचर्स में क्रमशः लगभग 2% और 1% की गिरावट आई, जो निवेशकों की चिंताओं को दिखाता है।
2. अमेरिकी डॉलर में मजबूती
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने निर्वासित लोगों को वापस लेने से इनकार करने के बाद कोलंबिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ सहित तमाम प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके चलते अमेरिकी डॉलर में मजबूती आई। भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच मजबूत होते डॉलर ने भारत जैसे उभरते बाजारों पर दबाव बढ़ा दिया है। इसके अलावा ट्रंप के नए कार्यकाल के तहत अमेरिका-भारत संबंधों की दिशा को लेकर अनिश्चितता भी निवेशकों की चिंता बढ़ा रही है।
3. बजट से पहले मुनाफावसूली
निवेशकों का ध्यान इस समय बजट 2025 पर है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस हफ्ते शनिवार 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करेंगी। बजट से पहले बाजार में और अधिक अस्थिरता की आशंका को देखते हुए निवेशक मुनाफावसूली कर रहे हैं। इंडिपेडेंट मार्केट एनालिस्ट्स अंबरीश बालिगा ने मनीकंट्रोल से कहा, "आमतौर पर बजट-से पहले शेयर बाजार में तेजी की उम्मीद की जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। बाजार में किसी भी तेजी का इस्तेमाल निवेशक मुनाफावसूली या पोजीशन से बाहर निकलने के लिए कर रहे हैं। इसके चलते, इस सप्ताह का आउटलुर भी कमजोर नजर आ रहा है।"
कंपनियों के दिसंबर तिमाही के नतीजे अभी तक कुछ खास आशाजनक नहीं रहे हैं,जिससे निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ है। अंबरीश बालिगा ने कहा, "अभी तक के नतीजे सुस्त रहे हैं। अधिकतर के नतीजों अनुमानों से कम रहे रहे हैं। वहीं कई कंपनियों के परिणाम तो बाजार की उम्मीदों से काफी कम रहे हैं।" पहले से ही बढ़े हुए वैल्यूएशन और ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच ये कमजोर नतीजे, निवेशकों को शेयरों में लॉन्ग पोजिशन लेने से रोक रहे हैं।
5. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशक (FPIs) पिछले साल अक्टूबर से भारतीय शेयरों को बेच रहे हैं और अब तक वह करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर रहे हैं। सिर्फ जनवरी महीने में अबतक उन्होंने करीब 69,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। शेयर बाजार में गिरावट के यह एक मुख्य कारण बना हुआ है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ वीके विजयकुमार ने कहा, "FPIs की लगातार बिकवाली से बाजार पर असर पड़ रहा है। नए टैरिफ और ग्लोबल ट्रेड को लेकर चिंताएं सेंटीमेंट पर भारी पड़ रही हैं। बाजार अब बजट में इनकम टैक्स में जैसे बड़े ऐलानों की उम्मीद कर रहा है, जिससे खपत को बढ़ावा मिल सके। अगर ये उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं, तो बाजार पर दबाव जारी रह सकता है।"
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