डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी इतिहास में अवैध अप्रवासियों का सबसे बड़ा डिपोर्टेशन यानी उन्हें अपने देश से निकालने की कसम खाई है। उनका प्रशासन इसे पूरा करने में कोई समय बर्बाद नहीं कर रहा है। इसी कड़ी में 100 से ज्यादा अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर अमेरिकी सेना का एक मालवाहक विमान C-17 ग्लोबमास्टर बुधवार दोपहर को पंजाब के अमृतसर में लैंड हुआ। इनमें ज्यादातर गुजरात और पंजाब से हैं। C-17 सेना का विमान 4 फरवरी को सैन एंटोनियो, टेक्सास से उड़ान भरने के बाद बुधवार कई घंटों की देरी से भारत पहुंचा।
आमतौर पर सभी का ध्यान इस पर है कि कितनी बड़ी संख्या में ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट कर रहा है, जबकि एक फोकस प्वाइंट भी है कि इस डिपोर्टेशन ऑपरेशन में सेना के विमानों को लगाया गया है।
न्यूज एजेंसी Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, ये विमान, जो आमतौर पर युद्ध क्षेत्रों और आपदा राहत के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, अब लोगों को उनके देश डिपोर्ट करने के लिए तैनात किए जा रहे हैं। बड़ी बात ये है कि इसके खर्च का बोझ भी अमेरिका के टैक्सपेयर्स यानी आम जनता पर ही पड़ रहा है, वो भी किसी "फर्स्ट क्लास के टिकट से पांच गुना ज्यादा"।
ऐसे में सवाल यही उठता है कि फिर ट्रंप प्रशासन मिलिट्री प्लेन का इस्तेमाल क्यों कर रहा है? इस सवाल का जवाब तो ढूंढने की कोशिश करेंगे ही, लेकिन हम ये भी जानेंगे कि किसी एक अप्रवासी को डिपोर्ट करने में कितना खर्च आता है?
अमेरिका आम तौर पर नॉर्मल पैसेंजर विमानों की तरह ही कमर्शियल चार्टर फ्लाइट के जरिए गैर-कानूनी तरीके से रह रहे लोगों को डिपोर्ट करता है। इन फ्लाइट को US इमिग्रेशन और कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) ऑपरेट करता है। हालांकि, इस बार डिपोर्ट करने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य विमान, दो C-17 और दो C-130E तैनात किए जा रहे हैं।
ICE चार्टर प्लेन के उलट, ये मिलिट्री फ्लाइट भारी भरकम लागत के साथ आती हैं। इसे ताजा उदाहरण से समझें।
रॉयटर्स के अनुसार, हाल ही में ग्वाटेमाला के लिए 10 घंटे की मिलिट्री डिपोर्टेशन फ्लाइट की लागत "शायद कम से कम 4,675 डॉलर यानी करीब 4.07 लाख रुपए प्रति प्रवासी थी।' इसकी तुलना करने पर पता चला कि उसी सेम रूट पर अमेरिकन एयरलाइंस के वन-वे फ्लाइट का फर्स्ट क्लास टिकट ही $853 है।
इसका मतलब ये हुआ कि सैन्य विमानों में डिपोर्ट करने किसी एक प्रवासी पर फर्स्ट क्लास के एक टिकट की कीमत से पांच गुना ज्यादा खर्च हुआ। जबकि इसके मुकाबले ICE की डिपोर्टेशन फ्लाइट बहुत सस्ती हैं।
रॉयटर्स के अनुसार, "कार्यवाहक ICE डायरेक्टर ताए जॉनसन ने अप्रैल 2023 की बजट सुनवाई के दौरान सांसदों को बताया कि 135 डिपोर्ट किए गए लोगों के लिए फ्लाइट की लागत प्रति फ्लाइट घंटे 17,000 डॉलर, लगभग 15 लाख रुपए है, जो आम तौर पर पांच घंटे तक चलती है।"
इस हिसाब से देखा जाए तो, प्रति व्यक्ति 630 डॉलर यानी 54,000 रुपए ये ज्यादा लागत बैठती है। वो भी ये मानते हुए कि चार्टर कंपनी, न कि ICE, रिटर्न फ्लाइट की लागत का भुगतान करती है।
इसके उलट एक अमेरिकी अधिकारी का अनुमान है कि C-17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करने में प्रति घंटे 28,500 डॉलर, 24 लाख रुपए का खर्च आता है। जबकि इस डिपोर्टेशन में अब तक की सबसे लंबी फ्लाइट भारत की है, जो 12 घंटे से ज्यादा समय तक चलती है।
भारत के लिए फ्लाइट अब तक की सबसे लंबी उड़ान है, जो 12 घंटे से अधिक समय तक चलती है।
मिशन की लागत के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने CNN को बताया कि सेना ने कुल खर्चों का हिसाब-किताब लगाना अभी शुरू नहीं किया है और ट्रंप के नेशनल इमरजेंसी घोषित करने के बाद अधिकारी "लागत को लेकर जितनी जल्दी हो सके आगे बढ़ रहे हैं"।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैन्य विमान ग्वाटेमाला, पेरू, होंडुरास और इक्वाडोर समेत लैटिन अमेरिकी देशों के लिए भी उड़ान भर चुके हैं। हालांकि, सभी देश इन उड़ानों का स्वागत नहीं कर रहे हैं।
कोलंबिया ने डिपोर्ट किए लोगों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमान को उतरने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया और ट्रंप के साथ विवाद के बाद प्रवासियों को लेने के लिए अपने खुद के विमान भेज दिए।
मेक्सिको ने भी कुछ ऐसा ही किया। राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने कहा, "वे अपनी सीमाओं के भीतर कुछ भी कर सकते हैं। जब मेक्सिको की बात आती है, तो हम अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हैं और समन्वय बनाने के लिए बातचीत का रास्ता तलाशते हैं।''
ट्रंप सैन्य विमानों का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार अवैध अप्रवासियों को "एलियन" और "अपराधी" कहा है। ट्रंप के शब्दों में इन लोगों ने अमेरिका पर "अटैक" किया है। बेड़ियों और हथकड़ियों से बंधे प्रवासियों को सैन्य विमान में लादने की तस्वीरों के साथ, ट्रंप एक मैसेज देना चाहते हैं कि वे ऐसे "अपराधों" पर कितने सख्त हैं।
हाल ही में, एक रिपब्लिकन कार्यक्रम में बोलते हुए, ट्रंप ने कहा, "इतिहास में पहली बार, हम अवैध एलियंस का पता लगा रहे हैं और उन्हें सैन्य विमानों में लाद रहे हैं और उन्हें उन जगहों पर वापस भेज रहे हैं, जहां से वे आए थे... सालों तक हमें बेवकूफ समझ कर पर हंसने के बाद हमें फिर से अपना सम्मान हासिल कर रहे हैं।"
व्हाइट हाउस में लौटने के बाद से ट्रंप ने अवैध इमिग्रेशन पर रोक लगाने के लिए आक्रामक कदम उठाए हैं। उन्होंने इमरजेंसी की घोषणा की है, मरीन सहित 1,500 एक्टिव-ड्यूटी सैनिकों को दक्षिणी सीमा पर तैनात किया है, और पेंटागन को निर्देश दिया है कि वो इस मिशन के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड शिफ्ट करे।