Zomato के बारे में पिछले कुछ महीनों से अच्छी खबरें आ रही हैं। इसके शेयरों में भी इस बात की झलक दिखी है। कंपनी का स्टॉक 44.35 रुपये के लो लेवल से हाल में 100 रुपये को पार कर गया। अभी यह 92 रुपये के करीब चल रहा है। कंपनी का फाइनेंशियल और ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस उत्साहजनक रहा है। इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में कंपनी ने प्रॉफिट कमाया है। उसने पहली बार मुनाफा बनाया है। हालांकि, इसमें टैक्स एडजस्टमेंट्स का हाथ रहा है। लेकिन, कुल मिलाकर कंपनी के प्रदर्शन में बेहतरी देखने को मिली है। अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी का प्रॉफिट 2 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का रेवेन्यू 70 फीसदी बढ़कर 2,416 करोड़ रुपये रहा।
टाइगल ग्लोबल ने बेची हिस्सेदारी
न्यू-एज कंपनी का तय समय से पहले प्रॉफिट में आना बड़ी बात है। इसका असर कंपनी के स्टॉक्स पर दिखा। चीन तिमाही के नतीजों के बाद कंपनी का स्टॉक 102 रुपये पर पहुंच गया, जो 52 हफ्ते का हाई लेवल है। कंपनी के प्रमोटर्स ने पॉजिटिव बातें बताई हैं। इसका असर भी शेयरों पर पड़ा है। एनालिस्ट्स ने इस शेयर में गिरावट के दौरान भी अपना नजरिया पॉजिटिव बनाए रखा। लेकिन, प्राइवेट इक्विटी फर्म Tiger Global के फैसले ने चौंकाया है। उसने जोमैटो में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी। उसकी इस कंपनी में 1.44 फीसदी हिस्सेदारी बची हुई थी। इसका मूल्य करीब 1,124 करोड़ रुपये था।
क्या जोमैटो के अच्छे दिन शुरू हो रहे हैं?
टाइगर ग्लोबल ने पहलीबार 2020 में Zomato में निवेश किया था। तब जोमैटो स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं हुई थी। टाइगर ग्लोबल ने Blinkit में भी इनवेस्ट किया है। जोमैटो के अधिग्रहण के बाद ब्लिंकिट में उसकी हिस्सेदारी बढ़ी है। अगर वाकई जोमैटो के अच्छे दिन शुरू होने जा रहे हैं तो फिर टाइगर ग्लोबल का हिस्सेदारी बेचने का फैसला चौंकाता है। ऐसा लगता है कि टाइगर ग्लोबल इंडिया में अपने कुछ निवेश से पैसे निकाल रही है और जोमैटो में हिस्सेदारी बेचना इसी प्लान का हिस्सा है। टाइगर ग्लोबल की हिस्सेदारी Flipkart और Freshworks में भी है।
क्विक डिलीवरी बिजनेस का खराब प्रदर्शन
सवाल है कि क्या जोमैटो के शेयरों में तेजी जारी रहेगी? इस सवाल का जवाब क्विक कॉमर्स और फूड डिलीवरी बिजनेस के प्रदर्शन से जुड़ा है। जून तिमाही के नतीजों से पता चलता है कि फूड डिलीवरी बिजनेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है। जोमैटो के इस बिजनेस का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 181 करोड़ रुपये रहा। इस डिवीजन के प्रॉफिट से ब्लिंकिट के क्विक डिलीवरी बिजनेस के लॉस की भरपाई हो जाएगी। जोमैटों के लिए प्रॉब्लम यह है कि उसके कुल रेवेन्यू में लॉस देने वाले बिजनेस का कंट्रिब्यूशन बढ़ रहा है।
रेवेन्यू में घट रही फूड डिलीवरी बिजनेस की हिस्सेदारी
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में Zomato के कुल रेवेन्यू में फूड डिलीवरी बिजनेस की हिस्सेदारी 81 फीसदी थी। अब यह घटकर 63 फीसदी रह गई है। क्विक डिलीवरी बिजनेस का कंट्रिब्यूशन 15 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी पहुंच गया है। ब्लिंकिट का कंट्रिब्यूशन जीरो से 14 फीसदी पहुंच गया है। Zomato ने फूड डिलीवरी बिजनेस को संभालने में अपनी कुशलता दिखाई है। लेकिन, क्विक कॉमर्स का मामला अलग दिख रहा है। यह कंपनी का फ्यूचर तय करेगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या ब्लिंकिट का अधिग्रहण जरूरी था। इसने कंपनी के रेवेन्यू में कंट्रिब्यूट किया है, लेकिन मुनाफे को हिट किया है। जब तक Zomato लगातार मुनाफा नहीं बनाती है, इसे अपग्रेड करना रिस्की लगता है।