महाकुंभ के केंद्र में संगम घाट है, जिसे त्रिवेणी घाट भी कहा जाता है। यहां तीन नदियों—गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है। संगम घाट पर स्नान करने से पवित्रता और मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे यह श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण बनता है।(image source : social media)
संगम घाट पर डुबकी लगाने से एक ही स्थान पर तीनों नदियों का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। संगम घाट पर विशेष व्यवस्था की जा रही है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से स्नान कर सकें।(image source: social media)
प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से संगम घाट की दूरी लगभग 7-8 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो या सिटी बस का विकल्प उपलब्ध है। ट्रैफिक को व्यवस्थित रखने के लिए अलग-अलग रूट तय किए गए हैं।(image source: social media)
संगम घाट से महज 3 मिनट की पैदल दूरी पर राम घाट स्थित है। यह घाट अपनी धार्मिक मान्यता और आसानी से पहुंचने की सुविधा के कारण प्रमुख है। संगम घाट पर भारी भीड़ होने पर श्रद्धालु राम घाट का विकल्प चुन सकते हैं।(image source: social media)
फाफामऊ घाट उन श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक है जो अयोध्या, लखनऊ, प्रतापगढ़ या सुल्तानपुर की दिशा से आ रहे हैं। वे शहर में प्रवेश किए बिना यहां स्नान कर सकते हैं और महाकुंभ का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। (image source: social media)
जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर और वाराणसी की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए झूंसी घाट निकटतम है। यह घाट संगम क्षेत्र के पूर्वी किनारे पर स्थित है और यहां तक पहुंचना बेहद आसान है।(image source : social media)
महाकुंभ के दौरान घाटों पर अत्याधुनिक सुविधाएं, जैसे साफ पानी, शौचालय, और हेल्पडेस्क की व्यवस्था की गई है। भीड़ प्रबंधन के लिए डिजिटल साइनबोर्ड और सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। विशेष रूट मैप और मोबाइल ऐप भी उपलब्ध होंगे। (image source: social media)
महाकुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है बल्कि यह भारतीय संस्कृति, लोक कला और आध्यात्मिकता का उत्सव भी है। इस दौरान श्रद्धालु नदियों में स्नान के साथ संतों, अखाड़ों, और आध्यात्मिक प्रवचनों का आनंद भी ले सकते हैं। यह आस्था का ऐसा पर्व है, जो दुनिया भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।(image source: google)