RBI rate cut: क्या दिसंबर MPC में रेट कट का तोहफा देगा RBI? जानिए सर्वे में क्या बोले एक्सपर्ट
RBI rate cut: दिसंबर MPC से पहले सर्वे में ज्यादातर एक्सपर्ट मान रहे हैं कि RBI 25 bps का रेट कट कर सकता है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी इसका संकेत दिया है। जानिए किस वजह से रेट का अनुमान लगा रहे हैं एक्सपर्ट और इससे क्या फायदा होगा।
ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि दिसंबर पॉलिसी में RBI अपना महंगाई अनुमान नीचे कर देगा।
RBI rate cut: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग 3 से 5 दिसंबर तक होगी। इसमें ब्याज दर में कटौती करने या न करने के बारे में फैसला होगा। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पिछले दिनों संकेत दिया कि दिसंबर में रेट कट की गुंजाइश है।
उन्होंने एक प्राइवेट चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, 'अक्टूबर MPC की बैठक में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश है। तब से हमें जो आर्थिक आंकड़े मिले हैं, उनसे यह संकेत नहीं मिला है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम हुई है।'
Moneycontrol के सर्वे में शामिल 18 अर्थशास्त्री, बैंक ट्रेजरी हेड और फंड मैनेजर भी मानते हैं कि RBI दिसंबर की मौद्रिक नीति में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की रेट कट कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है, पिछले दो महीनों में CPI महंगाई का रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर आ जाना। अगर दिसंबर में रेट कट होता है, तो लगातार दो पॉलिसी को जस का तस रखने के बाद यह पहली कटौती होगी।
अब तक RBI ने क्या किया है?
RBI फरवरी से जून के बीच रेपो रेट में कुल 100 bps की कटौती कर चुका है (6.5% से 5.5%)। लेकिन अगस्त और अक्टूबर की पॉलिसी में दरों को बिना बदलाव के छोड़ दिया गया था।
RBL Bank के ट्रेजरी हेड अंशुल चंदक का कहना है कि रियल रेट बहुत ज्यादा हैं, इसलिए एक और कट जरूरी है ताकि ग्रोथ को सपोर्ट मिल सके। वहीं, Piramal के चीफ इकॉनॉमिस्ट देबोपम चौधरी का कहना है कि महंगाई अनुमान से ज्यादा नीचे आई है और रेट कट का ट्रांसमिशन कम हुआ है, इसलिए कटौती की गुंजाइश बनती है।
RBI MPC मीटिंग कब होगी?
MPC की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर के बीच होगी, जहां फिर से ब्याज दरों पर फैसला किया जाएगा। अधिकतर एक्सपर्ट मानते हैं कि RBI अपनी ‘न्यूट्रल’ स्टांस बनाए रखेगा और पॉलिसी का टोन डोविश रहेगा, यानी ब्याज दरें नीचे लाने और खर्च व लेंडिंग को बढ़ावा देने पर फोकस रहेगा।
कुछ एक्सपर्ट की राय अलग क्यों?
कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि RBI अभी रेट कट नहीं करेगा क्योंकि आगे की महंगाई का ट्रेंड चिंता बढ़ाता है। IDFC First Bank की अर्थशास्त्री गौर्रा सेनगुप्ता के मुताबिक, H2 FY27 में CPI महंगाई 4% तक बढ़ने का अनुमान है, इसलिए रेट कट की गुंजाइश सीमित है।
CPI महंगाई का क्या अनुमान है?
ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि दिसंबर पॉलिसी में RBI अपना महंगाई अनुमान नीचे कर देगा। भारत की रिटेल महंगाई अक्टूबर में गिरकर 0.25% रह गई, जो 2013 के बाद से CPI सीरीज का सबसे कम स्तर है। सितंबर में यह 1.44% थी।
खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) में भारी गिरावट इसकी सबसे बड़ी वजह रही। फूड इंडेक्स अक्टूबर में -5.02% पर पहुंच गया।
Tata AMC के मुरली नागराजन का कहना है कि इस साल CPI अनुमान घटकर 2.3% हो सकता है। अगले साल के लिए यह करीब 4% रखा जा सकता है। Canara Bank के मुख्य अर्थशास्त्री माधवनकुट्टी का कहना है कि CPI अनुमान 2.6% से घटकर 2.1% किया जा सकता है।
GDP ग्रोथ पर RBI क्या कर सकता है?
GDP अनुमान बढ़ेगा या नहीं, यह काफी हद तक India-US ट्रेड डील पर निर्भर करेगा। IDFC First Bank की गौर्रा सेनगुप्ता के मुताबिक, अगर ट्रेड डील नहीं हुई, तो अनुमान में बदलाव नहीं होगा। अगर डील हो जाती है, तो FY26 की GDP ग्रोथ 7% से ऊपर जा सकती है।
कुछ एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि GST कट और मजबूत रिकवरी की वजह से GDP अनुमान 7% तक बढ़ाया जा सकता है। Canara Bank के माधवनकुट्टी ने कहा कि GDP अनुमान को 7% तक ऊपर किया जा सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर की राय
BASIC Home Loan के CEO और को-फाउंडर अतुल मोंगा का कहना है, 'हम मानते हैं कि MPC रेपो रेट को स्थिर रखेगी, भले ही महंगाई में नरमी दिख रही हो। होमबायर्स के लिए इसका मतलब है कि EMIs निकट भविष्य में बढ़ सकती हैं, क्योंकि पिछले 18-24 महीनों में फ्लोटिंग-रेट लोन लेने वाले अभी भी ज्यादा किस्तों का बोझ झेल रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि लेंडर्स के लिए यह रेट-पॉज एक सतर्क 'वेट-एंड-वॉच' माहौल को मजबूत करेगा। वे टियर-2 और टियर-3 बाजारों में विस्तार करते हुए मजबूत, सैलरीड लोन लेने वालों पर ही फोकस रखते रहेंगे।
रेट कट होने पर क्या होगा
अगर रेट कट होता है, तो होम लोन, कार लोन और बिजनेस लोन सस्ते हो जाएंगे। इससे EMI कम होगी और उधारी लेने की मांग बढ़ेगी। इससे रियल एस्टेट, ऑटो और कंज्यूमर सामान जैसे सेक्टरों को सीधा फायदा मिलेगा, क्योंकि लोग ज्यादा खरीदारी और निवेश करेंगे।
कंपनियों की उधार लेने की लागत घटेगी। इससे वे विस्तार, हायरिंग और नए प्रोजेक्ट्स में तेजी ला सकती हैं। कुल मिलाकर, रेट कट अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी यानी नकदी बढ़ाकर खपत और निवेश को तेज करता है। लेकिन इसके साथ महंगाई बढ़ने का जोखिम भी रहता है, इसलिए इसका प्रभाव संतुलित तरीके से सामने आता है।