Home Loan vs Rent: किराये पर रहना या होम लोन लेकर घर खरीदना, कौन है ज्यादा बेहतर विकल्प?

Home Loan vs Rent: भारत के बड़े शहरों में बढ़ते किराए और होम लोन की लागत को देखते हुए सवाल उठता है, होम लोन लेकर घर खरीदना बेहतर है या किराये पर रहना? आइए डेटा और एक्सपर्ट से जानते हैं इसका जवाब।

अपडेटेड Aug 16, 2025 पर 11:41 PM
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अगर आप 1 करोड़ रुपये का घर खरीदते हैं, तो आपको करीब 20% यानी ₹20 लाख का डाउन पेमेंट करना होगा।

Home Loan vs Rent: देश के बड़े शहरों में रेंटल मार्केट में लगातार महंगा हो रहा है। कई इलाकों में सालाना किराया वृद्धि 8-10% तक पहुंच चुकी है। ऐसे माहौल में यह सवाल पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गया है कि लंबे समय तक किराये पर रहना फायदेमंद है या घर खरीदना। आइए 1 करोड़ रुपये मूल्य के घर के आधार पर 20 साल का फाइनेंशियल एनालिसिस करके देखते हैं और एक्सपर्ट से समझते हैं कि कौन-सा विकल्प आपके लिए फायदेमंद रहेगा।

₹1 करोड़ का घर खरीदना

अगर आप 1 करोड़ रुपये का घर खरीदते हैं, तो आपको करीब 20% यानी ₹20 लाख का डाउन पेमेंट करना होगा। बाकी ₹80 लाख का आप होम लोन लेंगे। अगर होम लोन की औसत ब्याज दर हम 8.5% मान लें, तो 20 साल की अवधि पर आपकी मासिक EMI लगभग ₹69,426 होगी।


पूरे 20 साल में आप लगभग ₹86.6 लाख ब्याज चुकाएंगे। इसका मतलब है कि घर की कुल लागत ₹20 लाख (डाउन पेमेंट) + ₹86.6 लाख (ब्याज) + ₹80 लाख (लोन का मूलधन) = ₹1.86 करोड़ बनती है।

अब अगर हम 6% सालाना प्रॉपर्टी ग्रोथ मानें, तो 20 साल बाद यह घर करीब ₹3.21 करोड़ का हो जाएगा। यानी आप ₹1.86 करोड़ खर्च करके 20 साल बाद ₹3.21 करोड़ के घर के मालिक हो जाएंगे। एक स्थायी संपत्ति आपके पास रहेगी।

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अगर किराये पर रहते हैं तो?

अब मान लेते हैं कि आप ऐसा ही घर को किराये पर लेते हैं। इसका शुरुआती किराया ₹40,000 महीना मानें, तो हर साल 10% वृद्धि के साथ 20 साल बाद यह किराया ₹2.67 लाख प्रति महीना तक पहुंच जाएगा। पूरे 20 साल में आपको कुल मिलाकर करीब ₹2.75 करोड़ का किराया चुकाना पड़ेगा।

हालांकि, शुरुआती वर्षों में EMI (₹69,000) और किराए (₹40,000) का अंतर निवेश करने पर आपको फायदा मिल सकता है। अगर मान लें कि यह अंतर 10% सालाना रिटर्न से निवेश किया गया, तो 20 साल बाद आपके पास करीब ₹64 लाख का पोर्टफोलियो तैयार होगा। लेकिन जैसे-जैसे किराया बढ़ता है, निवेश का स्कोप घटता जाता है।

20 साल बाद सीधी तुलना

फैक्टर घर खरीदना किराए पर रहना
कुल खर्च ₹1.86 करोड़ (डाउन पेमेंट + मूल लोन + ब्याज)
₹2.75 करोड़ किराया
नेट एसेट वैल्यू ₹3.21 करोड़ का घर ₹64 लाख निवेश
लिक्विडिटी कम ज्यादा
फायदे मालिक होने की सुरक्षा
लोकेशन बदलने की सुविधा

यानी 20 साल बाद घर खरीदने वाला व्यक्ति ₹3 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी का मालिक होगा, जबकि किराए पर रहने वाले के पास भले ही बेहतर लिक्विडिटी और लोकेशन बदलने की आजादी हो, लेकिन खर्च ज्यादा और नेट वेल्थ काफी कम होगी।

एक्सपर्ट की क्या है राय

BASIC Home Loan के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा का कहना है कि घर किराए पर लेना आसान और लचीला विकल्प माना जाता है, खासकर युवाओं के लिए जो नौकरी या पढ़ाई के चलते अक्सर शहर बदलते रहते हैं। इसमें लंबे समय की कोई जिम्मेदारी नहीं होती और तुरंत रहने की सुविधा मिल जाती है। लेकिन लंबे समय में यह फायदेमंद नहीं है, क्योंकि हर महीने दिया गया किराया खर्च तो हो जाता है, लेकिन उससे आपकी कोई संपत्ति नहीं बनती।

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मोंगा के मुताबिक, अगर घर खरीदते हैं तो वह आपकी अपनी संपत्ति बनती है। इससे आपको सुरक्षा, टैक्स में छूट और संपत्ति की बढ़ती कीमत का फायदा मिलता है। यही कारण है कि प्रॉपर्टी को लंबे समय के लिए सबसे बेहतर निवेश माना जाता है।

उनका कहना है कि आजकल होम लोन आसानी से और जल्दी मिल जाते हैं, जिससे पहली बार घर खरीदने वालों के लिए भी यह संभव हो गया है। कई शहरों में देखा गया है कि घर के लिए दी जाने वाली ईएमआई अक्सर उतनी ही या उससे भी कम होती है जितना किराया देना पड़ता है। ऐसे में घर खरीदना लंबे समय के लिए ज्यादा समझदारी भरा फैसला है।

20 साल बाद कौन रहेगा फायदे में

अगर किराया हर साल 10% की दर से बढ़ रहा है, तो लंबे समय में घर खरीदना वित्तीय रूप से कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। 20 साल बाद आपके पास एक कीमती एसेट होगी, जबकि किराये पर रहने पर आपके खर्चे कहीं ज्यादा बढ़ जाएंगे और आपके पास अपेक्षाकृत छोटा निवेश ही बचेगा।

हालांकि, यह फैसला सिर्फ आंकड़ों पर नहीं बल्कि आपकी नौकरी की स्थिरता, शहर में बसने की इच्छा और जीवनशैली पर भी निर्भर करता है।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Aug 16, 2025 11:41 PM

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