Home buying guide: पहली बार खरीद रहे सपनों का घर? इन 12 गलतियों से बचें, वरना होगी बड़ी परेशानी
Home buying guide: पहला घर खरीदना हर किसी के लिए खास होता है। लेकिन, इसके साथ कई जोखिम भी जुड़े होते हैं। जरा सी भी लापरवाही आपको बड़ी परेशानी में डाल सकती है। एक्सपर्ट से जानिए कि पहला घर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन गलतियों से बचने की जरूरत रहती है।
पहली बार घर खरीदते समय लोकेशन अक्सर सबसे बड़ी गलती बनती है।
Home buying guide: पहली बार घर खरीदना रोमांच से भरा अनुभव होता है। मन में एक सपना होता है- अपना घर, अपनी जगह। लेकिन यही सपना कई बार जल्दबाजी, अधूरी जानकारी या गलत कागजी प्रक्रिया की वजह से भारी पड़ सकता है। कई लोग ऐसे फैसले ले लेते हैं, जिसकी परेशानी उन्हें सालोंसाल तक भुगतनी पड़ती है। जैसे कि गलत लोकेशन, गलत प्राइस, गलत फाइनेंसिंग या गलत बिल्डर।
BASIC Home Loan के CEO और Co-Founder अतुल मोंगा का कहना है कि पहली बार घर खरीदने वालों के लिए वित्तीय तैयारी और अनुशासन दोनों बहुत जरूरी हैं। होम लोन लेने का फैसला भावनात्मक होता है, लेकिन इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती। इसलिए सबसे पहले अच्छी तरह रिसर्च करें और घर खरीदने की असली लागत को समझें।
अगर आप पहली बार घर खरीद रहे हैं, तो हम कुछ अहम बातें बता रहे हैं, जो आपको समझदारी से हर कदम उठाने में मदद करेगा। इससे आपको अच्छी वैल्यू पर घर मिलेगा और आप जालसाजी का शिकार होने से भी बचे रहेंगे।
बजट और EMI कैलकुलेशन ठीक से तय करें
अतुल मोंगा का कहना है कि सबसे पहला कदम है- अपना बजट तय करना। यह सिर्फ घर की कीमत देखकर तय नहीं होता। इसमें रजिस्ट्रेशन चार्ज, स्टाम्प ड्यूटी, इंटीरियर, मूविंग कॉस्ट, मेंटेनेंस डिपॉजिट, सोसायटी चार्ज और अप्रूवल फीस जैसे खर्च भी शामिल होते हैं।
बैंकों का नियम है कि आपकी EMI आपकी नेट मंथली इनकम के 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। EMI कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें और देखें कि कौन-सी EMI आपके लिए आरामदायक रहेगी, ताकि लोन आपकी लाइफस्टाइल पर बोझ न बने। लोन से पहले क्रेडिट स्कोर मजबूत करना भी जरूरी रहता है। इससे आपको बैंक से सौदेबाजी करने में मदद मिलती है।
ज्यादा डाउन पेमेंट की कोशिश करें
ज्यादा डाउन पेमेंट देने से EMI कम होती है और पूरे लोन अवधि में दिया जाने वाला कुल ब्याज भी घट जाता है। अतुल मोंगा की सलाह है कि कम से कम 25-30% तक डाउन पेमेंट का लक्ष्य रखें, लेकिन इस दौरान इमरजेंसी फंड या लंबे समय की निवेश योजनाओं (जैसे रिटायरमेंट) को न छेड़ें।
इसके अलावा, कम से कम 6-12 महीनों के खर्चों जितना एक अलग इमरजेंसी फंड रखना भी बेहद जरूरी है। यह पूरा अनुशासित तरीका इस बात को सुनिश्चित करता है कि आप घर खरीदने की जिम्मेदारी आत्मविश्वास के साथ उठाएं, बिना अपनी वित्तीय स्थिरता को खतरे में डाले।
लोकेशन को लेकर समझदारी दिखाएं
पहली बार घर खरीदते समय लोकेशन अक्सर सबसे बड़ी गलती बनती है। सस्ता घर देखकर लोग शहर से बहुत दूर लोकेशन चुन लेते हैं। लेकिन बाद में रोज का ट्रैवल, खराब कनेक्टिविटी और सुविधाओं की कमी भारी पड़ती है।
लोकेशन तय करते समय कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। आसपास स्कूल, अस्पताल, मार्केट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध हों। भविष्य में रोड, मेट्रो या कमर्शियल डेवलपमेंट होने वाला हो। साथ ही, यह भी जरूर पता लगा लें कि कहीं इलाका बाढ़-प्रवण, प्रदूषण-ग्रस्त या कानून-व्यवस्था के लिहाज से कमजोर तो नहीं?
बिल्डर की विश्वसनीयता जरूर जांचें
पहली बार घर खरीदते समय बिल्डर की साख देखना सबसे जरूरी है। RERA वेबसाइट पर जाकर बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट्स, देरी के रिकॉर्ड, शिकायतें और डिज़ाइन अप्रूवल चेक करें। ऐसे बिल्डर चुनें जिनके पास समय पर प्रोजेक्ट डिलीवरी का ट्रैक रिकॉर्ड हो। बहुत ज्यादा डिस्काउंट या 'पजेशन जल्द मिलेगा' जैसे वादे कई बार रिस्क फैक्टर छिपाते हैं।
रेरा रजिस्ट्रेशन है जरूरी
अगर प्रोजेक्ट RERA में रजिस्टर्ड नहीं है, तो इसे खरीदने से बचें। RERA रजिस्ट्रेशन के कई फायदे हैं।
प्रोजेक्ट का हर खर्च और प्लानिंग ट्रांसपेरेंट होती है।
देरी होने पर आपको कंपसेशन का हक मिलता है।
बिल्डर बिना परमिशन प्रोजेक्ट में बदलाव नहीं कर सकता।
घर के कानूनी डॉक्यूमेंट की जांच करें
घर खरीदते वक्त डॉक्यूमेंट की सही जांच सबसे ज्यादा जरूरी है। अक्सर लोग इसे हल्के में ले लेते हैं, लेकिन यही घर खरीदने का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। आपको डॉक्यूमेंट्स की जांच किसी तजुर्बेकार वकील से करानी चाहिए। इससे आप बाद में मुकदमेबाजी के झंझट में फंसने से बच जाएंगे। डॉक्यूमेंट्स की जांच से कई बातें आराम से पता लग जाएंगी। जैसे कि...
टाइटल डीड (जमीन का मालिक कौन है)
एनओसी (विभिन्न डिपार्टमेंट से अनुमति)
एन्क्रॉचमेंट चेक
भूमि का जोन (Residential/Commercial/Agricultural)
सैंपल सेल एग्रीमेंट
याद रखें कि अगर डॉक्यूमेंट में गड़बड़ी रहेगी, तो होम लोन मिलने भी दिक्कत होगी। बैंक लोन देने से सीधे मना भी कर सकते हैं। यह घर खरीदने के बाद भी विवाद का कारण बन सकती है।
घर का असल आकार समझें
घर खरीदते समय कई लोग सबसे पहले Super Built-up Area देखकर खुश हो जाते हैं, क्योंकि यह नंबर बड़ा लगता है। लेकिन असलियत कुछ और होती है। बिल्डर अक्सर इसमें सीढ़ियां, लिफ्ट, गलियारे और दूसरे कॉमन एरिया जोड़कर कुल एरिया बढ़ा देता है। लेकिन, आपको वास्तव में सिर्फ उतनी जगह मिलती है, जहां आप रहते हैं- यानी Carpet Area।
कॉरपेट एरिया ही है, वो जगह है जिस पर आप फर्नीचर रखते हैं, चलते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी बिताते हैं। RERA भी Carpet Area को ही सही और मानक माप मानता है। इसलिए घर की तुलना हमेशा इसी आधार पर करें, तभी आपको घर का वास्तविक आकार और इस्तेमाल की असली जगह साफ समझ आएगी।
बैंक लोन का प्री-अप्रूवल ले लें
पहली बार घर खरीदने वाले लोगों के लिए प्री-अप्रूवल लेना एक बेहद जरूरी कदम होता है, क्योंकि इससे आपको पहले ही यह साफ पता चल जाता है कि बैंक आपको कितना लोन दे सकता है। यही नहीं, प्री-अप्रूवल से बिल्डर के साथ आपकी नेगोशिएशन क्षमता बढ़ जाती है और पूरी डील जल्दी फाइनल करने में भी मदद मिलती है।
हालांकि, प्री-अप्रूवल लेने से पहले अपने CIBIL स्कोर पर जरूर ध्यान दें। बेहतर स्कोर होने पर बैंक कम ब्याज दर ऑफर करते हैं, जिससे आपका EMI बोझ काफी कम हो सकता है।
निर्माण की क्वालिटी चेक करें
सिर्फ शो-फ्लैट देखकर फैसले पर नहीं पहुंचना चाहिए, क्योंकि अक्सर शो-फ्लैट असली फ्लैट की तुलना में ज्यादा सजाकर दिखाया जाता है।
निर्माण की गुणवत्ता जांचने के लिए दीवारों में सीलन, दरारें और प्लास्टर की फिनिशिंग को ध्यान से देखें।
इलेक्ट्रिक पॉइंट्स कितने हैं, किस तरह की वायरिंग लगी है और फ्यूचर लोड संभाल पाएगी या नहीं- यह जरूर पूछें।
प्लंबिंग फिटिंग की क्वालिटी, पानी के दबाव और पाइपिंग सिस्टम की मजबूती के बारे में भी जानकारी लें।
अगर मुमकिन हो तो साइट विजिट के दौरान किसी इंजीनियर या आर्किटेक्ट को साथ लेकर जाएं, ताकि वे तकनीकी कमियों का बेहतर मूल्यांकन कर सकें।
सोसायटी और सुविधाओं को समझें
सोसायटी और उसकी सुविधाओं को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि आजकल घर लेना मतलब पूरी लाइफस्टाइल चुनना होता है। ध्यान से देखें कि 24×7 सुरक्षा और सीसीटीवी मौजूद हों, पार्किंग स्पेस पर्याप्त हो, और लिफ्ट की क्वालिटी अच्छी हो साथ ही बैकअप भी ठीक तरह से काम करता हो।
पानी की सप्लाई नियमित हो, सीवरेज सिस्टम भरोसेमंद हो, और सोसायटी में ओपन स्पेस, बच्चों के खेलने की सुरक्षित जगह मिलती हो। कई सुविधाएं शुरू में आकर्षक लगती हैं, लेकिन बाद में भारी मेंटेनेंस चार्ज बन जाती हैं। इसलिए हर सुविधा की असली लागत और उसके लंबे समय के खर्च को समझकर ही फैसला लें।
भविष्य की जरूरतें भी ध्यान में रखें
भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि पहली बार घर खरीदते समय लोग अक्सर सिर्फ ‘आज की जरूरत’ देखकर फैसला ले लेते हैं। लेकिन अगले 5-10 साल में परिवार बढ़ सकता है, लाइफस्टाइल बदल सकती है या नौकरी दूसरी जगह भी ले जा सकती है। इसलिए सोचें कि अभी 2 BHK काफी है या थोड़ी ज्यादा प्लानिंग के साथ 3 BHK लेना बेहतर रहेगा।
यह भी देखें कि आने वाले समय में लोकेशन बदलने की संभावना तो नहीं है, और क्या यह घर Rental Income के लिए भी एक अच्छा विकल्प बन सकता है। थोड़ी दूर की सोच आपको आगे चलकर बड़े खर्च और परेशानी से बचा सकती है।
अंतिम फैसले से पहले तुलना जरूर करें
अंतिम फैसला लेने से पहले हर पहलू की अच्छी तरह तुलना करना सबसे जरूरी कदम है। कम से कम 5-6 प्रोजेक्ट्स को साथ रखकर देखें। उनकी कीमत क्या है, लोकेशन कितनी सुविधाजनक है, Carpet Area वास्तव में कितना मिलता है, RERA रिकॉर्ड कैसा है, बिल्डर की साख मजबूत है या नहीं, सोसायटी में कौन-कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं और फाइनेंसिंग विकल्प कितने लचीले हैं।
इन सबकी ठंडी दिमाग से तुलना करें। जल्दबाजी में घर न लें, क्योंकि यह अक्सर जीवन में एक बार होने वाली खरीद होती है, और सही प्लानिंग इसे आपके लिए एक मजबूत और सुरक्षित निवेश बना सकती है।